नैनीताल।” द्वी आंखर। “बृजमोहन जोशी,।

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नैनीताल l यह बड़ा ही चिंतनीय विषय है कि उत्तराखंड की सांस्कृतिक व हमारी लोक संस्कृति के विविध आयामों की विरासत के रूप में युगों से संरक्षित यहां कि लोक संस्कृति, लोक परम्पराए, पूजा पद्धति, धार्मिक अनुष्ठान, संस्कार आचार विचार, लोकाचार, शिष्टाचार व लोक कलाएं आदि जिनका कि यहां के लोक जीवन में बहुत ही महत्वपूर्ण स्थान था,अब आधुनिकता के परिवेश में अपना महत्व एवं आकर्षण धीरे – धीरे खोती जा रही है। किन्तु ऐसे समय में हमारे समाज में आज भी ऐसे अनेक व्यक्ति हैं, संगठन हैं, संस्थायें है जिनके द्वारा इस दिशा में सराहनीय कार्य/प्रयास किए जा रहे हैं ।आज मैं आप सभी महानुभावों के समक्ष एक ऐसी ही विभूति का परिचय कराने जा रहा हूं, इनके परिवार के द्वारा वर्ष १९९५ से निःस्वार्थ भाव से यह प्रशंसनीय कार्य आज भी किया जा रहा है। इस परिवार ने शायद उनका नाम उनकी योग्यता का अनुमान लगाकर उचित ही रखा महान । महान त्रिवेदी नाम का यह व्यक्ति अपने नाम के अनुरुप अपने बाबू जी स्वर्गीय श्री विद्या भास्कर त्रिवेदी पूज्यनीय माता जी स्वर्गीय श्रीमती हरिप्रिया त्रिवेदी की भावनाओं से प्रभावित होकर इस पूनित कार्य को कर रहे हैं । पहले इनके ज्येष्ठ भ्राता स्वर्गीय डा. सुशील त्रिवेदी द्वारा वर्ष १९९५ में एक लघु पंचांग- व्रतोंत्सव पर्व -तिथि दर्शिका का सम्पादन प्रकाशन भारतीय हिन्दू नववर्ष चैत्र प्रतिपदा के शुभ अवसर पर किया जाता आ रहा , डा.सुशील त्रिवेदी जी के आकस्मिक निधन के उपरांत इस उत्तरदायित्व को उनके छोटे भाई श्री महान त्रिवेदी ,अक्षय त्रिवेदी जी व इनके पूज्यनीय मामा श्री पं. जगदीश चन्द्र लोहनी जी के मार्ग दर्शन में आज भी किया जा रहा है। श्री जगदीश चन्द्र लोहनी जी भारतीय शहीद सैनिक विद्यालय नैनीताल में प्रधानाचार्य के पद से सेवानिवृत्त हो चुके हैं। आप श्री मां नयना देवी मंदिर मल्लीताल नैनीताल में श्री कृष्ण मन्दिर के पुजारी के रूप में अपनी सेवाऐं दे चुके हैं।
वर्ष २०२४ में श्री महान त्रिवेदी जी के द्वारा विशेष रूप से अपनी माता जी से प्रभावित होकर एक बहुत ही ज्ञानवर्धक पुस्तक – ” विशेष पर्वों पर पूजा पद्धति एवं नित्य मंत्रों का एक बहुमूल्य संकलन ” का सम्पादन व प्रकाशन का कार्य किया गया है। इस पुस्तिका में जो ज्ञानवर्धक जानकारी आम व्यक्तियों के लिए दी गई है वह आप और हम सभी पाठक गण इस पुस्तिका की विषय सूची को देखकर ही समझ सकते हैं। कल ही मुझे यह पुस्तक सधन्यवाद प्राप्त हुई।
…..मैं पारम्परिक लोक संस्था परम्परा नैनीताल के सभी पदाधिकारीयों , सदस्यों की ओर से आपको इस बहुमूल्य योगदान व सराहनीय प्रयास हेतु हार्दिक बधाई व शुभकामनाएं प्रेषित करता हूं। और आपसे यह आग्रह भी करता हूं कि अगले वर्ष ” पंचांग ” के प्रकाशन में इस पुस्तक में से कुछ बहुमूल्य जानकारी उसमें प्रकाशित करने की कृपा करेंगे ताकि अधिकांश पाठकों को यह ज्ञानवर्धक जानकारी प्राप्त हो सके।

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