दिल की बीमारी के चलते नहीं मिल पा रहा था आंखों का इलाज, छह माह से दृष्टिहीन को सही इजाज मिला तो आंखों की रौशनी लौटी, मोतियाबिंद पकने से दृष्टिहीन हुआ था अधेड़
नैनीताल। बी डी पांडे अस्पताल में इलाज मिलने पर नैनीताल के समीपवर्ती गांव में रहने वाला अधेड़ छह महिने के बाद देख पाया है। दिल की बीमारी की वजह से अधेड़ के मोतियाबिंद पकने के बाद भी सर्जरी नहीं हो पा रही थी। हृदय रोग विशेषज्ञ की सलाह के बाद नेत्ररोग विशेषज्ञ ने अधेड़ के मोतियाबिंद की सफल सर्जरी में लैंस प्रत्यारोपण कर उसकी आंखों को दोबारा देखने योग्य बनाया। जानकारी के अनुसार मल्लीताल क्षेत्र निवासी 45 वर्षीय चंदन लंबे समय से हल्द्वानी में काम करता था। बीते लंबे समय से आंखों में दिक्कत होने पर उसने कोई उपचार नहीं कराया। जब छह सात महिने पहले उसको आंखों से दिखना कम हुआ तो उसने अस्पताल के चक्कर काटने शुरू कर दिए। जांच के बाद उसकी आंखों में मोतियाबिंद की पुष्ठि हुई। जब उसने मोतियाबिंद के ऑपरेशन के लिए मन बनाया तो उसने अपनी जांचे कराई। लेकिन हृदय संबंधि समस्या होने के डॉक्टरों ने उसका ऑपरेशन करने का रिश्क नहीं लिया। आंख कम दिखने के चलते वह घर आ गया। लेकिन सर्जरी न हो पाने के चलते मोतियाबिंद पकने से वह पूर्ण रूप से दृष्टिहीन हो गया। वह बीते छह महिने से दृष्टिहीन बनकर घर में ही पड़ा रहा। इधर बीते कुछ दिन पहले उसका स्वास्थ्य खराब होने के चलते उसकी मां उसको लेकर बीडी पांडे अस्पताल पहुंची। जहां मेट्रन शशिकला पांडे व अन्य स्टाफ के कहने पर मरीज को हृदय रोग विशेषज्ञ व नेत्र रोग विशेषज्ञ को भी दिखाया। हृदय रोग विशेषज्ञ की सलाह के बाद नेत्र रोग विशेषज्ञ ने मरीज को अस्पताल भर्ती कर लिया। नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉ दीपिका लोहनी ने बताया कि मोतियाबिंद की सर्जरी आम होती है। मरीज के हृदय रोगी होने के कारण सर्जरी में रिश्क था। लेकिन लंबे समय से इलाज नहीं मिल पाने की वजह से मोतियाबिंद पक गया था। जिसके चलते मरीज को दिखना बंद हो गया था। इसलिए थोड़ा रिश्क लेकर एक आंख के मोतियाबिंद की सर्जरी की गई। जिससे मरीज को लाभ मिला और वह एक देख पा रहा है। 15 दिन के बाद मरीज के दूसरे आंख की भी सर्जरी की जाएगी।