बलिदान का पर्व वैसाखी” पर गोष्ठी संपन्न. गुरू गोविंदसिंह जी ने बलिदान की नयी परिभाषा लिखी -आर्य रविदेव गुप्ता

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नैनीताल l केन्द्रीय आर्य युवक परिषद् के तत्वावधान में “बलिदान का पर्व वैसाखी” विषय पर ऑनलाइन गोष्ठी का आयोजन किया गया।यह करोना काल से 526 वाँ वेबिनार था।
वैदिक प्रवक्ता आर्य रविदेव गुप्ता ने कहा कि बैसाखी का संबंध जहां किसान कि फसलों की कटाई के होने से हर्ष उल्लास का पर्व है इसके साथ ही 13 अप्रैल जलियांवाला बाग हत्याकांड काण्ड से जुडे होने से बलिदान का पर्व भी है।पंजाब में विशेष रूप से यह बहुत उल्लास से मनाया जाता है।उन्होंने कहा कि गुरु गोविंद सिंह जी ने खालसा पंथ कि स्थापना कर हिंदू धर्म की रक्षा की उस समय प्रत्येक परिवार से एक बेटा खालसा फौज के लिए समर्पित किया गया जिससे मुगलों के अत्याचार का मुकाबला किया जा सके।पांच प्यारे उसी क्रम में चुने गए औऱ कारवां बनता गया। आज समाज से जाति वाद प्रांतवाद का भेदभाव समाप्त करना ही गुरु गोविंद सिंह जी को सही अर्थों में श्रद्धांजलि होगीं। सिख समुदाय में सेवा भावना व लंगर लगाना विशेष गुण हैं जो प्रसंशा योग्य है।खालसा का अर्थ खालिस यानि शुद्ध व पवित्र है उसी तरह आर्य शब्द का अर्थ भी श्रेष्ठ है।
मुख्य अतिथि विपिन मित्र गुप्ता व अध्यक्ष सत्य देव आर्य ने कहा कि राष्ट्र कि वर्तमान परिस्थिति फ़िर बलिदान चाहती है जिसके लिए देश धर्म कि रक्षा के लिए युवा शक्ति को आगे आना होगा।उन्होंने कहा कि गुरुओ के बलिदान की चर्चा तो होती है लेकिन उन्हें बलिदान क्यों देना प़डा उसके कारण व जिम्मेदारी भी तय होनी चाहिए्।
विशिष्ट अतिथि सरदार हरभजन सिंह देयोल ने गुरुओं के बलिदान को नमन किया।
केन्द्रीय आर्य युवक परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष अनिल आर्य ने कहा कि हर त्यौहार कोई न कोई संदेश लेकर आता है उसे जीवन में आत्म सात करना चाहिए।
राष्ट्रीय मंत्री प्रवीण आर्य ने कहा कि वैसाखी पर्व जलियांवाला बाग अमृतसर से जुड़ा है,जनरल डायर ने निहथे लोगों पर गोलियां चलवाकर भून दिया था।हम उन महान बलिदानी भारतीयों को नमन करते है।उन्होंने धन्यवाद ज्ञापन किया।
गायिका सुनीता अरोड़ा अमृतसर, ओम सपरा, जनक अरोड़ा, सुदर्शन चौधरी, विजय खुल्लर आदि के मधुर गीत हुए।







