संगीत विभाग, डी.एस.बी. परिसर, कुमाऊँ विश्वविद्यालय, नैनीताल द्वारा भारतीय शास्त्रीय संगीत संध्या का भव्य आयोजन

नैनीताल l कुमाऊँ विश्वविद्यालय के डी.एस.बी. परिसर के संगीत विभाग में भारतीय शास्त्रीय संगीत संध्या के पाँचवें संस्करण का भव्य आयोजन बुधवार को किया गया। यह आयोजन विभागाध्यक्ष डॉ० गगनदीप होठी द्वारा संचालित (KU-IFR) परियोजना के अंतर्गत संपन्न हुआ। इस अवसर पर प्रो. राजनीश पांडे (संकायाध्यक्ष, कला संकाय) मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित रहे। संगीत प्रेमियों, विद्वानों, शोधार्थियों और छात्रों से खचाखच भरे इस आयोजन में सुप्रसिद्ध युवा कलाकार श्री सिद्धांत नेगी जी ने हिंदुस्तानी शास्त्रीय गायन प्रस्तुत किया। आपके साथ तबले और हारमोनियम पर संगत श्री स्मित तिवारी तथा श्री गौरव बिष्ट जी ने की। कलाकारों के साथ तानपुरे पर संगत डॉ० अलंकार महतोलिया एवं श्री हर्ष सहदेव ने की। सभी कलाकारों ने अपनी प्रतिभा का परिचय देते हुए श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया। कार्यक्रम की शुरुआत सिद्धांत नेगी द्वारा प्रस्तुत राग कोमल ऋषभ आसावरी से हुई, जिसकी बारीकियों को उन्होंने अपने सुरों से बखूबी उकेरा। उनके सधे हुए सुरों और राग की गहन समझ, श्रोताओं को भारतीय शास्त्रीय संगीत की अविस्मरणीय यात्रा पर ले गए। इसके पश्चात राग शुद्ध सारंग की अद्भुत प्रस्तुति ने सभागार के वातावरण को और अधिक संगीतमय बना दिया। विशेष रूप से उनके मींड, गमक और स्पष्ठ स्वरों ने संगीत प्रेमियों को अद्वितीय अनुभव प्रदान किया। कार्यक्रम के अगले चरण में भक्ति संगीत प्रस्तुत किया गया। सिद्धांत नेगी ने अत्यंत भावपूर्ण ढंग से दो भजन “अरज करे मीरा राकड़ी” (मीरा बाई) एवं “अवधूता गगन घटा गहरानी” (कबीर दास) का गायन किया। इन भजनों की प्रस्तुति में उनके सधे हुए स्वर, उत्कृष्ट भावाभिव्यक्ति और रागात्मक परिपक्वता देखने को मिली। श्रोताओं ने तल्लीन होकर इस संगीतमय भक्ति रस का आनंद उठाया। संगीत की इस अनुपम प्रस्तुति में श्री स्मित तिवारी ने तबले पर शानदार संगत दी। उनकी लयकारी, बोलों की स्पष्टता ने पूरे कार्यक्रम में अद्वितीय समरसता जोड़ी। श्री तिवारी, जो उस्ताद बिस्मिल्लाह खाँ युवा पुरस्कार विजेता एवं ऑल इंडिया रेडियो के ‘ए’ ग्रेड कलाकार हैं, ने अपनी संगत में न केवल ताल की शुद्धता बनाए रखी, बल्कि कलाकार की अभिव्यक्ति को और निखारने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। वहीं, गौरव बिष्ट ने हारमोनियम पर अत्यंत मधुर संगत से कार्यक्रम में अद्भुत सौंदर्य जोड़ा। उनके सधे हुए सुर, बेजोड़ सांगीतिक संवेदनशीलता और गहरे राग ज्ञान ने गायन को और अधिक प्रभावी बनाया। श्री बिष्ट ने अपनी प्रारंभिक संगीत शिक्षा श्रीमती विनीता पांडे जी से ली और फिर पं. चंद्रशेखर तिवारी के निर्देशन में संगीत साधना की। सिद्धांत नेगी, जो कुमाऊँ विश्वविद्यालय के स्वर्ण पदक विजेता हैं, ने अपनी संगीत शिक्षा मोहन पाठक , पं. नलिन ढोलकिया एवं संगीत विभाग के पूर्व विभागाधक्ष्य डॉ. रवि जोशी से प्राप्त की है। वे राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय मंचों पर अपनी प्रस्तुति दे चुके हैं और अनेक प्रतिष्ठित आयोजनों में भारतीय संगीत का प्रतिनिधित्व कर चुके हैं। इन तीनों कलाकारों की जुगलबंदी, उनकी गहन संगीत साधना और प्रस्तुति की उत्कृष्टता ने इस संगीतमयी संध्या को अविस्मरणीय बना दिया। यह कार्यक्रम भारतीय शास्त्रीय संगीत के संवर्धन एवं प्रसार की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम साबित हुआ। श्रोताओं ने कलाकारों को करतल ध्वनि से सराहा और इस अद्वितीय संगीतमय अनुभव के लिए संगीत विभाग एवं आयोजकों का हृदय से आभार व्यक्त किया। कार्यक्रम के अंतिम चरण में मुख्य अतिथि प्रोफेसर रजनीश पांडेय एवं सभी कलाकारों को ड्राइंग & पेंटिंग विभाग की छात्रा खुशी उप्रेती द्वारा बनाये गए पोर्ट्रेट स्केच भेंट किया गया। कार्यक्रम का समापन विभागाध्यक्ष डॉ० गगनदीप होठी ने सभी कलाकारों, श्रोताओं एवं मुख्य अतिथि महोदय का धन्यवाद प्रेषित कर किया।