दून विश्वविद्यालय में उत्तराखंड राज्य की रजत जयंती के अवसर पर गायन, लोक नृत्य एवं शास्त्रीय नृत्य प्रतियोगिता का आयोजन किया गया.

नैनीताल l उत्तराखंड राज्य की रजत जयंती के उपलक्ष्य में दून विश्वविद्यालय में लोकगीत एवं लोकनृत्य तथा शास्त्रीय नृत्य प्रतियोगिता का भव्य आयोजन किया गया। इस अवसर पर विश्वविद्यालय के विभिन्न विभागों के छात्र-छात्राओं ने उत्साहपूर्वक भाग लेकर अपनी सांस्कृतिक प्रतिभा का प्रदर्शन किया। कार्यक्रम का उद्देश्य उत्तराखंड की समृद्ध लोकसंस्कृति को प्रोत्साहित करना और युवा पीढ़ी में लोक परंपराओं के प्रति जागरूकता बढ़ाना था। प्रतियोगिता में प्रस्तुत किए गए लोकनृत्य एवं लोकगीतों ने प्रदेश की विविध लोकधाराओं — गढ़वाली, कुमाऊँनी और जौनसारी संस्कृति — की झलक प्रस्तुत की। कार्यक्रम की अध्यक्षता दून विश्वविद्यालय की कुलपति प्रोफेसर सुरेखा डंगवाल ने की। उन्होंने कहा कि “उत्तराखंड की लोकसंस्कृति हमारी पहचान है, और ऐसे आयोजन युवाओं को अपनी जड़ों से जोड़ने का माध्यम बनते हैं।” कार्यक्रम के संयोजक प्रोफेसर राजेश कुमार ने प्रतियोगिता के आयोजन की रूपरेखा प्रस्तुत की और प्रतिभागियों के उत्साह की सराहना की। सह–संयोजक डॉ. चेतना पोखरियाल ने कहा कि इस प्रकार की प्रतियोगिताएँ विद्यार्थियों के सर्वांगीण विकास में सहायक होती हैं। विश्वविद्यालय के डी.एस.डब्ल्यू. प्रोफेसर एच.सी. पुरोहित ने कहा कि लोक कला हमारी सामाजिक एकता और सांस्कृतिक विरासत की धरोहर है। कुलसचिव श्री दुर्गेश डिमरी ने भी अपने विचार रखते हुए कहा कि ऐसे आयोजन विद्यार्थियों के सर्वांगीण विकास के लिए अत्यंत आवश्यक हैं।

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