संस्कृत विभाग, डी एस बी परिसर, कुमाऊँ विश्वविद्यालय, नैनीताल, उत्तराखण्ड दो दिवसीय व्याख्यान का आयोजन किया गया


नैनीताल l संस्कृत विभाग, डी एस बी परिसर, कुमाऊँ विश्वविद्यालय, नैनीताल, उत्तराखण्ड दो दिवसीय व्याख्यान का आयोजन किया गया l वक्ता डॉ ० ओमकार, एसोसिएट प्रोफेसर, राजकीय महाविद्यालय, आगरा उत्तर प्रदेश ने वैदिक वाड्मय में वर्णित विज्ञान के विविध पक्षों को विद्यार्थियों के समक्ष उद्घाटित किया। तदनन्तर द्वितीय वक्ता के रूप में संस्कृत विभाग, दिल्ली विश्वविद्यालय, दिल्ली के डॉ ० राजमंगल यादव ने वैदिक वाड्मय में वर्णित भारतीय संस्कृति के तत्वों को उद्घाटित करते हुए उसमें वर्णित पारिवारिक एवं सामाजिक जीवन पर विस्तार के साथ प्रकाश डाला। इस व्याख्यान के अन्तर्गत कुमाऊँ विश्वविद्यालय, नैनीताल के डी एस बी परिसर के विभिन्न संकायों के विभिन्न विभागों के लगभग 300 विद्यार्थी सभागार में उपस्थित रहे।
इसी प्रकार द्वितीय दिन के व्याख्यान के अवसर पर दिनाँक 17/04/2025 को डॉ ० ओमकार ने अपना व्याख्यान वैदिक वाड्मय में वर्णित विज्ञान के तत्वों को अधिकृत करके दिया। उन्होंने ने कहा कि आज के परिप्रेक्ष्य में वेदागों के पठन -पाठन की महती आवश्यकता है। वेदागों के अध्धयन से जहाँ एक ओर हमें भाषा वैज्ञानिक तत्थ्यों की जानकारी होती है वहीं दूसरी ओर शब्द निर्माण के बारे में भी जानकारी प्राप्त होती है। वेदागों का ज्ञान हमें जहाँ यज्ञीय कर्मकाण्डीय व्यवस्था से अभिभूत करता है वहीं खगोलशास्त्रीय,ज्योतिषशास्त्र एवं वास्तुशास्त्र के ज्ञान से अभिसिंचित करता है। अपने द्वितीय दिवस के व्याख्यान में डॉ ० राजमंगल यादव ने वैदिक वाड्मय में वर्णित समाज एवं परिवार व्यवस्था का परिचय कराते हुए तत्कालीन पारिवारिक जीवन के महत्व, वैदिक जनराज्य, तत्कालीन प्रशासनिक व्यवस्था, भौगोलिक स्थिति, वैदिक कालीन आर्थिक जीवन, वैदिक ऋषि एवं ऋषिकाओं की मानवजीवन में महत्वपूर्ण भूमिका को निरूपित किया। इसके साथ ही साथ डॉ ० यादव ने वैदिक कालीन गुरुकुल परम्परा एवं उसके महत्व को बतलाते हुए वैदिक शिक्षा, शिक्षा के छ: घटक तत्वों- यथा- शिक्षक, शिक्षार्थी, शिक्षा के केन्द्र, शिक्षा के विषय तथा माता- पिता एवं समाज के अन्य सदस्यों की विद्यार्थियों के निर्माण में कैसी महत्वपूर्ण भूमिका है, इस पर प्रकाश डाला तथा वैदिक यज्ञों का महत्व, प्रमुख यज्ञ यथा- दर्शपौर्णमास, सोम यज्ञ, सर्वमेध यज्ञ, वाजपेय यज्ञ, राजसूय यज्ञ, सौत्रामणि यज्ञ तथा अश्वमेध यज्ञ आदि के महत्व को उद्घाटित किया। द्वितीय दिवस के व्याख्यान में भी लगभग 300 विद्यार्थियों ने भाग ग्रहण किया। इस महत्वपूर्ण व्याख्यान का आयोजन संस्कृत विभाग, डी एस बी परिसर, कुमाऊँ विश्वविद्यालय, नैनीताल की अध्यक्ष प्रोफेसर जया तिवारी जी के संयोजकत्व एवं नेतृत्व में किया गया। इस व्याख्यान के सह-संयोजक के रूप में विभाग की आचार्या डॉ ० लज्जा पन्त, डॉ ० सुषमा जोशी एवं कार्यक्रम का संचालन डॉ ० प्रदीप कुमार ने किया। कार्यक्रम का समापन डॉ ० सुषमा जोशी के धन्यवाद ज्ञापन के साथ हुआ।

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