सीवर-गंदगी जाने से कम हो रही झील के पानी की पारदर्शिता

नैनीताल। नैनीताल के विभिन्न क्षेत्राें में बह रहे सीवर व नालों से गंदा पानी पहुंचने से झील की पारदर्शिता में 25 सेंटीमीटर की कमी आई है। पंतनगर विश्वविद्यालय के मत्स्य विभाग के विशेषज्ञों के शोध में यह बात सामने आई है। विशेषज्ञों ने पानी के नमूने परीक्षण के लिए लैब भेजे हैं। नैनीताल में लंबे समय से सीवर व घरों का गंदा पानी नालों के रास्ते झील में समा रहा है। जिससे झील का पानी प्रदूषित हो रहा है। पंतनगर विवि के मत्स्य विभाग के वैज्ञानिकों के शोध में पता चला कि नैनी झील के पानी का सैंपल लगातार लेने के बाद पता चला है कि इसकी पारदर्शिता कम हो रही है।
बीते एक वर्ष तक परीक्षण में नैनी झील के पानी की गुणवत्ता ठीक थी, इन दिनों झील का पानी प्रदूषित हो गया है। विवि के वैज्ञानिक प्रो. आशुतोष मिश्रा ने बताया कि मंगलवार को पानी के नमूने लिए गए। इसमें पानी की पारदर्शिता में कमी पाई गई है। पूर्व परीक्षणों में पारदर्शिता 150 सेमी दर्ज की गई थी, लेकिन मंगलवार को यह करीब 125 सेमी दर्ज की गई। सीवर या नालों से झील में पहुंचने वाला गंदा पानी इसका कारण हो सकता है। पानी के परीक्षण के लिए नमूने लैब में भेजे गए हैं।