राग द्वेष से दूरी जीवन में कितनी जरूरी विषय पर गोष्ठी संपन्न राग द्वेष शांति में रुकावट है- अतुल सहगल

प्रकाशनार्थ समाचार

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नैनीताल l केन्द्रीय आर्य युवक परिषद् के तत्वावधान में “राग द्वेष से दूरी जीवन में कितनी जरूरी ” विषय पर ऑनलाइन गोष्ठी का आयोजन किया गया।य़ह कोरोना काल से 668 वां वेबनार था। वैदिक प्रवक्ता अतुल सहगल ने कहा कि जीवन में शांति के लिए आवश्यक हैं कि राग द्वेष से दूर रहें।यह मानसिक विकार है मनुष्य को इनसे बचना चाहिए।उन्होंने विषय की भूमिका के रूप में कुछ तथ्य और विचार प्रस्तुत किये। तत्पश्चात इस विषय के प्रमुख बिंदु सामने रखे जो आज और भविष्य के सन्दर्भ में उल्लेखनीय हैं।आज विश्व में चारों तरफ भौतिकवाद का बोलबाला है। धन,वैभव,पद,यश व विभिन्न भौतिक पदार्थों की चकाचौँध में सामान्य व्यक्ति लिपटा और खोया हुआ है।क्योंकि सफलता सबको प्राप्त नहीं होती,इसलिए अधिकतर मनुष्य अशांत और दुखी हैं।यह स्थिति तब है जब मनुष्य की आत्मा सुखों की ही अभिलाषी है और समस्त दुखों से छुटकारा पाना चाहती है।इसका कारण बताते हुए राग और द्वेष की बात कही।राग को आसक्ति कह के परिभाषित किया और द्वेष के अर्थ को प्रस्तुत करते हुए उसे साधारण शब्दों में घृणा और नापसंदगी कहकर परिभाषित किया।वास्तव में राग और द्वेष ही हमारे सुख और शांति के सबसे बड़े शत्रु हैं और इन शत्रुओं को परास्त कर के अथवा इनको दूर कर के ही हम अपने लिए सुख और शांति निश्चित कर सकते हैं। राग से दूरी स्थापित करने के लिए सर्वप्रथम विवेक को जगाना अवश्यक है और विवेक का अर्थ वक्ता ने बुद्धि का सही व पूर्ण प्रयोग कह कर स्पष्ट किया।फिर द्वेष की चर्चा करते हुए यह तथ्य सामने रखा कि द्वेष का जनक क्रोध है।वास्तव में क्रोध मुख्य दोष या दुर्गुण है जिसकी संतानें द्वेष,ईर्ष्या और भय हैं।साधारण शब्दों में राग और द्वेष के दैनिक जीवन से अनेक उदाहरण प्रस्तुत किये।अंत में राग और द्वेष को दूर करने के उपायों की विस्तृत चर्चा की।राग से दूरी बनाने के लिए विवेक द्वारा सत्य ज्ञान ग्रहण करना आवश्यक है और द्वेष दूर करने के लिए क्रोध पर विजय पाना आवश्यक है।इन दोनों से दूरी बना के ही हम इस लोक और परलोक में सुख व शांति निश्चित कर सकते हैं।मनुष्य के परम लक्ष्य मोक्ष तक पंहुचने के लिए यह दूरी बनाना परमावश्यक है। मुख्य अतिथि आर्य नेत्री रजनी गर्ग व अध्यक्ष रजनी चुघ ने भी अपने विचार व्यक्त किए।परिषद अध्यक्ष अनिल आर्य ने कुशल संचालन किया व प्रवीण आर्य ने धन्यवाद ज्ञापन किया। गायिका पिंकी आर्य, कमला हंस, कौशल्या अरोड़ा, शोभा बत्रा, रविन्द्र गुप्ता, जनक अरोड़ा, संतोष धर आदि के मधुर भजन हुए।

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