पर्यावरण दिवस विशेष

या सृष्टिः स्रष्टुराद्या वहति विधिहुतं या हविर्या च होत्री ये द्वे कालं विधत्तः श्रुतिविषयगुणाः या स्थिता व्याप्य विश्वम् ।
अर्थात जो सृष्टि को शुरू से ही बनाए रखता है, विधि का पालन करता है, यज्ञ करता है, समय को विभाजित करता है, और जो श्रुति और विषय के गुणों से युक्त है, वह विश्व को व्याप्त करता है।
पृथ्वी की रक्षा के महत्व को दर्शाता है और हमें प्रकृति के प्रति संवेदनशील होने का संदेश देता है। विश्व
पर्यावरण दिवस 5 जून को मनाया जाता है जो पृथ्वी की पर्यावरणीय समस्याएं जिनमें जलवायु परिवर्तन, प्रदूषण, और जैव विविधता का नुकसान , एयर क्वालिटी इंडेक्स शामिल हैं के प्रति चिंतन को प्रेरित करता है । प्लास्टिक प्रदूषण, ग्लोबल वार्मिंग, और संसाधन प्रबंधन जैसे मुद्दे संवेदन शील हैं। इन समस्याओं को दूर करने के लिए वैश्विक स्तर पर जागरूकता तथा प्रत्येक मानव की भागीदारी आवश्यक है।
विश्व पर्यावरण दिवस, हमारे पर्यावरण की सुरक्षा के लिए जागरूकता बढ़ाने और कार्रवाई को प्रोत्साहित करने के लिए एक वैश्विक मंच के रूप में कार्य करता है। 1972 में स्टॉकहोम में मानव पर्यावरण पर सम्मेलन के दौरान संयुक्त राष्ट्र द्वारा स्थापित यह दिन दुनिया भर में करोड़ों लोगों द्वारा मनाया जाने वाला एक महत्वपूर्ण कार्यक्रम है। 2025 में विश्व पर्यावरण दिवस की थीम ‘प्लास्टिक प्रदूषण को खत्म करना’,प्लास्टिक प्रदूषण का अंत’ ( एंडिंग प्लास्टिक पॉल्यूशन )जो वैश्विक स्तर पर पारिस्थितिकी तंत्र को खतरे में डालने वाले प्लास्टिक कचरे की व्यापक समस्या को दूर करने की तत्काल आवश्यकता पर प्रकाश देता है।
हमारी जिम्मेदारी की प्रकृति से प्रेम करे उससे संरक्षित करे तथा सतत विकास में ले जाए। मानव पृथ्वी का राजा नहीं बल्कि जीव धारियों श्रृंखला का मात्रा एक भाग है । इंसान तब सफल होगा जब वो दुनिया को नहीं बल्कि पहले खुद को बदलना शुरू कर देगा।
कबीर की शब्द में मनिषा जनम दुर्लभ है, देह न बारंबार। तरवर थैं फल झड़ि पड्या, बहुरि न लागै डार। …
पाती तोरै l doctor Lalit Tiwari