टिफ़िन टॉप में घुड़सवारी प्रतिबंधित-घोड़ा चालकों के सामने रोज़गार का संकट

नैनीताल।टिफ़िन टॉप, जो कि शहर का एक प्रमुख पर्यटन स्थल है। ब्रिटिश काल से ही बारहपत्थर से लेकर टिफ़िन टॉप तक चार किलोमीटर के मार्ग पर घोड़ों का संचालन किया जाता है। वर्तमान समय में लगभग 94 घोड़ा चालक पर्यटकों को घुड़सवारी करवाकर अपना रोज़गार करते हैं। लेकिन बीते दिनों टिफ़िन टॉप में हुए के बाद प्रशासन ने घुड़सवारी पर प्रतिबंध लगा दिया है। यह निर्णय भूस्खलन के संभावित खतरों को देखते हुए लिया गया है। इस प्रतिबंध के कारण 94 घोड़ा चालकों के सामने रोज़गार का गंभीर संकट खड़ा हो गया है। इन चालकों की जीविका इस गतिविधि पर निर्भर है, और अब उन्हें अपने भविष्य को लेकर चिंता है। घोड़ा चालकों ने प्रशासन से आग्रह किया है कि उन्हें दो किलोमीटर बारहपत्थर से लेकर लेंडसेंड तक मार्ग पर घुड़सवारी करने की अनुमति दी जाए, जिससे कि उनकी आजीविका बनी रह सके और पर्यटकों को भी सुविधा मिले। हालांकि, प्रशासन ने अभी तक इस मांग पर कोई निर्णायक प्रतिक्रिया नहीं दी है। यह स्थिति न केवल घोड़ा चालकों के लिए चिंता का विषय है, बल्कि उनके परिवारों के भरण पोषण पर भी प्रभाव डाल सकता है। देखना होगा कि प्रशासन इस मुद्दे पर किस प्रकार की व्यवस्था करता है और इस प्रतिबंध के समाधान के लिए कितनी जल्दी कदम उठाता है। समस्त घोडा चालको ने एसडीएम को भी ज्ञापन देकर घुड़सवारी करवाने की माँग की है। घोडा चालक समिति के लोगों का कहना है कि प्रशासन की ओर से कोई निर्णय नहीं लिया गया तो वह अपने घोड़ो के साथ शांतिपूर्ण धरना प्रदर्शन करेंगे। एसडीएम प्रमोद कुमार ने कहा कि टिफ़िन टॉप में भूस्खलन प्रभावित क्षेत्र का निरीक्षण कर लिया गया है।
ज़िलाधिकारी से वार्तालाप करने के बाद कोई ठोस निर्णय लिया जाएगा। जिससे घोड़ा चालकों की समस्या का समाधान किया जाएगा।

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