भारतीय ज्ञान परंपरा की छ दिवसीय कार्यशाला शुरू

नैनीताल l कुमाऊं विश्वविद्यालय में मिनिस्ट्री ऑफ एजुकेशन की ओर से भारतीय ज्ञान परंपरा विषय पर छ दिवसीय कार्यशाला शुरू हो गई है, जिसमें शिक्षकों व शोधार्थियों को भारतीय ज्ञान को अपग्रेड करने का प्रशिक्षण दिया जा रहा है l सोमवार से कुविवि के हार्मिटेज भवन में आयोजित भारतीय ज्ञान परंपरा विषय कार्यशाला में मुख्य वक्ता मिनिस्ट्री ऑफ एजुकेशन की डॉ. रुचिका सिंह व दिल्ली विश्वविद्यालय के डॉ. प्रशांत रहे l कार्यक्रम का संचालन डॉ. दिव्या यू जोशी ने किया l जिसमें पंजाब, चंडीगढ़, दिल्ली, हिमाचल प्रदेश, जम्मू-कश्मीर एवं उत्तराखंड से आए कुल 31 मास्टर ट्रेनर्स ने सहभागिता रही l मुख्य मुख्य डॉ. रुचिका ने बताया किस प्रकार भारत में रिटर्न, लिखित, पेंटिंग आदि प्रकार के ट्रेडिशन है l स्किल को डबलअप करने के लिए सभी तरह के ज्ञान को समझने की आवश्यकता होगी l किस प्रकार से रिसर्च में किस प्रकार के चैलेंज है, ज्ञान का फोम कैसे चेंज करे l इसके साथ ही प्राध्यापकों को भारतीय ज्ञान को जीवन में उतारने के लिए प्रेरित किया गया l उन्होंने कहा कि डॉक्यूमेंट्री ही नहीं छात्रों को जमीन से जुड़ा ज्ञान देना होगा l इतिहास के संग्रह के लिए म्यूजियम है, लेकिन इतिहास के जानकारी के साथ ही उसके तथ्यों को जानना आवश्यक है l भारतीय ज्ञान के तीन महत्वपूर्ण भाग है l पहला की पढ़ाई कितने साल करनी है और क्या करनी है, दूसरा लाइफ एक्सपेक्ट और तीसरा पर्चेजिग पवार l भारतीय ज्ञान के लिए सभी विषयों को टटोलना होगा l भारतीय ज्ञान पर अपना दृष्टिकोण बनाना होगा l भारतीय ज्ञान की जानकारी की आवश्यकता नहीं है उसका प्रयोजन आज चाहिए है l इस दौरान प्रो. युगल जोशी, डॉ. रीतेश साह, डॉ. किरन तिवारी, डॉ. मोहित रौतेला, डॉ. दीपा आर्या आदि मौजूद रहे l

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