नगर के अस्तित्व को बचाने के लिए नगर में भारी निर्माण कार्यों को किया जाए बंद, राज्य आंदोलनकारियो ने जिला प्रशासन के माध्यम से प्रदेश के राज्यपाल को ज्ञापन भेजा

नैनीताल l बुधवार को राज्य आंदोलनकारियो ने जिला प्रशासन के माध्यम से राज्यपाल को ज्ञापन सौंपकर कहा है कि शहर के चारों तरफ मालरोड, राजभवन मार्ग चार्टन लॉज, चायनापीक, डोच्ची सीट, टिफन टॉप जो कि टूट चुका है, मालरोड पर पढ़ रही लम्बी दरारें भूस्खलन ने अपना मुँह खोल दिया है, जो नैनीताल के अस्तित्व के लिए भयंकर खतरा बना हुआ है। हाल में किये गये सर्वेक्षण की अनुसार भू वैज्ञानिकों का कहना है कि नैनीताल की भारवाहक क्षमता समाप्त हो गई है जो भविष्य में होने वाले दुष्परिणामों को इंगित करता है। ऐसे में जहाँ एक और अरबों रुपयों में बलियानाला का ईलाज किया जा रहा है वहीं शासन प्रशासन बलियानाले पर भारी भरकम मैकेनिकल कार पार्किंग का निर्माण के ऊपर बना रोडवेज स्टेशन को ध्वस्त कर नये भारी भरकम निर्माण की योजना का प्रस्ताव है। हम राज्य आन्दोलनकारियों की मांग है कि इन भारी भरकम निर्माणों पर अविलम्ब रोक लगाई जाय, अन्यथा राज्य आन्दोलनकारी आन्दोलन के लिए बाध्य होंगे, जिसकी पूर्ण जिम्मेदारी शासन-प्रशासन की होगी।
ग्राम सिलमोडिया, खुर्पाताल में सी०सी० मार्ग बनवाया जाय जिससे कि वहाँ पर रहने वाले ग्रामवासियों को शिक्षा, चिकित्सा व अन्य सुविधाएँ अविलम्ब प्राप्त हो सकें। इस बीच गाँव के सभी मार्ग टूट चुके हैं. पिछले 10 वर्षों से आधे-अधूरे मार्गों के कारण शिक्षा, चिकित्सा की सुविधा से ग्रामवासी वचित है। सौन्दर्याकरण व सड़क चौड़ीकरण के नाम जो जनता को बेघर / बेरोजगार किया जा है. उस पर रोक लगायी जाय। वन ग्रामों में सैकड़ों वर्षों से रह रहे लोगों को न हटाया जाय और यदि हटाया जाना आवश्यक हो तो उनके रहने की व्यवस्था पूर्व में ही कर दी जाय। प्रार्थना पत्र इस प्रकार से है कि आपके द्वारा उत्तराखण्ड प्रदेश के हित में कई ऐतिहासिक निर्णय लिए है जो उत्तराखण्ड के शहीदों के सपनों को निश्चित रूप से साकार करेंगे, मुसंखलन की दृष्टि से अतिसंवेदनशील नैनीताल शहर के अस्तित्व पर प्रशन चिन्ह लग गया है, प्रसिद्ध भुगर्भ शास्त्री प्रो. बड़क सिंह वाल्दिया, एवं प्रो. बहादुर सिंह कोटलिया ने अपनी सर्व रिपोर्ट में स्पष्ट रूप से पूर्व में ही अगाह कर दिया था कि नैनीताल शहर भुसंकलन की दृष्टि से अति संवेदनशील है इसे सुरक्षित रखने के लिए पुरे शहर को अतिभार से मुक्त रखना होगा। महोदय एन. जी. आर. आर. आई हैदराबाद के वैज्ञानिक जो जो लगातार उत्तराखण्ड पर विशेष मॉनिटरिंग कर रहे है इन्होने अपनी रिपोर्ट में 6 फरवरी 2024 तुर्की में आये भूकंप के बाद ताजा रिपोर्ट में स्पष्ट किया है कि उत्तराखण्ड में छुट फुट भूकंप लगातार आते रहते है लेकिन दो सौ वर्षों से आठ रियक्टर पैमाने का भूकंप नहीं आया है, भविष्य में भूकंप के केंद्र बिंदु होने के संकेत उत्तराखण्ड में मिल रहे है अगर आठ रियक्टर पैमाने का भूकंप उत्तराखण्ड में आ गया तो उत्तराखण्ड में बहुत बड़ी एवं खतरनाक मानवीय और प्राकृतिक रुप से गंभीर क्षति होने की प्रबल संभावना है। हमें समय पर सचेत होकर अपने शहर को बचाने के लिए बड़ी दीर्घकालीन कार्य योजना पर कार्य करना पड़ेगा, इस संदर्भ में हम आपको कुछ महत्वपूर्ण सुझाव देना चाहते है नैनीताल का पंद्रह किलोमीटर का क्षेत्र भयंकर मुसंखलन की चपेट में है जिसमें बलियानाला, माल रोड, ठंडी सडक, राजभवन मार्ग, चार्टन लॉज, चायना पीक, डोर्थी सीट (टिप्पन टॉप) आलू बेत, खुपी गाँव, रुसी गाँव के निकट राजभवन की पहाड़ी आदि। महोदय नैनीताल शहर में भुसंबलन प्रभावित क्षेत्रो में उनके रख रखाव हेतु दीर्घकालीन कार्य योजना बनाये जाने की आवश्यकता है। महोदय नैनीताल तल्लीताल का डाठ जो ब्रिटिश काल में तालाब के पानी को रोकने के लिए बाधा गया है यहीं से पूरे तालाब के पानी की निकासी होती है डाठ पर किसी भी प्रकार से छेड़छाड़ न की जाय। तल्लीताल बलिया नाला में लकड़ी कोयला टाल पर प्रस्तावित भव्य मैकेनिकल कार पार्किंग निर्माण के प्रस्ताव को अविलम्ब निरस्त किया जाए, पार्किंग निर्माण से बलिया नाला पर दबाव पड़ेगा अति भार पड़ने से तल्लीताल क्षेत्र में भारी भुसंखलन होने का खतरा उतपन्न हो जायेगा जिससे गंभीर मानवीय त्रासदी होने से इंकार नहीं किया जा सकता है।
शहर को बचाने के लिए नाले के ऊपर बन रही अनैतिक कार पार्किंग निर्माण प्रस्ताव को तुरंत रद्द करने की कृपा कीजिएगा। आपका निर्णय जनहित ही नहीं बल्कि देश हित में होगा जो नैनीताल का अस्तित्व ही नहीं बल्कि यहाँ की सभ्यता को बचाने में मिल का पत्थर साबित होगा। राज्यपाल को भेजे गए ज्ञापन में लीला बोरा मनमोहन कन्वाल, तारा सिंह बिष्ट, इसरार बेग, हरेन्द्र सिंह बिष्ट, महेश जोशी , दीवान सिंह दीवान सिंह, इंदर सिंह नेगी गणेश सिंह बिष्ट, दिनेश उपाध्याय आदि के हस्ताक्षर थे l

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