भूगोल विभाग डी एस बी परिसर द्वारा कुमाऊं विश्वविद्यालय में तीन दिवसीय हिमालय क्लाइमेट चेंज पर आयोजित की गई एक अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी।
नैनीताल l कुमाऊं विश्वविद्यालय के भूगोल विभाग के असि0 प्रोफेसर डा. पी. सी. चन्याल (ऑर्गनाइजिंग सेक्रेट्री) एवम डा. वाजिद हसन (चीफ ऑर्गनाइजिंग सेक्रेट्री), के.वी.के., जहानाबाद, पटना बिहार के संयुक्त प्रयास से भूगोल विभाग डी.एस.बी. परिसर, नैनीताल, AETDS उधम सिंह नगर, एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी चितवन नेपाल, शेरे बंगला युनिवर्सिटी बांग्लादेश, मिडवेस्ट यूनिवर्सिटी नेपाल टसर इंस्टीट्यूट रांची, हर्बल रिसर्च एंड डेवलपमेंट इंस्टीट्यूट चमोली, सीएसबी टसर सिल्क सीड ऑर्गेनाइजेशन, बिलासपुर, छत्तीसगढ़ द्वारा संयुक्त रूप से विवेकानंद भवन, (UGC,HRDC) में तीन दिवसीय (24-26 अगस्त) अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी आयोजित की जा रही है। अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी जिसका शीर्षक “कटिंग एज सॉल्यूशंस इन साइंस – एग्रीकल्चर टेक्नोलॉजी, इंजीनियरिंग एंड ह्यूमैनिटीज (CSATEH-2024)” का शुभारंभ आज सुबह 10.00 बजे से किया गया। सम्मेलन के उदघाटन सत्र की अध्यक्षता डा. इ. करुणाश्री, डायरेक्टर ऑफ एक्सटेंशन, डा. वाई एस आर हॉर्टिकल्चर यूनिवर्सिटी, के द्वारा की गई। सम्मेलन सत्र के दौरान प्रो. श्रीमति नीता बोरा, निदेशक डी एस बी परिसर नैनीताल, कला संकाय अध्यक्ष प्रो. पदम बिष्ट, डा. दिव्या जोशी, डा. करण सिंह धामी (नेपाल), डा. हरिकेश सिंह (उत्तर प्रदेश), डा. अली आर ए मुर्सी (मिस्र) सम्मानित प्रोफेसर गेस्ट ऑफ ऑनर रहे। सभी द्वारा कॉन्फ्रेंस का सोविनियर प्रकाशित किया गया, अतिथियों का स्वागत भूगोल विभाग के अध्यक्ष प्रो. आर सी जोशी द्वारा किया गया। सत्र में अतिथियों का धन्यवाद भूगोल विभाग के असिस्टेंट प्रोफेसर पी.सी.चनयाल (ऑर्गनाइजिंग सेक्रेट्री) द्वारा दिया गया तथा ऐसे अंतराष्ट्रीय सेमिनार आयोजित करने के लिए प्रेरणा और सहयोग करने हेतु माननीय कुलपति कुमाऊं विश्वविद्यालय का विशेष आभार व्यक्त किया गया। इस सेमिनार के अंतर्गत जलवायु परिवर्तन, ग्लोबल वार्मिंग के प्रभाव का हिमालय के कृषि, ग्लेशियर, जल संसाधन, एवम आपदाओं पर होने वालें विशेष प्रभावों पर चर्चा की गई। मुख्य अतिथि इ. करुणाश्री द्वारा चिंता जताई गई की जलवायु परिवर्तन का मुख्य प्रभाव कृषि आधारित फसलों पर नकारात्मक रूप से पड़ रहा है जो अब पोषक तत्वों की कमी के रूप में सामने आ रहा है।यह भविष्य में मानवता के लिए संकट उत्पन्न होने की स्थिति होगी, प्रोफेसर प्रोफेसर चन्याल की DST प्रोजेक्ट की रिसर्च टीम ( डा. पी. सी. चन्याल, सौरभ चमोली, डा. कैलाश चंद्र, अक्षय सिंह एवम विश्लेश्वर) द्वारा नैनीताल टाऊन के वर्तमान परिस्थिति के डाटा बेस मैनेजमेंट सिस्टम द्वारा सेटेलाइट आंकड़ों से सुदूर संवेदन के आधुनिक तकनीक द्वारा विभिन्न संवेदनशील विषयों पर चर्चा की जो रिपोर्ट DST को 2025 में सौंपी जानी है। जो सेमिनार का मुख्य आकर्षण का केंद्र रहा । टीम द्वारा हिमालय में जनसंख्या वृद्धि, ग्लेशियर, वन संसाधन, कृषि में शोध हेतु सैटेलाइट आंकड़ों एवम रिमोट सेंसिंग की आधुनिक तकनीकों के प्रयोगों को दर्शाया गया। इस सम्मेलन में देश विदेश के लगभग 825 प्रतिभागियों द्वारा ऑफलाइन और ऑनलाइन प्रस्तुतीकरण हेतु पंजीकरण कराया गया, विभिन्न विषयों,भूगोल, अर्थशास्त्र, समाजशास्त्र, कृषि, इंजीनियरिंग, फिजिक्स, होमसाइंस, बॉटनी आदि के प्रोफेसर, रिसर्च स्कॉलर इत्यादि ने भाग लिया तथा अपने अपने शोध अध्ययन प्रस्तुत किए।
सभी शोधकर्ताओं ने जलवायु परिवर्तन के होने वाले प्रभावों की चिंता जताते हुए उससे बचने के सुझाव रिपोर्ट भारत सरकार तथा राज्य सरकारों को सौंपने की पहल की है ।। वर्तमान में शोधकर्ताओं से अधिक इस हेतु आम जनमानस को सोचने और उसे अमल में लाने की आवश्यकता है और साथ ही भारत जैसे देश को अपने बजट और मुद्दों पर जलवायु परिवर्तन को विशेष रूप से जगह देनी की आवश्यकता है । अंतराष्ट्रीय प्रतिभागी नेपाल, बांग्लादेश, मिस्र, सीरिया एवं श्रीलंका से आए तथा भारत के लगभग सभी राज्यों मणिपुर , आंध्रप्रदेश, बिहार , मध्य प्रदेश, कर्नाटक , केरल , उत्तराखंड, हिमाचल, बिहार , महाराष्ट्र, राजस्थान, पंजाब, जम्मू कश्मीर आदि प्रतिभागी भाग ले रहे हैं l सभी प्रतिभागियों द्वारा भूगोल विभाग के द्वारा इस कार्यक्रम के माध्यम से विद्वानों को मंच देने हेतु सराहा गया ।