कुमाऊं विश्वविद्यालय के पूर्व छात्र संघ पदाधिकारी ने छात्र-छात्राओं की विभिन्न समस्याओं को लेकर मुख्यमंत्री को ज्ञापन सौंपा
नैनीताल। कुमाऊँ विश्वविद्यालय के पूर्व छात्रसंघ के पदाधिकारी,ने छात्र-छात्राओं की मांगों को लेकर सीएम को दिया। डीएसबी के पूर्व छात्र संघ अध्यक्ष पंकज भट्ट ने सीएम को दिए गए ज्ञापन में कहा है कि शोधार्थियों हेतु प्रोत्साहन राशि के रूप में रुपए 30000 प्रत्येक छात्र प्रति वर्ष दिया जाना आवश्यक है ताकि उत्तराखंड राज्य के पर्वतीय अंचलों से आये शोधार्थियों को शोध कार्य करने में सुलभता हो सके ,राज्य सरकार द्वारा महाविद्यालय एवं स्कूलों में छात्रों हेतु टेबलेट/ लैपटॉप दिए जाने का घोषणा पूर्व में की जा चुकी है। उक्त सुविधा का लाभ कुमाऊं विश्वविद्यालय के परिसरों में पढ़ रहे अनेक छात्र छात्राओं को नहीं मिल पा रहा है। शोधार्थी उक्त लाभ की श्रेणी में नहीं आ पा रहे हैं। जिससे आर्थिक रूप से कमजोर छात्रों को आज के तकनीकी युग में शोध कार्य किए जाने हेतु लैपटॉप अथवा टेबलेट के लाभ से वंचित होना पड़ रहा है। अतः परिसरों के छात्रों एवं विद्यार्थियों हेतु राज्य सरकार की उक्त योजना का लाभ मुहैया कराया जाना अत्यावश्यक है ,कुमाऊं विश्वविद्यालय में विगत एक दशक से नियुक्ति प्रक्रिया बाधित है,वर्ष 2013 के उपरांत कोई भी नवीन नियुक्ति नहीं हुई। गैर शैक्षिक पदों पर नियुक्ति 2011 के उपरांत आज तक नहीं हुई है,जिसके चलते विभिन्न वर्षों से शोध कार्य संपन्न करने के उपरांत भी शोधार्थियों को विश्वविद्यालय की सेवा करने का अवसर प्रदान नहीं हो पा रहा है,अतः कुमाऊं विश्वविद्यालय सहित राज्य के अन्य विश्वविद्यालय में अभिलंब नियुक्ति प्रक्रिया प्रारंभ किया जाना आवश्यक है। जिससे उच्चतर डिग्री हासिल करने के उपरांत शोधार्थियों को उच्च शिक्षा में समुचित योगदान का अवसर प्रदान हो सके,कुमाऊं विश्वविद्यालय में शोधार्थियों हेतु अद्यतन कोई भी छात्रावास क्रियाशील नहीं है। एकमात्र शोधार्थियों का छात्रावास विगत वर्ष भूस्खलन की जद में आते हुए रहने योग्य नहीं रहा है। अतः अभिलंब नैनीताल तथा भीमताल नगर में नवीन छात्रावासों का निर्माण कराया जाना अत्यावश्यक है। जिससे शोधार्थियों को उचित ठहरने की व्यवस्था उपलब्ध हो सके ,कुमाऊं विश्वविद्यालय द्वारा उच्च हिमालई क्षेत्रों में औषधीय पौधों के शोध हेतु सेंटर फॉर एक्सीलेंस इन हिमालयन मेडिसिनल प्लांट्स एंड नैनोटेक्नोलॉजी केंद्र का प्रस्ताव राज्य सरकार के समक्ष प्रस्तुत किया गया था। जिसे राज्य सरकार द्वारा स्वीकृत करते हुए विभिन्न पदों का सृजन किया जा चुका उक्त केंद्र की स्थापना हेतु प्रशासनिक भवन एवं प्रयोगशाला के निर्माण हेतु विस्तृत कार्य योजना पूर्व में है। राज्य सरकार को प्रेषित की गई थी। वर्तमान में उक्त परियोजना को पुनः राज्य सरकार द्वारा नामित निर्माण इकाई से विस्तृत परियोजना प्रबंधन के अनुरूप रू0 10 करोड़ का प्रावधान करते हुए स्वीकृत किए जाने का प्रस्ताव माननीय मुख्यमंत्री जी की घोषणा हेतु प्रस्तुत है।
उक्त केंद्र के तहत केंद्रीय अन्वेषण केंद्र की भी स्थापना की जानी है। जिससे कुमाऊं क्षेत्र के समस्त शोधार्थियों को एक ही जगह विभिन्न उपकरणों की सुविधा उपलब्ध कराई जा सके तथा उनके अन्वेषण कार्य में सुगमता हो सके। उक्त केंद्रीय अन्वेषण केंद्र हेतु वृहद कार्य योजना तैयार किए जाने का कार्य पूर्व में किया जा चुका है तथा विश्वविद्यालय स्तर से राज्य सरकार को उक्त परियोजना भी उपलब्ध कराई जा चुकी है। परियोजना की प्रथम चरण हेतु रुपए 4 करोड़ अवमुक्त किए जाने की घोषणा प्रस्तावित है।कुमाऊं विश्वविद्यालय से पर्वतीय अंचलों के चार जनपद अल्मोड़ा विश्वविद्यालय से संबद्ध किए जा चुके हैं। राज्य सरकार द्वारा पिथौरागढ़ एवं बागेश्वर महाविद्यालयों को अल्मोड़ा विश्वविद्यालय के नवीन परिसरों के रूप में मान्यता प्रदान की जा चुकी है। इसी क्रम में माननीय पूर्व मुख्यमंत्री डॉ रमेश पोखरियाल निशंक जी के दवारा वर्ष 2008 में घोषित भीमताल परिसर अपने पूर्णकालिक स्वरूप में आने हेतु एक दशक से भी अधिक समय से प्रतीक्षारत है। अतः भीमताल परिसर में शोध एवं अकादमिक क्षेत्र की अनेको संभावना के चलते तत्काल प्रभाव से उक्त परिसर को विश्वविद्यालय के पूर्णकालिक परिसर के रूप में मान्यता प्रदान किया जाना आवश्यक है। कुमाऊं विश्वविद्यालय अपनी स्वर्णम यात्रा में स्वर्ण जयंती वर्ष की तरफ अग्रसर है। उक्त समारोह को भव्यता एवं दिव्यता के साथ आयोजित किये जाने हेतु विशेष आर्थिक अनुदान की आवश्यकता प्रस्तावित है। साथ ही उक्त अवसर पर स्वर्ण जयंती जुबली हॉल नाम से एक विशाल ऑडिटोरियम का निर्माण किया जाना भी प्रस्तावित है। जिससे भीमताल परिसर में स्थापित किया जा सकता है तथा भविष्य में होने वाले समस्त आधिकारिक समारोह को उक्त ऑडिटोरियम में संपन्न कराई जा सके। विश्वविद्यालयों में शोधार्थियों के मध्य अकादमिक विमर्श एवं शोध के विषय में परिचर्चा की जाने हेतु तथा विश्वविद्यालय स्तर पर समन्वय स्थापित किए जाने हेतु समस्त विश्वविद्यालयों में शोध छात्र परिषद के गठन की आवश्यकता है। जिस हेतु राज्य सरकार द्वारा उचित दिशा निर्देश निर्गत किया जाना आवश्यक है।