यूथ कैम्प ‘चुनौतियों से पार पाने के लिए उनसे टकराना जरूरी-आर. जे. देवांगना

देहरादून l यूथ कैम्प के सातवें दिन की शुरुआत भी प्रतिदिन की तरह हर्ष और उत्साह के साथ हुई, बेहतर ढंग से देखने, सुनने, लिखने, सोचने और उसे अभिनय, शब्दों, फोटोग्राफी सहित तमाम रचनात्मक तरह से अभियक्त करने के तरीकों को सीखने, समझने के लिए देहरादून के युवाओं के साथ सातवें दिन के यूथ कैम्प का आगाज भी पहले की ही भांति अज़ीम प्रेमजी फाउंडेशन तरला आमवाला परिसर में एक खुशनुमा माहौल में हुआ, यूथ कैम्प के सातवें दिन दून विश्वविद्यालय के प्रोफ़ेसर डॉ.अजीत पंवार के निर्देशन में पहले स्लॉट थियेटर वर्कशॉप में युवाओं ने दो टोलियाँ बनायीं जिसमें मुंशी प्रेमचंद की दोनों कहानियों जिसमें धार्मिक वैमनस्यता को उजागर करती ‘हिंसा परमो धर्मः ’तथा जातीय ऊँच-नीच की भावना की बुराई को सामने लाती कहानी ‘दूध का दाम’ की अलग-अलग समूहों में पहले की तैयारियों के आधार पर प्रस्तुति दी | दोनों कहानियों के सूत्रधारों और पात्रों ने कहानी के दृश्यों की प्रस्तुति में अपनी भूमिका को निभाने का सफल प्रयास किया और दर्शकों की तालियाँ भी बटोरीं, डॉ.पंवार ने कहा कि अभिनय सीखना और कथानक के अनुरूप प्रस्तुति दे पाना काफी अभ्यास और समय की मांग करता है किन्तु कैम्प में शामिल युवाओं ने इतने कम समय में अपने अभिनय द्वारा अपनी प्रतिभा साबित करने का जो प्रयास किया है वह निश्चित ही सराहनीय है, यूथ कैम्प के दूसरे स्लॉट में मशहूर रेडिओ जॉकी देवांगना चौहान से फाउंडेशन की सदस्य रीना ठाकुर की बातचीत काफी अच्छी रही .रीना ठाकुर से बात करते हुए जहाँ देवांगना ने बताया कि अपने विद्यार्थी जीवन में यद्यपि वह एक औसत स्टूडेंट रही किन्तु परिस्थितियों से टकराने और आगे बढ़ने का जूनून उसमें हमेशा कायम रहा ,एक रेडिओ जॉकी बनने से पहले छोटे-छोटे स्टेज परफार्मेंस देते हुए जहाँ वह अपने कैरियर की ओर बढ़ने का प्रयास कर रही थी वहीँ कैंसर से जूझती अपनी मां का सहारा बनना समय की आवश्यकता थी. देवांगना ने रेड ऍफ़ एम् लखनऊ से अपने कैरियर के शुरूआत से लेकर रेडिओ दुबई और फिर कोरोनाकाल में देहरादून आने तक की यात्रा को सबके सामने रखा, उसने कहा कि जीवन में हमेशा सब कुछ वैसा ही नहीं होता जैसा हम सोचते हैं ,जीवन में बहुत सारी चुनौतिया आती हैं और उनसे पार पाने के लिए उनसे बार-बार टकराना भी पड़ता है. देवांगना के अपने जादुई अंदाज में अपनी यात्रा के पडावों को सामने रखने के क्रम में दर्शकों से खचाखच भरा गंगा सभागार उसके द्वारा हर परिस्थिति में अपने जूनून को कायम रखने की जद्दोजहद और उसके बाद सफलता मिलने की बातों पर बार -बार तालियों से गूंजता रहा, देवांगना ने अपने जीवन की शून्य से शिखर की यात्रा के खट्टे–मीठे अनुभव जिस सहजता से रखते हुए चुनौतियों से टकराने की प्रेरणा दी वह सराहनीय रहा, एक सफल रेडिओ जॉकी, कुशल अभिनेत्री एवं मंचीय कार्यक्रमों की सफल प्रस्तुति तथा कंटेंट राइटर के रूप अपनी पहचान कायम करने वाली आर.जे . देवांगना ने अपने प्रोफेशनल लाइफ के बारे में सहज संवाद करते हुए एक महिला होने के नाते भी आने वाली चुनौतियों पर भी बेबाकी से अपना पक्ष रखा.. प्रस्तुति और प्रक्रिया की दृष्टि से आज के दोनों सत्र काफी प्रभावी रहे.
अज़ीम प्रेमजी फाउंडेशन देहरादून के डिस्ट्रिक्ट कोऑर्डिनेटर रबीन्द्र जीना ने बताया कि सात दिनों तक चले इस यूथ कैम्प का समेकन कार्यक्रम 1 जुलाई को सायं 4 से 6 बजे के मध्य अज़ीम प्रेमजी फाउंडेशन तरला आमवाला परिसर में संपन्न होगा, इसमें डॉ. अजित पंवार के निर्देशन में मुंशी प्रेमचंद की दोनों कहानियों ‘हिंसा परमो धर्मः’ तथा ‘दूध का दाम’ का कैम्प में शामिल युवाओं द्वारा मंचन किया जायेगा, इस अवसर पर यूथ कैम्प के सातों दिनों में शामिल सभी युवा प्रतिभागी और विभिन्न सत्रों में में युवाओं से संवाद करने वाले विषय विशेषज्ञ और फाउंडेशन के साथी उपस्थित रहेंगे, इस सत्र में हम युवाओं के भविष्य में उनके क्षमता संवर्धन को लेकर खुला संवाद करेंगे.
18 जून को प्रारम्भ हुआ यह यूथ कैम्प 24 जून तक विविध रोचक गतिविधियों के साथ जारी रहा, इस यूथ कैम्प में देहरादून शहर के 18 से 30 वर्ष के सैकड़ों युवाओं ने शामिल होकर जहाँ विविध रोचक गतिविधियों का आनंद लिया वहीँ सातों दिनों में अलग-अलग विषय विशेषज्ञों ने युवाओं के साथ सहज संवाद एवं रोचक गतिविधियों के माध्यम से उनके क्षमता संवर्धन में अपना योगदान दिया, आमंत्रित विशेषज्ञों के अलावा फाउंडेशन के सदस्य अर्चना थपलियाल, प्रदीप डिमरी, मंजीत सिंह , गणेश बिष्ट, शिखा नयन प्रिया जायसवाल, मोहन पाठक एवं अशोक मिश्र आदि कैम्प को सफल बनाने में निरंतर जुटे रहे, इस कैम्प में युवाओं की प्रतिभागिता निःशुल्क रही .


