वैदिक दृष्टि में नमस्ते,कृपया, धन्यवाद विषय पर गोष्ठी संपन्न, सबसे श्रेष्ठ नमन का प्रकार नमस्ते है- आर्य रवि देव गुप्त, अभिवादन करने वाले की आयु विद्या यश और बल यह चारों नित्य बढ़ते हैं-ओम सपड़ा

नैनीताल l केंद्रीय आर्य युवक परिषद् द्वारा ऑनलाइन वैदिक दृष्टि में नमस्ते,कृपया,धन्यवाद विषय पर योगी प्रवीण आर्य की अध्यक्षता में गोष्ठी आयोजन किया गया।कोरोना काल से यह 712 वाँ वेबीनार था।मुख्य वक्ता आर्य रवि देवगुप्त ने कहा कि सबसे श्रेष्ठ नमन का प्रकार नमस्ते है।नमस्कार किसी के सम्मान को अभिव्यक्त करना है यह संघ में प्रचलित है जो की अधूरा है कुछ लोग हाथ मिलाकर भी करते हैं जो की कोरोना में इसी से बचते रहे यह श्रेष्ठ प्रक्रिया नहीं दोनों हाथ जोड़कर या हाथ उठाकर अभिवादन या चरण वंदन करते हैं या साष्टांग दंडवत प्रणाम करते हैं या कमर झुका कर मुख से बोलकर करते हैं।
ईश्वर की उपासना में मानसिक रूप से समर्पण करते हैं जिसमें आत्मा की पुकार होती है इसमें मेरुदंड का व्यायाम भी हो रहा है जिसका नमन कर्ता को लाभ भी हो रहा है हर व्यक्ति अपने प्रांत की भाषा में अपने पंथ के आधार पर नमन करता है इससे अहं का भाव होता है कि वह किस प्रांत किस मत का अनुयाई है।
आर्यावर्त देश में जब तक नमस्ते का प्रचलन था लोग संगठित थे। महाभारत काल तक योगेश्वर कृष्ण ने, दुर्गा पाठ में,आरएसएस ने भी राष्ट्रीय प्रार्थना में नमस्ते कहा है,यह हमारी सांस्कृतिक धरोहर है जोकि समाज क़ो जोड़ती है।लेकिन हम सब पंथ के व्यक्ति हो गए सबके ईश्वर अलग हो गए, विचार अलग हो गए।धर्म की तरह नमस्ते भी हर व्यक्ति को एक दुसरे से जोड़ती है जब से यह परंपरा विखंडित हो गई तब से सबके नमन, ईश्वर,आचार विचार,व्यवहार, ग्रंथ अलग-अलग हो गए।सत्य सनातन धर्म के अनुयाई नमस्ते करते हैं सामने वाला भी नमस्ते करता है संगठन और विखंडन नमन से होता है।संसार में आज जो धर्म के प्रतीक नजर आते हैं वास्तव में वह धर्म नहीं पंथ हैं। शिकागो के सम्मेलन में पंडित अयोध्या प्रसाद मिश्र ने कहा था कि वेदों में नमस्ते शब्द का प्रयोग है रामायण काल में,महाभारत काल में भी इसका प्रयोग नमः ते हुआ है इसमें आयु भी कवर्ड है मैं आपको नमन करता हूं बड़ा छोटे से छोटा बड़े से नमस्ते कर सकता है। दोनों हाथ जोड़कर हृदय के पास रखकर सिर झुकाकर नम: ते आपका नमन सामने वाला भी उसी प्रकार नमन करता है बड़े का सम्मान बराबर वाले का स्वागत और छोटे को आशीर्वाद और दुश्मन को भी नमस्ते करेंगे स्त्री को,पुरुष को, बच्चों को इसमें सब समावेश है जिस तरह माला के मणकों को एक सूत्र पिरोकर रखता है उसी तरह नमस्ते सबको पिरो कर रखती है/जोड़कर रखती है वक्ता ने वैज्ञानिक दृष्टिकोण से भी बताया कि यह चेहरे की कांति को बढ़ाते हैं। नमस्ते पूरा वाक्य है। नेपाल का राष्ट्रीय अभिवादन नमस्ते है कोरोना काल में भी सबको यह सिखा दिया।वक्ता ने नमन की पूर्ण प्रक्रिया को पूर्ण करने के लिए दृष्टिकोण दिया। यह पब्लिक रिलेशन एक्सरसाइज है। शिष्टाचार के नाते धन्यवाद करना आवश्यक है।निराभिमान होकर कृतज्ञता का ज्ञापन कर रहा हूं यही मनुष्यता है।यह जादुई प्रभाव है।दूसरे पर मन की निर्मलता निराभिमानता है।शिकायती व्यक्ति अशांत रहता है।धन्यवाद लुब्रिकेंट का कार्य करता है। मुख्य अतिथि ओम सपरा ने बताया कि नमस्ते का मतलब है मैं आपके सामने झुकता हूं मन के उद्गार व्यक्त करने के लिए दूसरे को प्रसन्न करने के लिए कवि कविता की रचना क्यों करता है हमारी बुद्धि का परिष्कार करने के लिए उन्होंने बताया कि अभिवादन करने वाले की आयु, विद्या, यश और बल यह चारों नित्य बढ़ते हैं और उस पर प्रभु की अपार कृपा भी बनी रहती है। गायिका कुसुम भंडारी, सुमित्रा गुप्ता, परवीना ठक्कर,रविंद्र गुप्ता, जनक अरोड़ा,चारु गर्ग आदि ने ईश्वर भक्ति के गीतों क़ो सुनाकर श्रोताओं को मंत्र मुक्त कर दिया। मंच का कुशल संचालन राष्ट्रीय अध्यक्ष अनिल आर्य ने किया और प्रांतीय अध्यक्ष योगी प्रवीण आर्य ने धन्यवाद ज्ञापन किया।


