नरक चतुर्दशी।संस्कृति अंकदिनांक – २०-१०-२०२५आलेख बृजमोहन जोशी।

नैनीताल l कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी नरक चतुर्दशी कहलाती है।सनत्कुमार संहिता के अनुसार इसे पूर्वविद्बा लेना चाहिए।इस दिन अरूणोदय से पूर्व प्रत्यूषकाल में स्नान करने से मनुष्य को यमलोक का दर्शन नहीं करना पड़ता है। यद्धपि कार्तिक मास में तेल नहीं लगाना चाहिए, फिर भी इस तिथि विशेष को शरीर में तेल लगाकर स्नान करना चाहिए।जो व्यक्ति इस दिन सूर्योदय के बाद स्नान करता है, उसके शुभ कार्यों का नाश हो जाता है। स्नान से पूर्व शरीर पर अपामार्ग का भी प्रोक्षण करना चाहिए। स्नान करके तिलक लगाकर दक्षिणाभिमुख हो गई निम्न नाम मंत्रों से प्रत्येक नाम से तिल युक्त तीन तीन तिलांजली देनी चाहिए।यह यम तर्पण कहलाता है। इससे वर्ष भर के पाप नष्ट हो जाते हैं।
इस दिन देवताओं का पूजन करके दीपदान करना चाहिए।यमराज के उद्देश्य से त्रयोदशी से अमावस्या तक दीप जलाने चाहिए। कथा के अनुसार – वामनावतार में भगवान श्री हरि ने सम्पूर्ण पृथ्वी नाप ली। बलि के दान और भक्ति से प्रसन्न होकर वामन भगवान ने उनसे वर मांगने को कहा।उस समय बलि ने प्रार्थना कि कार्तिक कृष्ण त्रयोदशी सहित इन तीन दिनों में मेरे राज्य का जो भी व्यक्ति यमराज के उद्देश्य से दीप दान करें, उसे यमयातना न हो और इन तीन दिनों में दीपावली मनाने वाले का घर लक्ष्मी जी कभी न छोड़ें। भगवान ने कहा एवमस्तु।जो मनुष्य इन तीन दिनों में दीपोत्सव करेगा, उसे छोड़कर मेरी प्रिया लक्ष्मी कहीं नहीं जायेगी।
आप सभी महानुभावों को नरक चतुर्दशी के पर्व की हार्दिक बधाई व शुभकामनाएं।🌹🌹🕉️🕉️

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