‘कामकाजी महिलाओं का मानसिक स्वास्थ्य कारण और निवारण’ विषय पर ऑनलाइन संगोष्ठी का आयोजन किया गया

नैनीताल l विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के निर्देशानुसार ‘स्वच्छ नारी सशक्त परिवार’ अभियान के राष्ट्रव्यापी कार्यक्रम के तहत माता जिया रानी महिला अध्ययन केंद्र कुमाऊं विश्वविद्यालय द्वारा ‘कामकाजी महिलाओं का मानसिक स्वास्थ्य कारण और निवारण’ विषय पर ऑनलाइन संगोष्ठी का आयोजन किया गया I कार्यक्रम की शुरुआत कार्यक्रम की संयोजक डॉक्टर किरण तिवारी ने विषय का परिचय देकर की I उन्होंने बताया कि किस तरह नौकरी पेशा महिलाओं की भावनाओं के दबने से उनके व्यवहार में परिवर्तन आता है और उनके मानसिक स्वास्थ्य को प्रभावित करता है I डीएसबी परिसर की निदेशक और महिला अध्ययन केंद्र की डायरेक्टर प्रोफेसर नीति बोरा शर्मा ने सभी वक्ताओं और प्रतिभागियों का स्वागत किया I मैम ने बताया कि स्त्री और पुरुष दोनों साथ में समाज चलते हैं और महिलाओं के खराब मानसिक स्वास्थ्य का प्रभाव बच्चों और बुजुर्गों के साथ पूरे परिवार पर पड़ता है I उन्होंने विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर डी• एस • रावत का विशेष धन्यवाद किया कि जो समय-समय पर इस तरह के कार्यक्रमों को प्रोत्साहित करते रहते हैं I प्रोफेसर नीता बोरा ने कहा कि हम सभी ने अपनी सुरक्षा के लिए अपने चारों ओर जो दीवारों खड़ी कर ली है वही दीवारें मानसिक स्वास्थ्य की समस्या को और गंभीर बना रही है I कार्यक्रम की प्रथम वक्ता डॉ रूचि तिवारी ने बताया कि WHO की एक रिपोर्ट के अनुसार महिलाएं पुरुषों की तुलना में दो गुना तनाव और अवसाद का सामना करती है I डॉक्टर तिवारी ने आगे कहा कि 16 से 26 वर्ष की युवा महिलाएं मानसिक हेल्थ को बोझ सबसे ज्यादा उठाती हैं I उन्होंने बताया कि नौकरी पेशा महिलाएं विभिन्न भूमिकाओं से उत्पन्न होने वाले द्वंद्व के कारण मानसिक रूप से प्रभावित होती हैं I जैसे एक मां के रूप में, एक बहू के रूप में, एक पत्नी के रूप में और एक प्रोफेशनल के रूप में I उनसे समाज जो उम्मीद करता है उसे पर खरा उतरने का मानसिक तनाव बना सदैव उन पर बना रहता है I
दूसरी वक्ता गोरखपुर विश्वविद्यालय में मनोविज्ञान विभाग में कार्यरत प्रोफेसर अनुभूति दुबे थीं I प्रोफेसर दुबे ने अनौपचारिक क्षेत्र में काम करने वाली महिलाओं के मानसिक स्वास्थ्य पर पड़ने वाले प्रभाव पर प्रकाश डाला I उन्होंने बताया कि महिलाओं को समान काम होने पर भी कम वेतन मिलने के कारण मानसिक कष्ट झेलना पड़ता है I महिलाओं को कार्य क्षेत्र में हुनर होने के बावजूद जगह बनाने के लिए अपने को सिद्ध करना पड़ता है I तत्पश्चात डॉ. नवीन मिश्रा ने महिलाओं के मानसिक स्वास्थ्य के विभिन्न कारण और समाधानों का विस्तार से उल्लेख किया I उन्होंने मूलभूत चीजों जैसे व्यायाम ,जिम्मेदारी लालन पोषण आदि कर्म से होने वाले तनावों पर जोर दिया उन्होंने बताया कि महिलाओं के मानसिक स्वास्थ्य की जिम्मेदारी महिलाओं और परिवार के साथ-साथ पूरे समाज की है I
कार्यक्रम में अंत में प्रोफेसर आराधना शुक्ला अपने व्यक्तिगत अनुभव साझा करते हुए कार्य क्षेत्र में होने वाली मानसिक चुनौतियों का जिक्र किया I उन्होंने बताया कि प्रत्येक महिला को, खुद को, समाज को तथा दोनों के बीच होने वाले अंतर संबंध को समझना चाहिए, ताकि वह अपनी मानसिक शांति को बरकरार रख सके I वर्क लाइफ में बैलेंस की महत्ता को उन्होंने रेखांकित किया तथा इस बार पर जोर दिया कि महिलाओं को अपनी आवाज, अपनी भावनाओं और अपनी समस्याओं को दबाना नहीं चाहिए उनका खुलकर संप्रेषण करना चाहिए I कार्यक्रम के अंत में प्रोफेसर नीति बोरा ने सभी वक्ताओं अतिथि गण और प्रतिभागियों को कार्यक्रम सफल बनाने के लिए धन्यवाद दिया I संगोष्ठी में प्रोफेसर अनिल जोशी पूर्व विभाग अध्यक्ष इतिहास विभाग कुमाऊं विश्वविद्यालय ,प्रोफेसर ललित तिवारी निदेशक विजिटिंग प्रोफेसर निदेशालय, डॉक्टर महेंद्र राणा ,डॉक्टर हिमांशु, डॉक्टर रुचि ,डॉक्टर भूमिका प्रोफेसर कल्पना, डॉक्टर पंकज, प्रोफेसर ज्योति जोशी, डॉ दिव्या डॉक्टर इंद्र प्रसाद, आराधना. नेगी ,सत्यम तिवारी, प्रियंका सीमा ,दीप्ति ,आकांक्षा ,माया चीलवाल ,कुंदन ,पुष्पा ,कविता सलोनी ,निहारिया, डॉक्टर फरजीन ,नीतू आर्या आदि के साथ विभिन्न शोधार्थियों और महिला संगठन की प्रतिनिधियों ने भागीदारी करी l