नैनीताल निवासी डॉ.कुसुम शर्मा ने कैंचीं धाम के बाबा नीब करौरी महाराज पर एक पुस्तक लिखी है, जन्माष्टमी के शुभ अवसर पर भक्तों के लिए इसका विमोचन किया गया
नैनीताल l नैनीताल निवासी डॉ.कुसुम शर्मा ने कैंचीं धाम के बाबा नीब करौरी महाराज पर एक पुस्तक लिखी है, जिसमें महाराज के गृहस्त और आध्यात्म जीवन को वर्णित किया गया है। ‘महाप्रभु महाराज जी श्री नीब करौरी बाबा-पावन कथामृत’ नाम के शीर्षक वाली इस पुस्तक में बाबा के अनछुए पहलुओं को दर्शाया गया है।
हाईकोर्ट में अधिवक्ता राजेश शर्मा की धर्मपत्नी डॉ.कुसुम शर्मा नैनीताल के सैन्ट मैरीज कॉन्वेंट स्कूल में शिक्षिका हैं। उनकी कैंचीं धाम और माँ महाराज पर अटूट श्रद्धा है। डॉ.कुसुम अल्मोड़ा आकाशवाणी में उद्घोषिका रही हैं। धार्मिक प्रवृत्ति की डॉ.कुसुम के मन में कैंचीं धाम के बाबा नीब करौरी महाराज के जीवन के अनसुने अनछुए पहलुओं को लिखने की इच्छा जगी। उन्हें बाबा नीब करौरी की पुत्री श्रीमती गिरिजा भटेले से मिली प्रेरणा के बाद लेखन कार्य शुरू किया। डॉ.कुसुम के अनुसार सबसे महत्वपूर्व अनुमाती तो स्वयं बाबा नीब करौरी महाराज की ही चाहिए थी, इसलिये उन्होंने खुद स्वप्न में आकर स्वीकृति प्रदान की। अब लेखन का काम शुरू हुआ। महाराज के जीवन के पलों को बाल्यकाल से लिखा गया और वैवाहिक जीवन को भी दर्शाया गया। डॉ.कुसुम ने बताया कि पुस्तक में महाराज के दो पुत्रों और एक पुत्री के बारे में जानकारियां दी गई है। साथ ही उनके गृहस्त जीवन और आध्यात्मिक जीवन को संतुलित करती एक सुंदर कथा लिखी गई। लगभग 2 वर्षों के समय के बाद पुस्तक अपने स्वरूप में आ गई और जन्माष्टमी के शुभ अवसर पर भक्तों के लिए इसका विमोचन कर दिया गया।
नैनीताल में हनुमानगढ़ मंदिर के सभागार में डॉ.कुसुम ने बताया कि महाराज पर लिखने की उनकी हिम्मत नहीं थी, लेकिन उन्हीं की प्रेरणा और आशीर्वाद से उनके पारिवारिक रिश्तों और आध्यात्म जीवन के बारे में लिख सकीं। कहा कि आध्यात्मिक शक्ति के रूप में जाने जाने वाले बाबा नीब करौरी महाराज के गृहस्त जीवन के बारे में कम ही लोग जानते हैं, जिसे इस पुस्तक में लिखा गया है। डॉ.कुसुम ने कहा कि एक महात्मा के गृहस्त जीवन को लिखने से कॉन्ट्रोवर्सी न आए इसलिये उन्होंने महाराज से ये सवाल किया तो उन्होंने(बाबा)ने कहा कि उन्हें भगवान के रूप में न लिखें।
डॉ.कुसुम ने वैज्ञानिक शोध पत्रों के साथ ‘राइट वे टू राइट’, ‘माँ भक्ति माँ मौनी माई’, ‘दिव्य मौन साधना’, ‘ऊत्तराखण्ड की मीरा’ समेत कुछ अन्य धार्मिक पुस्तकें लिखी है । डॉ.कुसुम ने गीत, संगीत, ट्रेकिंग, स्कीइंग और तीर्थस्थल दर्शन को अपने जीवन का अभिन्न अंग बनाया है। विमोचन के मौके पर मंदिर से जुड़े महेंद्र पाल सिंह ‘एम.पी.’, कान्हा साह, सुरेश, सावित्री, वीना, मंजू साह, कंचन, प्रथमेश शर्मा, वागीशा, पार्थ, सुरेश चंद्र, दिनेश साह, धान्यता, समृद्धि, मुंनगली, प्रमिला पंत, अधिवक्ता नरेंद्र पपनोई, कमलेश तिवारी, ललित शर्मा, विजय सिंह पाल, मानव शर्मा, सौरभ अधिकारी, बी.के.संगुड़ी, अनिल जोशी, प्रेम सम्मल, अखिल जोशी आदि बड़ी संख्या में मौजूद रहे।