कुमाऊँ विश्वविद्यालय के तीसरे कैंपस के लिए 26.4 एकड़ भूमि हस्तांतरण – मेरु योजना के तहत नए विभाग स्थापित होंगे
नैनीताल l कुमाऊँ विश्वविद्यालय ने अपने विस्तार की दिशा में एक बड़ी उपलब्धि हासिल की है। उत्तराखंड सरकार ने पाटवडांगर में 26.4 एकड़ भूमि विश्वविद्यालय को हस्तांतरित कर दी है। राजस्व बंदोबस्त की सभी कार्रवाई पूर्ण हो चुकी है और यह भूमि अब राज्य के राजस्व रिकॉर्ड में कुमाऊँ विश्वविद्यालय, नैनीताल के नाम दर्ज हो चुकी है।
कुलपति प्रो. दीवान एस. रावत ने बताया कि तीसरे कैंपस की स्थापना जल्द ही शुरू होने वाली है। उन्होंने यह भी बताया कि मेरू योजना के तहत इस कैंपस में विभागों को स्थापित और विकसित किया जाएगा। यह विश्वविद्यालय के लिए एक महत्वपूर्ण और बड़ी उपलब्धि है, जो उच्च गुणवत्ता वाली शिक्षा और अनुसंधान को बढ़ावा देगा। इस अवसर पर कुलपति प्रो. रावत ने उत्तराखंड के माननीय मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी का विशेष रूप से आभार व्यक्त किया, जिन्होंने विश्वविद्यालय के शैक्षणिक विकास और विस्तार में निरंतर सहयोग और समर्थन प्रदान किया है। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री की दूरदर्शी नीतियों और शैक्षिक दृष्टिकोण के कारण ही कुमाऊँ विश्वविद्यालय को यह नई पहचान और प्रगति का अवसर प्राप्त हुआ है।
विश्वविद्यालय इस नए कैंपस में प्रारंभिक स्तर पर चार प्रमुख विभाग खोलने की योजना बना रहा है। इसमें शामिल हैं: हिमालयी औषधीय पौधों में उत्कृष्टता केंद्र (सेंटर फॉर एक्सीलेंस इन हिमालयन मेडिसिनल प्लांट्स), जो क्षेत्रीय और राष्ट्रीय स्तर पर अनुसंधान और विकास को बढ़ावा देगा; बायोमेडिकल साइंस संकाय (फ़ैकल्टी ऑफ बायोमैडिकल साइन्स), जो आधुनिक चिकित्सा विज्ञान और अनुसंधान में छात्रों को प्रशिक्षण देगा; नैनो टेक्नोलॉजी विभाग (डिपार्टमेंट ऑफ़ नैनोटेक्नोलॉजी), जो अत्याधुनिक अनुसंधान और विकास के लिए समर्पित होगा; और उन्नत कंप्यूटिंग तथा केंद्रीकृत उपकरण सुविधा केंद्र (सीआईएफ– सेंटर फ़ॉर एडवांस्ड कंप्यूटिंग एंड सेंट्रलाइज्ड इंस्ट्रुमेंटल फैसिलिटी), जो तकनीकी और वैज्ञानिक अनुसंधान के लिए आधुनिक उपकरण प्रदान करेगा।कुमाऊँ विश्वविद्यालय का तीसरा कैंपस मेरु योजना के तहत स्थापित किया जा रहा है और यह हिमालयी औषधीय पौधों, बायोमेडिकल साइंस, नैनो टेक्नोलॉजी और उन्नत कंप्यूटिंग के क्षेत्रों में छात्रों और शोधकर्ताओं के लिए नए अवसर खोलेगा। विश्वविद्यालय की शिक्षा और अनुसंधान के क्षेत्र में एक बड़ी उपलब्धि है।