कुमाऊँ विश्वविद्यालय में रसायन के विद्यार्थियों के लिए भारतीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय के पूर्व प्रमुख डॉ. संजीव कुमार ने एक महत्वपूर्ण व्याख्यान दिया
नैनीताल l कुमाऊँ विश्वविद्यालय में रसायन के विद्यार्थियों के लिए भारतीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय के पूर्व प्रमुख डॉ. संजीव कुमार ने एक महत्वपूर्ण व्याख्यान दिया। दी एस टी अनुसंधान योजनाएँ: राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय परिप्रेक्ष्य” विषय पर अपने व्याख्यान में, डॉ. संजीव ने पीएचडी छात्रों को कई महत्वपूर्ण सलाह दी।
पीएचडी शोध के लिए महत्वपूर्ण सलाह
डॉ. व आरर्षेय ने पीएचडी छात्रों को समझाया कि उन्हें अपने शोध का विषय ऐसा चुनना चाहिए जो समाज या पर्यावरण पर प्रभाव डालता हो, न कि केवल व्यक्तिगत लाभ के लिए। उन्होंने यह भी बताया कि पीएचडी में एक निर्धारित पाठ्यक्रम नहीं होता है, बल्कि छात्रों को अपने ही प्रश्न पूछने होते हैं। एक गुरु का कार्य छात्रों को उनके शोध में मार्गदर्शन प्रदान करना, प्रेरित करना और उनके शोध को छोटे-छोटे लक्ष्यों में विभाजित करने में मदद करना होता है। आप ही अपनी सबसे बड़ी संपत्ति हैं
डॉ. वर्षेय ने एक बहुत ही रोचक बात यह भी बताई कि आप स्वयं और आपका मन ही सबसे बड़ी संपत्ति हैं। एक गुरु केवल मार्गदर्शन और सहायता प्रदान कर सकता है, लेकिन प्रश्न पूछने के लिए आपको ही आगे आना होगा। “क्यों?” “कैसे?” “अब क्या?” जैसे प्रश्न आप ही पूछ सकते हैं। “टी-आकार के व्यक्ति” बनें
डॉ. वर्षेय ने इंटर्नशिप, छात्रवृत्ति और फैलोशिप के बीच अंतर भी समझाया। उन्होंने “टी-आकार के व्यक्ति” बनने के महत्व पर भी प्रकाश डाला, जिसका अर्थ है कि छात्रों को न केवल अपने शोध विषय में गहराई से जानना चाहिए, बल्कि उससे संबंधित अन्य क्षेत्रों के बारे में भी जागरूक रहना चाहिए। एमएससी केमिस्ट्री के बाद करियर विकल्प डॉ. वर्षेय ने छात्रों को विभिन्न करियर विकल्पों के बारे में भी बताया, जैसे शैक्षणिक शिक्षक, नीति अनुसंधान, अनुसंधान वैज्ञानिक, अनुसंधान पत्र संपादन, या अपना खुद का स्टार्टअप शुरू करना। उन्होंने शोध सहायता विकल्पों जैसे मानव क्षमता विकास, संस्थागत अनुसंधान अनुदान, प्रतिस्पर्धी अनुसंधान अनुदान आदि के बारे में भी जानकारी दी और रसायन विज्ञान के क्षेत्र में कई सरकारी और गैर-सरकारी एजेंसियों द्वारा प्रदान की जाने वाली फैलोशिप के बारे में विस्तार से बताया।
फैलोशिप और शोध सहायता डॉ. वर्षेय ने स्नातकोत्तर छात्रों के लिए जेआरएफ, पीएचडी छात्रों के लिए एसआरएफ और पोस्ट डॉक्टोरल फैलो के लिए शोध सहयोगी जैसी विभिन्न फैलोशिप के बारे में भी जानकारी दी और इनके लिए आवश्यक मानदंडों का उल्लेख किया। उन्होंने अल्पसंख्यक समूहों, एससी/एसटी के लिए कुछ फैलोशिप के साथ-साथ प्रधानमंत्री फैलोशिप, इनस्पायर फैलोशिप आदि के बारे में भी बताया। उन्होंने अवसर और तारे जैसी कुछ योजनाओं से भी परिचित कराया। उनका व्याख्यान इतना व्यापक था।
अंतर्राष्ट्रीय फैलोशिप डॉ. वर्षेय ने मैरी क्यूरी फैलोशिप, फुलब्राइट नेहरू फैलोशिप और फुलब्राइट- कलाम फैलोशिप जैसे अंतर्राष्ट्रीय फैलोशिप के बारे में भी बताया। इस अवसर पर डीन डॉक्टर चित्रा पांडे, डॉक्टर गीता तिवारी, डॉक्टर पेनी जोशी, डॉक्टर दीपशिखा, डॉक्टर गिरीश खरगवाल, डॉक्टर महेशचंद्र आर्या, डॉक्टर मनोज धोनी, डॉक्टर ललित मोहन, श्री पेनी जोशी, डॉक्टर दीपशिखा और अचल अनीजा उपस्तित थे। साथ ही, जंतु विज्ञान सहितके विभिन्न छात्रों ने भी अपनी उपस्थिति दी।