घ्यूं सङरात अर्थात घी संक्रांति अर्थात ओगि। आलेख व छायाकार -बृजमोहन जोशी, नैनीताल।


नैनीताल। समूचे कुमाऊं अंचल में भादो माह की सङरात को अर्थात इस वर्ष दिनांक १६ अगस्त २०२४ को मनाया जाएगा घ्यूं सङरात ( घी संक्रांति) अर्थात ओगि त्यार।
घ्यूं सङरात को ओगि/ ओलगि/ सिंह सङरात के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन द्विज वर्ग के लोग एक-दूसरे को अपने अपने गुसाईयों के लिए ओगि/ ओग लाते हैं।
ओग में मौसमी फल – फूल, सांग – सब्जी, छिलुके, पत्तल, मावा के पत्तों से बनी बरसाती ( टवप ), तथा गडेरी के कोमल पत्ते ( गाब) भैट स्वरूप लाते थे।और बदले में उनसे भेंट प्राप्त करते थे।
लोक जीवन में जो व्यक्ति जिस कार्य में निपुण होता था दक्ष होता था वह अपने अपने हाथों से बनीं वस्तुओं को अपने अपने गुसाइयों के लिए भेंट स्वरूप लाते थे। मेरा यह मानना है कि यह लोक परम्परा आदान-प्रदान परम्परा का बदला हुआ रूप है। इसके मूल में एक दूसरे को भेंट देने की परम्परा जुड़ी हुई है।इस संक्रांति से एक दिन पहले मसान्त को घर घर मे अपनी अपनी
सामर्थानुसार उड़द कि दाल कि रोटियां ( बेणु रव्ट) बनायी जाती हैं। पकवान बनते हैं। जिसे घी के साथ खाने कि परम्परा है। सभी देवी देवताओं कि मूर्तियों में भी घी लगाया जाता है। घी कि टीका लगाया जाता है। घी के ही नैवेद्य बनाये जाते हैं।इस दिन खीर के साथ घी खाने की लोक परम्परा है। एक ऐसी लोक धारणा भी हमारे इस अंचल में है कि जो लोग इस दिन घी नहीं खायेगा घी का सेवन नहीं करेगा वह अगले जन्म में गनेल ( घैंघा) घैंघा किड़े कि योनि में जन्म लेगा। हमारे इस अंचल में इस माह घर घर में दूध,दही,घी की भरमार होती है और इस माह शरीर कि मांग भी होती है कि घी का‌ प्रयोग किया जाये इस कारण हमारे पूर्वजों ने ये यूक्ति निकाली कि जो लोग इस माह घी नहीं खायेगा वह गनेल कि योनि में जन्म लेगा।
इस माह वादि लोग ,औजी , लोहार, बढंई ,ओण -बारुणी, दर्जी लोग अपने अपने हाथों से बनीं वस्तुओं को उपहार स्वरूप ओग के रूप में अपने अपने गुसाईयों को भेंट स्वरूप देते थे व बदले में उनसे भेंट प्राप्त करते थे।
इस दिन परिवार के सदस्य अपने अपने भूमियां,ईष्ट देवी देवताओं के थान में जाकर इस मौसम के फल फूल, सांग सब्जी, नैवेद्य, साग सब्जी, दूध, दही, घी, पिनालु के गांव, दाड़िम, भुट्टा, कंकड़ी, आदि चढ़ाते हैं उसके बाद ही स्वयं उपयोग करते हैं। पिनालु के गांव खाने का शुभारंभ इसी दिन से होता है। भूमिया से,लोक देवी-देवताओं से प्रार्थना कि जाती है कि भविष्य में भी अच्छी फसल होती रहे। इस प्रकार यह त्योहार आपसी प्रेम सौहार्द्र, भाई चारे को बढ़ाने वाला व आपसी द्वेष को दूर करने वाला त्योहार भी है। आप सभी महानुभावों को घ्यूं सङरात कि हार्दिक बधाई व शुभकामनाएं।

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