इसरो देहरादून के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ चंद्र मोहन भट्ट हुए सम्मानित

नैनीताल l हर साल इंडियन सोसाइटी ऑफ रिमोट सेंसिंग (आईएसआरएस) और इंडियन सोसाइटी ऑफ जियोमैटिक्स (आईएसजी) संयुक्त रूप से आयोजित राष्ट्रीय संगोष्ठी में भू-स्थानिक प्रौद्योगिकियों के क्षेत्र में उत्कृष्ट योगदान देने वाले वैज्ञानिकों और शोधकर्ताओं को सम्मानित किया जाता है। इस वर्ष आईएसआरएस-आईएसजी द्वारा आयोजित राष्ट्रीय संगोष्ठी और वार्षिक सम्मेलन का विषय “रिमोट सेन्सिंग फॉर सस्टेनेबल फ्यूचर ए रोडमैप टूवार्डस् विकसित भारत” का आयोजन 11-13 दिसंबर, 2024 डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम तकनीकी विश्वविद्यालय, लखनऊ में किया गया था। संगोष्ठी का उद्देश्य सतत विकास को बढ़ावा देने और “विकसित भारत” के दृष्टिकोण को आगे बढ़ाने में रिमोट सेंसिंग प्रौद्योगिकियों की भूमिका का पता लगाना था। इस संगोष्ठी में उत्तर प्रदेश सरकार के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री अनिल कुमार, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग के प्रमुख सचिव पंधारी यादव, बोर्ड ऑफ रेवन्यू के चेयरमैन अनिल कुमार, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग के विशेष सचिव एवं रिमोट सेंसिंग एप्लीकेशन सेंटर, उत्तर प्रदेश के निदेशक शीलधर सिंह यादव, आईएसआरएस के अध्यक्ष डॉ. एस.पी. अग्रवाल, आईएसजी के अध्यक्ष डॉ. प्रकाश चैहान, एकेटीयू के प्रो. बी. एन. मिश्रा और अन्य प्रमुख वैज्ञानिक और अधिकारीगण उपस्थित थे। वैज्ञानिक डॉक्टर चंद्र मोहन भट्ट ने भारतीय शहीद सैनिक विद्यालय नैनीताल से 1995 में इंटरमीडिएट गणित वर्ग से उत्तीर्ण किया ।
उनकी इस उपलब्धि के लिए विद्यालय के प्रबंधक एडवोकेट ज्योति प्रकाश विद्यालय के प्रधानाचार्य बिशन सिंह मेहता डीएसबी कैंपस की कैंपस डायरेक्टर प्रोफेसर नीता बोरा शर्मा शिक्षक केदार सिंह राठौड़ पूर्व प्रधानाचार्य पूरन सिंह स्यूनरी पूर्व रसायन विज्ञान प्रवक्ता खीमराज सिंह बिष्ट एवं विद्यालय के समस्त शिक्षकों ने उनको बधाई दी है ।राष्ट्रीय संगोष्ठी का उद्घाटन उत्तर प्रदेश सरकार के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री अनिल कुमार के कर कमलों द्वारा किया गया। इस इस संगोष्ठी के दौरान वर्ष 2024 का प्रतिष्ठित आईएसजी नेशनल जियोमैटिक्स अवार्ड एप्लीकेशन, भारतीय सुदूर संवेदन संस्थान (आईआईआरएस), इसरो देहरादून के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ चंद्र मोहन भट्ट को प्रदान किया गया। यह पुरस्कार आपदा प्रतिक्रिया, शमन और क्षमता निर्माण गतिविधियों के लिए अंतरिक्ष-आधारित प्रौद्योगिकियों के प्रभावी उपयोग के माध्यम से आपदा प्रबंधन क्षमताओं को मजबूत करने की दिशा में उनके द्वारा किए गए महत्वपूर्ण योगदान को चिह्नित करने के लिए प्रदान किया गया था। श्री भट्ट पिछले 18 वर्षों से राष्ट्रीय सुदूर संवेदन केंद्र, हैदराबाद और बाद में आईआईआरएस, देहरादून में प्रतिष्ठित इसरो आपदा प्रबंधन सहायता (डीएमएस) कार्यक्रम से जुड़े रहे हैं। श्री भट्ट पृथ्वी अवलोकन प्रशिक्षण, शिक्षा और क्षमता विकास नेटवर्क (ईओटीईसी डेवनेट) में एशिया-ओशिनिया क्षेत्र के लिए बाढ़ कार्य समूह के लीड तथा एशिया प्रशांत में अंतरिक्ष विज्ञान प्रौद्योगिकी शिक्षा के लिए संयुक्त राष्ट्र से संबद्ध केंद्र (सीएसएसटीईएपी) के लिए रिमोट सेंसिंग और जीआईएस पाठ्यक्रम के पाठ्यक्रम निदेशक भी हैं। चन्द्र मोहन मूल रूप से कैलाश कॉटेज, तल्लीताल, नैनीताल के रहने वाले हैं, और स्वर्गीय एम.सी. भट्ट और श्रीमती हेमा भट्ट के पुत्र। उन्होंने ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा सेंट जोसेफ कॉलेज, नैनीताल, उच्च शिक्षा भारतीय शहीद सैनिक विद्यालय, नैनीताल और कुमाऊं विश्वविद्यालय, नैनीताल से हासिल की। पुरस्कार के बारे में जानकारी साझा करते हुए बीएसएसवी के प्रधानाचार्य बिशन सिंह मेहता ने इसे स्कूल के लिए गर्व का क्षण और युवा छात्रों के लिए प्रेरणा का स्रोत बताया और श्री भट्ट को उपलब्धि के लिए शुभकामनाएं दीं।

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