प्रताप भैय्या जी( पुण्यतिथि पर विशेष)बहु आयामी व्यक्तित्व….. स्मृतियों के झरोखों से….

आलेख व संकलन –
बृजमोहन जोशी।

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नैनीताल। .. प्रताप भैय्या जी का जन्म आन सिंह जी श्रीमती पार्वती जी के घर में १० दिसम्बर १९३० को ग्राम च्यूरीगाड़ में हुआ। आन सिंह जी एक सामान्य कृषक थे। किन्तु गांधी जी कि विचार धारा के प्रति समर्पित थे।
आपकी प्रारम्भिक शिक्षा नारायण स्वामी हाई स्कूल रामगढ़ से उच्च शिक्षा लखनऊ विश्वविद्यालय से हुई। विश्वविद्यालय प्रवास के दौरान आप तत्कालीन कुलपति आचार्य नरेन्द्र जी के सम्पर्क में आए और वहां से आपकी विचारधारा और महत्वकांक्षाओं को एक नयी दिशा प्राप्त हुई। भैय्या जी कभी भी किसी क्षेत्र विशेष के दायरे तक सीमित नहीं रहे, जिस प्रकार उनका व्यक्तित्व, धर्म, जाति तथा सम्प्रदाय की सीमाओं से मुक्त है उसी प्रकार उनके कार्य कलाप भी राजनीति, शिक्षा तथा समाज सेवा की विभिन्न विधाओं तक व्याप्त है।
सन् १९५७ में आप खटीमा क्षेत्र से और सन् १९६७ के चुनाव में नैनीताल क्षेत्र से विधानसभा के लिए निर्वाचित हुए।और स्वास्थ्य सहकारिता मंत्री का कार्य भार सम्हाला लोक तंत्र और समाज वाद उनकी नस-नस में था। उनका हर कार्य लोक तांत्रिक रहता। शिक्षा के क्षेत्र में उनका योगदान किसी से छिपा नहीं है। जात-पात और छूआ छूत किसी भी राष्ट्र की प्रगति में बाधक है और उनके शिक्षण संस्थानों में बाल सैनिकों के नाम के पिछे जाति सूचक शब्द नहीं मिलता। उन्होंने जाति सूचक शब्द को तोड़ा । उन्होंने पर्यावरण ‌संरक्षण के लिए विद्यालयों व अन्य संस्थाओं के माध्यम से जनता को
जागरूक किया । २३ अगस्त सन् २०१० को उनका‌ देहावसान हुआ। मुझे आज भी वो दिन याद है जब हमने अपने दो बहुआयामी व्यक्तित्वों ( विभूतियों) को हमने खोया था २२ अगस्त सन् २०१० को जनकवि गिरीश तिवारी गिर्दा हमारे बीच नहीं रहे और २३ अगस्त को भैय्या जी । पारम्परिक लोक संस्था परम्परा नैनीताल तथा नैनीताल के हम सभी कलाकारों, संस्कृति कर्मियों, शिक्षा के क्षेत्र से जुड़े, संगठनों से जुड़े तमाम सहयोगियों की ओर से इन विभूतियों को शत-शत नमन करते हैं अपनी श्रृद्धांजलि अर्पित करते हैं। हम सभी भैय्या जी के कृतित्व व व्यक्तित्व से भलीभांति परिचित हैं। इस जानकारी को सांझा करना और उनके शिक्षा प्रद कार्यों को अपने जीवन में अपनाना हम सब का दायित्व भी है। यहीं उनके प्रति हमारी सच्ची श्रृद्धांजलि होगी।….

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