विजयादशमी पर विशेष

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मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम को सूर्यवंशी भी कहा जाता है जो कण कण में विद्यमान है । राम भक्ति ,सहनशीलता , प्रेम एवम बल के कारक है । असत्य पर सत्य की विजय कर ,अहंकार को समाप्त कर राम नई विश्व को महान संदेश दिया ।राम भारतीय संस्कृति के आदर्श है उनके भक्त हनुमान भय मुक्त करने वाले तथा बल के स्वामी है। भगवान विष्णु का 394वां नाम राम है । श्री राम का नाम महर्षि वशिष्ठ ने रखा गया था । गुरु वशिष्ठ के अनुसार, राम शब्द में दो बीजाणुओं- अग्नि बीज और अमृत बीज से बना है. यह नाम मन, शरीर और आत्मा को शक्ति प्रदान करता है. भगवान राम का तीन बार उच्चारण हजारों देवताओं को याद करने है । राम ही रामचंद्र, रघुनंदन, श्रीदशरथसुत, श्रीकौशल्यानंदन, श्रीसीतावल्लभ, श्रीरघुवर, श्रीरघुनाथ, काकुत्स्थ, जनार्दन, राजीवलोचन , रघुनंदन, रमण, रामरज, रामकिशोरे, रामजी, रमित, रमेश, रामदेव, रामदास, रामचरण, रामचंद्रा, रामाया, रामानंद, रमोजी राम ही है ।
श्री राम को आदिपुरुष, आदर्श राजा, एवम धार्मिक और नैतिक मूल्यों का संस्थापक माना जाता है. श्री राम के जन्म के बाद उनका नाम दशरथ राघव रखा गया तथा रावण को हराने के बाद उन्हें “श्री राम चंद्र” नाम दिया गया । वैसे तो राम से 108 नाम है किंतु राम नाम को महामंत्र माना जाता है. राम नाम जपने से ब्रह्मांड की ऊर्जा के साथ ,बेहतर स्वास्थ , पापो का नाश ,भक्ति बड़ाने वाला एवम ज्ञान चक्षु खुलते हैं.।
राम नाम ध्यान और मेधा के साथ बढ़ती है. आत्मा और परमात्मा का संबंध मज़बूत करता है।
राम नाम मे डर भगता है अंध-विश्वास को दूर करने की शक्ति, सत्य का मार्ग एवम मोक्ष का मार्ग है. राम नाम
संस्कृत के ‘रम्’ और ‘घम’ शब्दों से मिलकर बना है राम नाम. ‘रम्’ का अर्थ है रमना, निहित होना, निवास करना, और ‘घम’ का अर्थ है ब्रह्मांड का खाली स्थान. इस तरह राम का अर्थ है पूरे ब्रह्मांड में निहित या रमा हुआ तत्व यानी स्वयं ब्रह्म. है तो
राम नाम का अर्थ है, ‘रुकना, स्थिर रहना, आराम करना, आनन्दित होना, प्रसन्न होना’ ,
‘मेरे भीतर प्रकाश, मेरे हृदय में प्रकाश’ , पाताल, आकाश और धरती का स्वामी ,’योगी ध्यान में जिस शून्य में रमते हैं उसे राम कहते हैं’ । राम योगियों की आध्यात्मिक-मानसिक भूख , भोजन ,आनन्द और प्रसन्नता के स्त्रोत हैं’. सत्ता, जिसकी शक्ति से रावण मर जाता है ।
राम नाम का संधि विच्छेद बताता है, जो पाताल, आकाश, और धरती का स्वामी है, वही राम है.

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राम नाम की महिमा तो गंगा, गया, काशी, प्रयाग, पुष्कर, नर्मदादिक में भी राम ही है।
राम नाम की महिमा हर युग में बढ़ती है. ये महा मंत्र अविनासी ,सर्वत्र ,पापनाशक एवम मढ़ी दीप है जिसकी महिमा कभी कम नहीं होती.
राम नाम की गूंज वाली जगह का वातावरण सात्विक और राम मय हो जाता है। भगवान राम की कृपा जीव धारिओ पर बनी रहे। सभी को विजय दशमी की शुभकामनाएं Dr Lalit Tiwari

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