जल गुणों की खान है तो धरती शान है, विश्व में 30 प्रतिशत वनों की हिस्सेदारी: प्रोफेसर तिवारी
नैनीताल। कुमाऊँ विश्वविद्यालय के शोध निदेशक प्रो.ललित तिवारी, ने गुलाम बादशाह विश्वविद्यालय राजौरी,कश्मीर ,के विद्यार्थियों को विश्व वानिकी दिवस एवं विश्व जल संरक्षण दिवस पर ऑनलाइन व्याख्यान दिया। इस दौरान प्रो. तिवारी ने कहा कि 20 मार्च अर्न्तराष्ट्रीय खुशी दिवस है तो 21 मार्च विश्व वानिकि दिवस तथा 22 मार्च को अर्न्तराष्ट्रीय जल संरक्षण दिवस मनाया जाता है। उन्होने कहा कि जल गुणों की खान है तो धरती शान है,विश्व में 30 प्रतिशत वनों की हिस्सेदारी है 4 बिलियन हेक्टेअर भूमि को शोभित करतें हैं। भारत में 16 प्रकार के वन मिलतें हैं उनमें संरक्षित वन भी शामिल हैं। उत्तराखण्ड में मुख्य 9 प्रकार के वन पाए जातें हैं। उत्तरकाशी, पौडी तथा नैनीताल में 3000 किमी वर्ग में जंगल क्षेत्र है,पिथौरागढ में 6 वन पवित्र वन भी हैं जिन्हें सेक्रेड वन कहते है हाटकालिका, चामुंडा,बेताल देवता,थलकेदार,रतकाली, पशुपतिनाथ तथा गोलू देवता सेक्रेड जंगल है इन पवित्र वनों में अशोक ,बेल, पीपल,सदाबहार,मदार,कदम्ब, हरश्रृंगार सहित २१८ प्रजातियां मिलती है। प्रो. तिवारी ने कहा कि जंगलों में टिम्बर के अलावा मिलने वाले उत्पाद भी भोजन,ऊर्जा,विटामिन, खनिज स्रोत भी हैं इनमें तेदूं पत्ता,बबूल, खैर,जामुन ,चिलगौजा,काफल शामिल है। विश्व में 2.2 बिलियन लोगों को आज भी पेयजल नहीं मिल रहा है तो आधी आबादी के लिए पानी गंभीर समस्या है। विश्व स्वास्थ संगठन ने कहा कि 2025 तक 1.8 बिलियन लोग जल की समस्या से ही जूझ रहे होंगें । भारत की प्राचीन सभ्यता मोहान जोदाडों में भी जल संरक्षण का जिक्र मिलता है। तांबें तथा पीतल के बर्तन में जल को रखना तथा नाद में पानी पीना इस तरफ सकारात्मक कदम था। डॉ. तिवारी ने हिमालयी क्षेत्रों के पर्वत माउण्ट ऐवरेस्ट ,कंचनजंगा,द्यौलागिरी,नंगा पर्वत ,कामेट,नंदा देवी जो हमें सिंधु सतलज झेलम,ब्रहमपुत्र सहित हिन्दुकुश पर्वत माला से10 बडी नदियां निकलती हैं। जो भोजन एवं ऊर्जा के साथ 3बिलियन लोगों को लाभन्वित करती हैं। सयुक्त राष्ट्र ने 2011- 2020 के दशक को जैवविविद्यता संरक्षण तो 2021-2030 दशक को यूकोसिस्टम रेस्टोरियन को समर्पित किया है । ताकि 350 मिलियन हेक्टेअर भूमि को संरक्षित किया जा सके और इस कार्य में 9 ट्रिलियन डालर खर्च होंगें। सतत विकास में हमको संरक्षण एवं संतुलित जल प्रयोग को कारगर करना होगा। कार्यक्रम में डॉ. श्रीकर पंत प्रो. शाह डॉक्टर बी एस कालाकोटी डॉक्टर आशा रानी , डॉ.ममता भट्ट , डॉ. निशु, डॉ. ताहिर सहित विद्यार्थी उपस्थित रहे।