“राष्ट्रीय शिक्षा नीति के अनुरूप भारतीय ज्ञान प्रणाली प्रशिक्षण कार्यक्रम: भारतीय ज्ञान प्रणाली को उच्च शिक्षा की मुख्यधारा में लाने की पहल”

नैनीताल। विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) एवं शिक्षा मंत्रालय, भारत सरकार के भारतीय ज्ञान प्रणाली (IKS) प्रभाग के संयुक्त तत्वावधान में भारतीय ज्ञान प्रणाली को उच्च शिक्षा के पाठ्यक्रम में एकीकृत करने हेतु आयोजित राष्ट्रीय प्रशिक्षण कार्यक्रम के लिए देश के केवल चार विश्वविद्यालयों का चयन किया गया है। चयनित विश्वविद्यालयों में कुमाऊँ विश्वविद्यालय, नैनीताल, केन्द्रीय विश्वविद्यालय अजमेर, बेंगलुरु विश्वविद्यालय तथा लखनऊ विश्वविद्यालय शामिल हैं। इस प्रतिष्ठित सूची में कुमाऊँ विश्वविद्यालय का चयन विश्वविद्यालय के लिए एक महत्वपूर्ण उपलब्धि माना जा रहा है।
इस क्रम में कुमाऊँ विश्वविद्यालय स्थित मदन मोहन मालवीय शिक्षक प्रशिक्षण केंद्र में 14 दिसंबर 2025 को मास्टर ट्रेनर्स हेतु एक दिवसीय ओरिएंटेशन कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इसके पश्चात 15 से 20 दिसंबर 2025 तक छह दिवसीय बेसिक ट्रेनिंग प्रोग्राम ऑन इंडियन नॉलेज सिस्टम्स (IKS) आयोजित किया जा रहा है। यह कार्यक्रम राष्ट्रीय शिक्षा नीति–2020 की परिकल्पना के अनुरूप समग्र, बहुविषयक एवं मूल्य-आधारित शिक्षा को सुदृढ़ करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल है।
कार्यक्रम का उद्घाटन प्रो. दिव्या यू. जोशी द्वारा किया गया। अपने उद्घाटन संबोधन में उन्होंने कहा कि भारतीय ज्ञान प्रणाली भारत की समृद्ध बौद्धिक परंपरा का सार है, जिसे आधुनिक शिक्षण पद्धतियों से जोड़कर ही शिक्षा को अधिक समाजोपयोगी, समावेशी एवं व्यवहारिक बनाया जा सकता है।
इस अवसर पर डॉ. रुचिका सिंह, समन्वयक (भारतीय ज्ञान प्रणाली प्रभाग, शिक्षा मंत्रालय, भारत सरकार) ने कहा कि इस राष्ट्रीय प्रशिक्षण कार्यक्रम के माध्यम से देशभर में प्रशिक्षित मास्टर ट्रेनर्स का एक सशक्त नेटवर्क विकसित किया जाएगा, जो भारतीय ज्ञान प्रणाली को उच्च शिक्षा की मुख्यधारा में स्थापित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। यूजीसी द्वारा मदन मोहन मालवीय शिक्षक प्रशिक्षण केंद्र के सतत सहयोग की सराहना करते हुए यह विश्वास व्यक्त किया गया कि कुमाऊँ विश्वविद्यालय इस राष्ट्रीय पहल को प्रभावी ढंग से आगे बढ़ाएगा।
डॉ. प्रशांत उपाध्याय (दिल्ली विश्वविद्यालय) ने अपने संबोधन में कहा कि भारतीय ज्ञान प्रणाली को समकालीन पाठ्यक्रमों से जोड़ना न केवल हमारी सांस्कृतिक चेतना को पुनर्स्थापित करता है, बल्कि अनुसंधान एवं नवाचार के नए आयाम भी खोलता है।
इस अवसर पर प्रो. रीतेश साह ने कहा कि स्थानीय ज्ञान, परंपरागत तकनीकों तथा अनुभवजन्य शिक्षण को अकादमिक ढांचे में शामिल करना उच्च शिक्षा को उसकी जड़ों से जोड़ने का एक प्रभावी माध्यम है।
कार्यक्रम में पंजाब, चंडीगढ़, दिल्ली, हिमाचल प्रदेश, जम्मू-कश्मीर एवं उत्तराखंड से आए कुल 31 मास्टर ट्रेनर्स ने सहभागिता की। आगामी छह दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम में देशभर के उच्च शिक्षण संस्थानों एवं कुमाऊँ विश्वविद्यालय से संकाय सदस्य एवं शोधार्थी प्रतिभाग करेंगे।

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