” सामान्य से पूर्ण पुरुष ” गोष्ठी संपन्न, पूर्ण पुरुष जीवन में हार नहीं मानता- सुधीर बंसल


नैनीताल l केन्द्रीय आर्य युवक परिषद के तत्वावधान में “सामान्य से पूर्ण पुरुष ” विषय पर ऑनलाइन गोष्ठी का आयोजन किया गया I य़ह करोना काल से 667 वाँ वेबिनार था I मुख्य वक्ता सुधीर बंसल ने कहा कि पूर्ण पुरुष कभी हार स्वीकार नहीं करता अपितु जीत सुनिश्चित
करता है l उन्होंने इस बात पर बल दिया कि संस्कारों के वशीभूत हमारे पूर्वजों और माता-पिता ने ये लगन तो नई पीढ़ी में लगा ही दी है कि वे देश के सभ्य नागरिक बनें और सभ्य नागरिक बनने से पहले जीवन के पायदान की प्रथम सीढ़ी मनुस्मृति अनुसार एक सामान्य मनुष्य कैसे बनें, तत्पश्चात् मनुष्य जन्म के गुणावगुणों से निकलकर सामान्य से श्रेष्ठता धारण करते हुए पूर्ण पुरुष के रूप में मनुष्य कैसे विकसित हो? उन्होंने आगे उपदेश देते हुए ये बताने का प्रयत्न किया कि निर्विकार रहकर, “कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन।” के मार्ग पर आरूढ़ मनुष्य ही श्रेष्ठ और पूर्ण पुरुष कहलाने लायक है जिसमें ईश्वर प्रणिधान, उपासना और कर्म-प्रधान मुख्य तत्व हैं। पुरुषार्थ बिना जीवन व्यर्थ है और पूर्ण पुरुष की लब्धता तीन मुख्य गुणों, यथा सतोगुण, रजोगुण और तमोगुण में से सतोगुणी, सात्विक कार्यकर्त्ता होने में है जो किसी भी तरह की आसक्तियों से मुक्त होगा। जीवन के कर्म-क्षेत्र में पराजय को स्वीकार नहीं करेगा, उत्तम और पूर्ण पुरुष के यही मूल्य हैं, यही पहिचान है।
मुख्य अतिथि आचार्य महेन्द्र भाई व अध्यक्ष आर्य नेता ओम सपरा ने भी उत्तम पुरुष के गुणों की चर्चा की l संचालन परिषद अध्यक्ष अनिल आर्य ने किया व प्रवीण आर्य ने धन्यवाद ज्ञापन किया I गायक सुमित्रा गुप्ता 97 वर्षीय, कौशल्या अरोड़ा, संतोष धर, जनक अरोड़ा, उषा सूद, कमला हंस, रचना वर्मा, प्रवीना ठक्कर के मधुर भजन हुए I

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