“राष्ट्रीयता की आवश्यकता” विषय पर गोष्ठी संपन्न शिक्षा में राष्ट्रीय भावना को स्थान दिया जाए -आचार्या श्रुति सेतिया राष्ट्र के प्रति समर्पण ही राष्ट्रीयता है-अनिल आर्य

नैनीताल l केन्द्रीय आर्य युवक परिषद् के तत्वावधान में “राष्ट्रीयता की आवश्यकता” विषय पर ऑनलाइन गोष्ठी का आयोजन किया गया।यह कोरोना काल से 659 वाँ वेबिनार था। वैदिक प्रवक्ता आचार्या श्रुति सेतिया ने कहा कि राष्ट्रीयता एक सामाजिक,सांस्कृतिक और राजनीतिक अवधारणा है जो किसी व्यक्ति या समूह की अपने देश और उसके नागरिकों के प्रति जुड़ाव,गर्व और प्रतिबद्धता को दर्शाती है।इसमें एक साझा इतिहास,संस्कृति,भाषा और परम्परा के आधार पर एकता और पहचान की भावना शामिल होती है।राष्ट्रीयता दिलों की वह एकता है जो एक बार बनने के बाद कभी खंडित नहीं होती।राष्ट्रीयता की आवश्यकता इसलिए है क्योंकि यह एकता,पहचान और सहयोग की भावना को बढ़ावा देती है। राष्ट्रीयता से लोग अपने देश के प्रति गर्व और जिम्मेदारी महसूस करते हैं जिससे समाज में सामूहिक सुरक्षा,विकास और शांति सुनिश्चित हो सकती है। राष्ट्रीयता की भावना नागरिकों को राष्ट्र के प्रति समर्पण और समाज के उत्थान के लिए निरंतर प्रयासरत्त रहने के लिए प्रेरित करती है।अतः राष्ट्रीयता की भावना के लिए राष्ट्र के नागरिकों की स्थिति महत्वपूर्ण है। मुख्य अतिथि शशि कस्तूरिया व अध्यक्ष कृष्णा पाहुजा ने नयी पीढ़ी में राष्ट्रीयता की भावना भरने का आह्वान किया।राष्ट्रीय अध्यक्ष अनिल आर्य ने कुशल संचालन करते हुए कहा कि राष्ट्र के प्रति निष्ठा व सर्वस्व अर्पण ही राष्ट्रीयता की कसौटी है। राष्ट्रीय मंत्री प्रवीण आर्य ने धन्यवाद ज्ञापन किया।गायिका पिंकी आर्य, प्रवीना ठक्कर, रविन्द्र गुप्ता, रचना वर्मा, संतोष धर, नरेंद्र आर्य सुमन, उषा सूद, रजनी गर्ग, सुधीर बंसल, सुनीता अरोड़ा आदि ने भजन सुनाए।

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