ऋषि बोध उत्सव की प्रासंगिकता” पर गोष्टी संपन्न स्वदेश,स्वभाषा,स्वधर्म के उपासक बनें-प्रो. नरेंद्र आहूजा विवेक

नैनीताल l केन्द्रीय आर्य युवक परिषद के तत्वावधान में महर्षि दयानन्द सरस्वती के बोध दिवस (शिवरात्रि) पर “ऋषि बोध उत्सव की प्रासंगिकता” विषय पर ऑनलाइन गोष्ठी का आयोजन किया गया।यह कोरोना काल से 624 वां वेबिनार था। मुख्य वक्ता प्रो. नरेंद्र आहूजा विवेक (एम वी एन विश्व विद्यालय) ने ऋषि बोधोत्सव पर देव दयानन्द के बोध से शिक्षा ग्रहण करके राष्ट्र प्रथम रखते हुए राष्ट्र निर्माण का आह्वान किया।

भाजपा नेता प्रोफेसर नरेन्द्र विवेक ने कहा की स्वदेश, स्वभाषा,स्वधर्म ही हमारी एकता को कायम रख सकता है।एकता के बिना हम फूट के रोग का शिकार होकर हम अपनी स्वतंत्रता सम्प्रभुता अखण्डता को अक्षुण्ण नहीं रख सकते।एकता, राष्ट्रीय सुरक्षा एवं प्रगति के लिए अत्यंत आवश्यक है,हम सभी एक परिवार के सदस्य बनें।ऋषि दयानन्द ने सर्वप्रथम स्वराज्य, साम्राज्य और अखण्ड सार्वभौमिक चक्रवर्ती राज्य की चर्चा सर्वप्रथम अपने लेखों में की थी।ऋषि दयानन्द के शब्दों में सृष्टि के निर्माण से लेकर पांच हज़ार वर्ष पूर्व समय पर्यन्त आर्यों (अर्थात हमारा) का सार्वभौमिक चक्रवर्ती अर्थात भूगोल में सर्वोपरि एकमात्र राज्य था।राष्ट्र या स्वराज्य के लिए संगठन पहली शर्त है।देशवासियों के संगठित हुए बिना राष्ट्रीय भावना ना पनप सकती है और ना सुदृढ हो सकती है।हम सभी आर्यों को ऋषि बोधोत्सव पर ऋषि को सच्ची श्रद्धांजलि देते हुए राष्ट्र के उद्देश्य को प्राप्त करते हुए अपने राष्ट्र को विश्वगुरु बनाने के लिए काम करना होगा।

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मुख्य अतिथि आर्य नेता कृष्ण कुमार यादव व अध्यक्ष डॉ. गजराज सिंह आर्य ने भी महर्षि के आदर्शों को अपनाने का आह्वान किया।परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष अनिल आर्य ने कहा कि महर्षि दयानन्द ने ही सर्वप्रथम स्वदेशी का नारा देते हुए कहा था कि “कोई कितना भी करे पर स्वदेशी राज्य सर्वोत्तम है।राष्ट्रीय मंत्री प्रवीण आर्य ने धन्यवाद ज्ञापन किया।

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गायिका पिंकी आर्या, जनक अरोड़ा, अंजू आहूजा, कमला हंस, प्रवीना ठक्कर, रविन्द्र गुप्ता, सन्तोष धर आदि के मधुर भजन हुए।

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