आर्य समाज नोएडा के वार्षिकोत्सव का भव्य समापन, राष्ट्रवाद की अवधारणा का शंखनाद स्वामी दयानंद ने किया-राष्ट्रीय अध्यक्ष अनिल आर्य, सत्यार्थ प्रकाश स्वामी दयानन्द की राष्ट्र को अनुपम देन-पूर्व विधायक नवाब सिंह नागर, गुरुकूल शिक्षा प्रणाली में राष्ट्र के प्रति समर्पित होने का संकल्प कराया जाता है-डा वेदपाल, स्वराज के प्रथम उद्घोषक महर्षि दयानंद- नरेन्द्र वेदालंकार
नोएडा l आर्य समाज सेक्टर 33,नोएडा का त्रिदिवसीय वार्षिकोत्सव सोल्लास संपन्न हो गया।वैदिक विद्वान डा.जयेंद्र आचार्य के ब्रह्मत्व में 51 कुण्डीय विश्वशांति सौहार्द महायज्ञ सम्पन्न हुआ।मुख्य यज्ञमान हरिशंकर सिंह,अशोक अरोड़ा,पुनीत निरुपमा मल्होत्रा,वंदना एवं दीपक खोसला,प्रतीक एवं गगन भसीन,आशीष कठपालिया, सौरभ कठपालिया सपरिवार रहे।मुख्य अतिथि के रूप में पधारे केंद्रीय केंद्रीय आर्य युवक परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष अनिल आर्य के समारोह में आगमन पर गुरुकुल के ब्रह्मचारियों द्वारा स्वागत गीत प्रस्तुत किया गया,उन्होंने कहा कि स्वामी दयानंद ने कहा था कि कोई कितना भी करें स्वदेशी राज्य सर्वोत्तम होता है आज राष्ट्रवाद की जो बात चल रही है उसकी अवधारणा को जन्म देने वाले स्वामी दयानंद थे स्वामी दयानंद से अनेकों नौजवानों ने प्रेरणा लेकर आजादी की लड़ाई में कूद पड़े थे आज दो धाराएं देश में चल रही है एक राष्ट्रवाद की दूसरे भारत तेरे टुकड़े करने वाली ऐसी विषम परिस्थितियों में सभी आर्यजनों का कर्तव्य बनता है कि राष्ट्रवादी ताकतों को मजबूत बनाएं। प्रांतीय अध्यक्ष प्रवीण आर्य ने बांग्लादेश में जो हिंदुओं पर हो रहे अत्याचार पर खेद प्रकट करते हुए मोदी सरकार से मांग की कि बांग्लादेश पर दबाव बनाकर हिन्दुओं पर ही रहे अत्याचार को रोकें। विशिष्ठ अतिथि नवाब सिंह नागर (पूर्व विधायक) ने गुरुकुल एवं आर्य महासम्मेलन में अपने उद्बोधन में कहा कि गुरुकुल हमें स्वयं संस्कारित होकर दूसरों को संस्कारित करना सिखाता है।महर्षि दयानंद सरस्वती और आर्य समाज के उपकारों की चर्चा की।यज्ञ के महत्व की चर्चा करते हुए बताया कि यज्ञ से ही मानव का निर्माण हो सकता है।उन्होंने सामाजिक सेवा को सर्वोपरि बताया।उन्होंने आगे कहा कि सत्यार्थ प्रकाश स्वामी दयानन्द की राष्ट्र को अनुपम देन है। अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में डा वेदपाल ने कहा कि महर्षि के उपकार नारी जाति पर बहुत हैं।स्त्री शिक्षा के अधिकार महर्षि दयानंद सरस्वती की देन है।साहस,स्वराज्य प्राप्ति की प्रेरणा,सामाजिक उत्थान,ब्रह्मचर्य,गौ रक्षा का महत्व बताते हुए गौकरुणा निधि पर प्रकाश डाला और गुरुकुल शिक्षा का महत्व बताया। गुरुकुल में ही बलिदान की प्रेरणा मिलती है गुरुकुलों से निकले छात्रों ने ही स्वतंत्रता आंदोलन में भाग लिया था तभी यह देश आजाद हुआ था।यहां राष्ट्र के प्रति समर्पित होने का संकल्प कराया जाता है। विशिष्ट अतिथि नरेन्द्र वेदालंकार ने कहा की महर्षि दयानंद सरस्वती जी को ही महापुरुषों में युग प्रवर्तक कहा जाता है।गुरुकुल शिक्षा के द्वारा ही नैतिक शिक्षा को बढ़ाया जा सकता है। उन्होंने आगे कहा कि स्वराज के प्रथम उद्घोषक महर्षि दयानंद जी हैं देश की आजादी में प्रेरित करने वालों में महर्षि दयानंद जी का योगदान है। सुप्रसिद्ध भजनोपदेशक भानु प्रकाश शास्त्री एवं गुरुकुल के ब्रह्मचारियों ने आधुनिक साज बाज पर महर्षि दयानंद सरस्वती यशोगान के गीतों से श्रोताओं को झूमा दिया। इस अवसर पर वीरप्रताप अरोड़ा, गायत्री मीना,कर्ण सिंह शास्त्री, अग्निदेव,ब्रह्मचारी हर्ष,शिवम् सोनी, अमित,आदि ने भी अपने विचार रखे। समारोह में प्रमुख रूप से सर्वश्री वेद प्रकाश अरोड़ा,यज्ञवीर चौहान,डा प्रमोद सक्सैना,सत्यपाल आर्य,चंद्रावती आर्या, ओमवती गुप्ता,ओमकार शास्त्री, प्रवीण आर्य एवं सीमा आदि उपस्थित थे। कार्यक्रम का कुशल संचालन डा. जयेंद्र आचार्य वा मंत्री गायत्री मीना ने किया। प्रधाना मधु भसीन,कैप्टन अशोक गुलाटी ने सभी का आभार व्यक्त किया। शांतिपाठ एवं ऋषिलंगर के साथ समारोह संपन्न हुआ।