ऋग्वेदादि भाष्य भूमिका अद्भुत देन” पर गोष्ठी संपन्नवेद पढ़ने में ऋग्वेदादि भाष्य भूमिका सहायक है-अतुल सहगल

नैनीताल l केन्द्रीय आर्य युवक परिषद के तत्वावधान में “ऋग्वेदादिभाष्य भूमिका” विषय पर ऑनलाइन गोष्ठी का आयोजन किया गया I य़ह करोना काल से 616 वां वेबिनार था I वैदिक प्रवक्ता अतुल सहगल ने कहा कि महर्षि दयानन्द सरस्वती जी की विश्व को यह पुस्तक अद्भूत देन है I उन्होंने भूमिका के रूप में कुछ तथ्य और विचार प्रस्तुत किये l तत्पश्चात ऋषि दयानन्द के ही शब्दों को उद्धरित करते हुए इस बात को विस्तार से सामने रखा कि वेदों के अध्ययन से पूर्व एक भूमिका की क्यों आवश्यकता है l इस प्रकार की भूमिका सामान्य मनुष्य को वेद जैसे ईश्वर प्रदत्त ग्रन्थ को पढ़ने और ठीक प्रकार से समझने के लिए तैयार करती है l बिना इस भूमिका को ग्रहण किये साधारण मनुध्य वेद मन्त्र के अर्थ और मर्म तक नहीं पहुँच सकता l वेद मानव कृत ग्रन्थ नहीं हैं और न ही उनमें कोई इतिहास है l भूमिका पढ़ के साधारण मनुष्य वेदों के स्वरुप और उनकी विशिष्ट शैली से परिचित हो जाता है l फिर वेद मन्त्रों को ग्रहण करने के लिए भाषा और व्याकरण की जानकारी भी आवश्यक है l इस जानकारी के अभाव में वेद मन्त्र के अर्थ को ही ग्रहण करना असंभव सा है l मर्म तो बहुत गहरी चीज़ है l इस कमी की पूर्ति के लिए ही स्वामी दयानन्द ने इस महान ग्रन्थ को रचा l ऋषि दूरदृष्टा होते हैं l स्वामी दयानन्द ने इस समस्या का अनुमान पहले ही कर लिया था और वेदों का दिव्य सन्देश जन साधारण तक पंहुचाने के लिए यह ग्रन्थ रच दिया l हम महर्षि के कृतज्ञ हैं और ऋषि ऋण से बोझित हैं l वक्ता ने कहा कि गत 100 वर्ष के वेद प्रचार के बाद भी हम वह ऋण उतार नहीं पाए हैं और संभवतः अगले 100 वर्ष के प्रयास के बाद भी न उतार पाएंगे l
वक्ता ने अपने वक्तव्य में फिर अपने शब्दों में ऋग्वेदादिभाष्यभूमिका की महत्ता की व्याख्या करते हुए यह कहा कि यह ग्रन्थ सामान्य मनुध्य की वेद सम्बंधित भ्रान्तियों को दूर करके उसे वेद के स्वाध्याय के लिए सही मानसिक और बौद्धिक स्थिति में पंहुचाता है l
वक्ता ने तत्पश्चात इस ग्रन्थ के 41 बिभिन्न विषयों पर थोड़ा थोड़ा प्रकाश डाला और यह कहा कि महर्षि ने इस ग्रन्थ में एक विषय सूची बनायी है और इन 41 विषयों को छुआ है l इस सूची में सांसारिक जीवन के लगभग सभी विषयों का समावेश हो जाता है l वक्ता ने कहा कि महर्षि ने सब भौतिक और अभौतिक विषयों को बड़े वैज्ञानिक ढंग से प्रस्तुत करते हुए उनका वेदों से जोड़ समझाया है l वक्ता ने एक एक करके इन सब विषयों को प्रस्तुत किया — उसी संक्षिप्त तरीके से जिस प्रकार स्वामीजी ने लिखा था l
वक्ता ने यह बताया कि ऋग्वेददिभाष्यभूमिका मनुष्य को यह समझाती है कि वेद क्या हैं, क्यों हैं, किसके लिए हैं और किस प्रकार वेद वेदभाष्य की भूमिका ग्रहण करके मनुष्य वेदों को पढ़ने पढ़ाने, सुनने सुनाने और समझने समझाने के लायक हो जाता है और यह अपने आप में ही एक बहुत बड़ी बात है l
मुख्य अतिथि डॉ.गजराज सिंह आर्य व अध्यक्ष ओम सपरा वेद भाष्य के महत्व पर प्रकाश डाला I परिषद अध्यक्ष अनिल आर्य ने कुशल संचालन किया I राष्ट्रीय मंत्री प्रवीण आर्य ने धन्यवाद ज्ञापन किया I गायिका पिंकी आर्य, प्रवीना ठक्कर, कुसुम भंडारी, पूनम तनेजा, रविन्द्र गुप्ता, कौशल्या अरोड़ा, कमला हंस, सुनीता अरोड़ा आदि के मधुर भजन हुए I

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