शिक्षक ही राष्ट्र निर्माता है” विषय पर गोष्ठी संपन्न, शिक्षक बालक का शिल्पकार है -आचार्या श्रुति सेतिया
नैनीताल l केन्द्रीय आर्य युवक परिषद् के तत्वावधान में “शिक्षक ही राष्ट्र निर्माता है” विषय पर ऑनलाइन गोष्ठी का आयोजन किया गया।य़ह कोरोना काल से 669 वां वेबीनार था। वैदिक विदुषी आचार्या श्रुति सेतिया ने कहा कि शिक्षक स्वयं जलकर शिष्य को प्रकाशित करता है।उन्होंने कहा कि शिक्षक वह जो शिष्य को शिक्षित करे, उसे ज्ञान दे,एक अच्छा सभ्य और सफल इंसान बनाए। आसान शब्द में कहें तो शिक्षक एक शिल्पकार होता है जो पत्थर को तराश कर सुंदर आकृति प्रदान करता है।एक अच्छा शिक्षक अपने छात्र का हमेशा भला चाहता है।शिक्षक में वो सारे गुण मौजूद होने चाहिएं,जो छात्र को क्षमतावान बना सके। सर्वप्रथम शिक्षक अपने छात्र को संस्कार की शिक्षा देते हैं ताकि बच्चे संस्कारवान बन सके। शिक्षक अपने छात्रों से देश प्रेम करना भी सिखाता है।देश हमें सब कुछ देता है जिसकी हमें आवश्यकता होती है,तो हमारा भी दायित्व हो जाता है कि हम भी देश के लिए कुछ विशेष करें। शिक्षक अपने छात्रों को उन्हें उनके कर्तव्यों तथा अधिकार के विषय में विस्तार से बताते हैं। एक प्रकार से देखा जाए तो एक शिक्षक अपने छात्रों को आग में तपा कर,सर्दी में ठिठुराकर तथा ज्ञान की वर्षा में भिगोकर उसे होनहार व्यक्ति बनाते हैं।उसका चरित्र निर्माण करते हैं,उसे संस्कारवान,अनुशासित तथा देश प्रेमी बनाते हैं।जिससे वह अच्छे समाज का निर्माण कर सकें। देश उन्नति के रास्ते पर आगे बढ़ सके। यह सब एक अच्छे शिक्षक की निशानी है।इसलिए एक शिक्षक को राष्ट्र निर्माता कहा जाता है जो बिल्कुल सही है। मुख्य अतिथि शिक्षाविद जगदीश पाहुजा व अध्यक्ष कृष्णा पाहुजा ने भी शिक्षक के गुणों की चर्चा करते हुए उनके समाज निर्माण के प्रति समर्पण की सराहना की। परिषद् अध्यक्ष अनिल आर्य ने कुशल संचालन किया व प्रवीण आर्य ने धन्यवाद ज्ञापन किया। गायिका प्रवीना ठक्कर, कौशल्या अरोड़ा, कृष्णा गांधी, जनक अरोड़ा, शोभा बत्रा, सरला बजाज, रविन्द्र गुप्ता के मधुर भजन हुए।