भारतीय शिक्षण मंडल 56 स्थापना दिवस के शुभ अवसर पर भारतीय शिक्षण मंडल उत्तराखंड प्रांत एवं दून विश्वविद्यालय के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित एक दिवसीय संगोष्ठी) शिक्षा के आध्यात्मि कीकरण से विकसित होगा भारत: बी.आर. शंकरानंद

देहरादून। दून विश्वविद्यालय के नवाचार, उद्यमिता, अभिसरण और औद्योगिक संबंध केंद्र (सीआईईआईआर) एवं आंतरिक गुणवत्ता आश्वासन प्रकोष्ठ (आईक्यूएसी) के तत्वावधान में “राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के माध्यम से विद्यार्थियों के सशक्तिकरण, नवाचार तथा कौशल विकास” विषय पर आनंदशाला (कार्यशाला) का आयोजन किया गया। इस अवसर पर भारतीय शिक्षण मंडल के अखिल भारतीय संगठन मंत्री- बी.आर. शंकरानंद ने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति का अनुपालन एवं क्रियान्वयन मानव निर्माण को समर्पित है। शिक्षा के माध्यम से श्रेष्ठ मनुष्य के निर्माण में शिक्षक की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण है, उन्होंने कहा कि शिक्षक स्वयं को जलाकर अपने विद्यार्थियों को तराशता है, जिससे श्रेष्ठता की राह प्रशस्त होती है।
उन्होंने शिक्षा के आध्यात्मिकीकरण पर बल देते हुए कहा कि जब व्यक्ति आध्यात्मिक मार्ग पर अग्रसर होता है, तो उसका आचरण धर्मानुकूल होता है। धर्मानुकूल सोच से नैतिकता विकसित होती है, जो न केवल व्यक्ति के भौतिक विकास को प्रेरित करती है, बल्कि उसकी आत्मिक उन्नति का भी आधार बनती है। नैतिकता जीवन के हर क्षेत्र में आवश्यक है क्योंकि यह व्यक्ति को निर्भय बनाती है। जहां नैतिकता नहीं होती, वहां नियंत्रण (संयंत्र) होता है। प्रतिस्पर्धा की बजाय सहयोग की भावना को समाज में विकसित करना आवश्यक है, तभी “वसुधैव कुटुंबकम्” का आदर्श चरितार्थ हो सकेगा। राष्ट्रीय शिक्षा नीति विद्यार्थियों के भीतर नैतिक मूल्यों और कौशलों के विकास को प्राथमिकता देती है, जो श्रेष्ठ मनुष्य निर्माण की प्रक्रिया में सहायक है।
मुख्यवक्ता शंकरानंद ने शिक्षकों से आह्वान किया कि प्रत्येक शिक्षक को “ऋषि” बनना होगा। इसके लिए विद्यार्थियों में श्रद्धा, मेधा, प्रज्ञा, प्रतिभा एवं धी को जागृत करना आवश्यक है। यदि शिक्षण और लेखन मौलिक चिंतन एवं विश्लेषण पर आधारित होगा, तो विद्यार्थियों को वह रुचिकर एवं आनंददायक प्रतीत होगा और शिक्षक को भी श्रेष्ठता प्राप्त होगी।
हमें प्रयास करना चाहिए कि विद्यार्थी स्वतंत्र रूप से, बिना किसी दबाव के, शिक्षण में भाग लें, यही शिक्षा की आध्यात्मिकता को दर्शाएगा। वर्तमान में हम विद्यार्थियों की उपस्थिति को केंद्र में रखकर शिक्षण की सफलता का मूल्यांकन कर रहे हैं, जो शिक्षा के मूल उद्देश्य से भटकाव है।
आनंदशाला में दून विश्वविद्यालय की कुलपति प्रोफेसर सुरेखा डंगवाल ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति के अंतर्गत संचालित कौशल विकास एवं मूल्य संवर्धन पाठ्यक्रमों पर विस्तार से चर्चा की। उन्होंने कहा कि भारतीय ज्ञान परंपरा के आधार पर विद्यार्थियों का व्यक्तित्व एवं चारित्रिक विकास हो, इस दिशा में विश्वविद्यालय सतत प्रयासरत है। उन्होंने भारतीय नाट्यशास्त्र को संयुक्तराष्ट्र द्वारा संरक्षित किए जाने को भारत की विशाल ज्ञान परंपरा का सम्मान बताया और कहा कि दून विश्वविद्यालय इसी ज्ञान परंपरा को हर क्षेत्र में विकसित करने हेतु कृतसंकल्प है।
कुलपति ने कहा कि हमारी यह कोशिश है कि यहां अध्ययनरत विद्यार्थी जीवन के हर क्षेत्र में नैतिक मूल्यों को प्रदर्शित करें और समाज को जिम्मेदार तथा श्रेष्ठ नागरिक के रूप में सेवा प्रदान करें। इसके लिए समय-समय पर पाठ्यक्रमों का निर्माण और संवर्धन किया जाता है। आनन्दशाला (कार्यशाला) को संबोधित करते हुए सीआईईआईआर के निदेशक डॉ. सुधांशु जोशी ने कौशल विकास पाठ्यक्रमों का संक्षिप्त विवरण प्रस्तुत किया। परीक्षा नियंत्रक डॉ. नरेंद्र रावल ने पाठ्यक्रमों में प्रवेश एवं निकास प्रक्रियाओं की तकनीकी पहलुओं को स्पष्ट किया। कार्यक्रम का संचालन डॉ. माला शिखा ने किया और धन्यवाद ज्ञापन प्रो. एच.सी. पुरोहित द्वारा किया गया । इस अवसर पर विश्वविद्यालय के कुलसचिव- दुर्गेश डिमरी, अखिल भारतीय युवा आयाम प्रमुख अमित रावत, पश्चिमी उत्तर प्रदेश क्षेत्र संयोजक अनुज परासर, दया शंकर मिश्र (प्रांत विस्तारक), प्रो. संदीप विजय, प्रो. राजेश कुमार, प्रो. हर्ष डोभाल, प्रो. रीना सिंह, प्रो. गगन माटा, डॉ. सुनीत नैथानी, डॉ. विजय श्रीधर, डॉ. अचलेश, डॉ. चेतना पोखरियाल, डॉ. स्वाति बिष्ट, डॉ. अरुण कुमार, डॉ. राजेश भट्ट, डॉ. हिमानी, डॉ. चारू, डॉ. वैषाली, डॉ. प्राची पाठक, डॉ. प्रीति मिश्रा, डॉ. सरिता, प्रियंका, डॉ. अंकित नागर, स्वामी एस. चन्द्रा, संदीप गौतम, अभिषेक शर्मा, ललित गोयल, गौरव पंत, गौरव सती, डा. अनन्या गुप्ता, बी. के. कौल, डा. महेश मनचन्दा, श्रीमती प्रतिभा पाल, समस्त भारतीय शिक्षण मंडल परिवार सहित अनेक शिक्षक, कर्मचारी एवं विद्यार्थी उपस्थित रहे। कार्यक्रम में दून विश्वविद्यालय की पूर्व छात्राएँ डॉ. प्रीति राणा एवं प्रिया सैनी द्वारा आरंभ किए गए स्टार्टअप “ग्रेब गार्डन” के अंतर्गत तैयार किए गए जैविक खाद्य उत्पाद, जिनमें उत्तराखंड के स्थानीय उत्पाद शामिल थे, मुख्य अतिथि को भेंट किए गए।



