महिला अध्ययन केंद्र कुमाऊं विश्विद्यालय नैनीताल में “प्रिवेंशन ऑफ़ सेक्सुअल हर्रासमेंट ऑफ़ वर्किंग वीमेन एंड स्टूडेंट” विषय पर कार्यशाला दूसरे दिन भी जारी रही
नैनीताल l विश्वविद्यालय अनुदान आयोग द्वारा कार्यस्थल पर लिंग आधारित हिंसा को करने, महिलाओं को को सुरक्षित वातावरण प्रदान करने एवं महिलाओं का यौन खत्म उत्पीड़न (रोकथाम, निषेध और निवारण) हेतु महिला अध्ययन केंद्र कुमाऊं विश्विद्यालय नैनीताल में “प्रिवेंशन ऑफ़ सेक्सुअल हर्रासमेंट ऑफ़ वर्किंग वीमेन एंड स्टूडेंट” विषय पर दूसरे दिन प्रमुख वक्ता डॉ० सुरेश चंद्र पाण्डे थे। जो वर्तमान में कुमाऊँ विश्वविद्यालय के विधि संकाय विभाग के विभागाध्यक्ष हैं। डॉ० पाण्डे ने पॉश एक्ट 2013 कि उत्पत्ति के बारे में बताया और इस बात पर जोर दिया कि सुप्रीम कोर्ट गाइडलाइन्स तब जारी करता है जब क़ानून नहीं बनाये जाते और जो कानून बनाये जाते हैं उनके पीछे कोई ठोस कारण होता है। डा० पाण्डे ने संविधान के मौलिक अधिकारों की चर्चा की जैसे अनुच्छेद 14 समानता का अधिकार अनुच्छेद 15 भेदभाव का निषेध अनुच्छेद 19 भाषण और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता, अनुच्छेद 21 जीवन का अधिकार का अधिकार। ये सारे अनुच्छेद हर व्यक्ति के लिए भारतीय संविधान में लागू किये है। पॉश एक्ट को वेलकम एक्ट और नान कंसेंसुअल एक्ट भी कहा जाता है। अधिकांश तया शिकायतें पावरफुल व्यक्ति के खिलाफ होती हैं। इसके लिए हर संस्था को ICC या आन्तरिक शिकायत समिति बनाना अनिवार्य है। कुमाऊं विश्विद्यालय में भी ICC है। जिसमे वरिष्ठ महिला प्रोफेसर इसकी हेड, तीन छात्र सदस्य, दो संकाय सदस्य होते हैं। वाईस चांसलर और चांसलर इसके सदस्य नहीं होते हैं। जहाँ पर ICC नहीं है वहां जिला स्तर पर LCC या स्थानीय शिकायत समिति होती है और इसके अध्यक्ष डीएम और एसडीएम होते हैं। इसके उपरांत दो शोधर्थी खुशबू आर्या और समृद्धि विष्ट द्वारा यौन शोषण पर एक एक्टिविटी की गयी l जिसमे दर्शाया गया कि अश्लील गाने गाना, अश्लील बातें करना, बिना कंसेंट के व्हाटप या ईमेल पर अश्लील चित्र भेजना, प्रमोशन या काम के लिए किसी से यौन संबंधों की मांग करना सेक्सुअल हर्रास्मेंट के तहत आते हैं। डा किरण तिवारी ने बताया कि सेक्सुअल हरस्मेंट कि वजह से वर्कप्लेस का माहौल असुरक्षित और असहज हो जाता है। आज के समय में लड़किया और महिलायें घर से बाहर निकल कर कार्य कर रही हैं और अपने परिवार को सपोर्ट कर रही हैं तो जरूरी हैं उन्हें फीमेल होने के वजह से कभी भी किसी प्रकार के भेदभाव का सहन न करना पड़े। पॉश एक्ट 2013 का उद्देश्य है कि महिलाओं को उनके ऑफिस, फैक्ट्री स्कूल, कॉलेज हेल्थ सेक्टर हॉस्पिलिटी सेक्टर आदि संगठित एवं असंगठित कार्यस्थल पर एक सुरक्षित माहौल मिले। कार्यक्रम का संचालन खूशबू आर्या ने किया। इस कार्यक्रम में एम० ए० महिला अध्ययन पाठ्यक्रम के विद्यार्थियों के साथ-साथ आई.टी.ई.पी., बीए एलएलबी, एम.ए. कला संकाय, भारतीय शहीद सैनिक विद्यालय के विद्यार्थियों ने प्रतिभाग किया। इस अवसर पर डॉ० पंकज, डॉ० रंजन, डॉ० हुसैन, डॉ० इन्दर श्रीमती भावना साह, शोधार्थी सत्येन्द्र अविनाश, समृद्धि, राकेश आदि शामिल रहे। इस दो दिवसीय जागरूकता अभियान कार्यक्रम के सफल संचालन हेतु महिला अध्ययन केन्द्र की निदेशक डॉ० नीता बोरा शर्मा ने सभी का आभार व्यक्त किया l