एरीज और ग्राफिक एरा हिल यूनिवर्सिटीने संयुक्त रूप से छठे क्षेत्रीय रेडियो विज्ञान सम्मेलन का आयोजन किया

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नैनीताल। नैनीताल स्थित आर्यभट्ट प्रेक्षण विज्ञान शोध संस्थान (एरीज) और ग्राफिक एरा हिल यूनिवर्सिटी, देहरादून ने संयुक्त रूप से 22 से 25 अक्तूबर तक भीमताल में यूआरएसआई व आरसीआरएएस सम्मेलन के छठे संस्करण की मेजबानी कर रहे हैं। सम्मेलन में देशभर से लगभग 400 शोधकर्ता भाग ले रहे हैं। एरीज के निदेशक एवं सम्मेलन के संयोजक डॉ. मनीष नाजा ने प्रतिनिधियों का स्वागत करते हुए कहा कि हमारे जीवन में, रेडियो तरंगों का उपयोग कई तकनीकों में होता है, जैसे वाई-फाई नेटवर्क, संचार उपग्रह, सैटेलाइट नेविगेशन और चिकित्सा। इन तकनीकों के अलावा रेडियो तरंगों का विज्ञान में विभिन्न क्षेत्रों में भी महत्वपूर्ण योगदान है, जिसमें प्लाज्मा भौतिकी, खगोल विज्ञान और पृथ्वी के निकट के अंतरिक्ष वातावरण शामिल हैं। कहा कि रेडियो विज्ञान के क्षेत्र में अध्ययन, अनुसंधान, अनुप्रयोग और वैज्ञानिक विचारों का आदान-प्रदान क्षेत्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर किया जाना महत्वपूर्ण है। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर इस कार्य को इंटरनेशनल यूनियन ऑफ रेडियो साइंस की ओर से किया जा रहा है। कहा कि भारत में रेडियो विज्ञान के प्रसार और युवाओं में इस क्षेत्र के प्रति रुचि उत्पन्न करने के लिए इंडियन रेडियो साइंस सोसाइटी कार्यरत है। हर दो साल में आयोजित क्षेत्रीय रेडियो विज्ञान सम्मेलन रेडियो विज्ञान के 10 प्रमुख क्षेत्रों को कवर करता है। सम्मेलन में देशभर से लगभग 400 शोधकर्ता भाग ले रहे हैं। इस सम्मेलन के लिए 500 से अधिक पेपर प्राप्त हुए हैं।
बताया कि इससे पहले के सम्मेलन पुणे, दिल्ली, तिरुपति, वाराणसी और इंदौर में आयोजित किए गए थे। इस दौरान इंडियन रेडियो सोसाइटी के प्रो. एस. अनंतकृष्णन, ग्राफिक एरा हिल यूनिवर्सिटी के उपाध्यक्ष प्रो. कज़ुया कोबायाशी, आयोजन समिति के अध्यक्ष प्रो. अमिताभ सेन गुप्ता व ग्राफिक एरा हिल यूनिवर्सिटी के कुलपति प्रो. संजय जस्सोला ने भी अपने विचार रखे।

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