चिपको आंदोलन की 52वीं वर्षगांठ पर वीर माता गौरा देवी जी और सभी आंदोलनकारियों को नमन!

नैनीताल l शैल कला एवं ग्रामीण विकास समिति के तत्वावधान में चिपको आंदोलन की वर्षगाँठ पर उस काल के इतिहास पर चर्चा हुई, संस्था के संस्थापक अध्यक्ष- स्वामी एस. चन्द्रा ने प्रकाश डालते हुये कहा 26 मार्च 1974 उत्तराखंड के रेणी गांव में चिपको आंदोलन की शुरुआत हुई।
वीर माता गौरा देवी जी इस आंदोलन का नेतृत्व वीर माता गौरा देवी जी ने किया, जिन्होंने पेड़ों को काटने से रोकने के लिए अपनी जान जोखिम में डाली।
आंदोलन का उद्देश्य चिपको आंदोलन का मुख्य उद्देश्य वन संरक्षण और पर्यावरण संरक्षण था।
आंदोलन का प्रभाव इस आंदोलन ने न केवल वन संरक्षण में महत्वपूर्ण योगदान दिया, बल्कि यह एक प्रेरणादायक उदाहरण भी बन गया जिसने पूरे देश में पर्यावरण संरक्षण की दिशा में जागरूकता बढ़ाई।
चिपको आंदोलन की विरासत: वन संरक्षण चिपको आंदोलन ने वन संरक्षण के महत्व को रेखांकित किया और वनों की रक्षा के लिए एक जन आंदोलन की शुरुआत की।
पर्यावरण संरक्षण इस आंदोलन ने पर्यावरण संरक्षण के बारे में जागरूकता बढ़ाई और लोगों को पर्यावरण के प्रति जिम्मेदार बनने के लिए प्रेरित किया। महिला सशक्तिकरण चिपको आंदोलन ने महिला सशक्तिकरण का एक शक्तिशाली उदाहरण प्रस्तुत किया, जहां महिलाएं अपने अधिकारों और पर्यावरण की रक्षा के लिए सामने आईं।
चिपको आंदोलन की 52वीं वर्षगांठ पर, हम वीर माता गौरा देवी जी और सभी आंदोलनकारियों को नमन करते हैं जिन्होंने पर्यावरण संरक्षण और वन संरक्षण के लिए अपनी जान जोखिम में डाली। उनकी विरासत आज भी हमें प्रेरित करती है और पर्यावरण संरक्षण के प्रति हमारी जिम्मेदारी को याद दिलाती है। इस अवसर पर पर्यावरणविद चन्दन सिंह नेगी, सहित्यकार शूरवीर सिंह रावत ने अपने विचार रखें I

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