हिन्दुत्व से आर्यत्व की और” विषय पर गोष्ठी संपन्न, आर्य लिखने में गर्व करें -अतुल सहगल
नैनीताल l केंद्रीय आर्य युवक परिषद के तत्त्वावधान में “हिंदुत्व से आर्यत्व की ओर” विषय पर ऑनलाइन गोष्ठी का आयोजन किया गया।य़ह कोरोना काल से 684 वाँ वेबिनार था। वैदिक प्रवक्ता अतुल सहगल ने कहा है कि वर्तमान के समय में हिन्दू और हिंदुत्व विषय बहुत चर्चा में रहते हैं। उन्होंने हिन्दू और हिंदुत्व की परिभाषा प्रस्तुत की और हिन्दू शब्द का मूल सामने रखा। हिन्दू शब्द तो फ़ारसी भाषा से आया है और इसका उस भाषा में बड़ा अपमानजनक अर्थ है –अनपढ़,उजड्ड,संस्कृति विहीन या असभ्य।क्या ऐसे शब्द का उपयोग करना किसी भी अवस्था में उचित ठहरता है? स्वामी दयानन्द ने अपने लेखों व भाषणों में कभी हिन्दू शब्द का प्रयोग नहीं किया।वे सदा आर्य शब्द का ही प्रयोग करते थे और आर्य का अर्थ है–सुसंस्कृत, शिक्षित,धार्मिक।भारत देश को उन्होंने आर्यावर्त्त कहकर सम्बोधित किया।हिंदुत्व से आर्यत्व की यात्रा आरम्भ हो चुकी है और इस यात्रा को प्रारम्भ करने वाले और कोई नहीं ऋषि दयानन्द ही थे।हम लोगों को अपनी बुद्धि का विकास करना होगा।प्रज्ञा बुद्धि को प्राप्त होकर हम सत्य और तथ्यों को सहजता से ग्रहण कर पाएंगे।धर्माचरण और योगाभ्यास के द्वारा हम अपनी सर्वांगीण उन्नति करें। व्यक्तिगत उन्नति का अर्थ है सामाजिक और राष्ट्रीय उन्नति। सब प्रकार का ज्ञान होते हुए भी हम लोग सत्य से भटक गए थे।अब हम जिस यात्रा में हैं,उसमें हमें अपनी गति बढ़ानी होगी।हमारे राष्ट्र के पिछड़ने और पतन का कारण भी वेदमार्ग से भटकना था।स्वामी दयानन्द के मार्गदर्शक उदघोष के अनुसार हमें वेदों को अपने जीवन का आधार बना लेना चाहिए और फिर सत्य के ग्रहण करने व असत्य के छोड़ने में उद्यत हो जाना चाहिए।बुद्धि का विकास करके हम अपना विवेक बढ़ाएं और स्वयं को उन्नत करते हुए समाज और राष्ट्र के उत्थान का कारक बनें।आज हमारा राष्ट्र हमसे यही अपेक्षा रखता है।हम पुरुषार्थ से अपनी इस हिंदुत्व से आर्यत्व की यात्रा को गति देते हुए अपने गन्तव्य पर पंहुचें।आर्यावर्त्त को परम वैभव तक ले के जाएँ और स्वयं समुत्कर्ष और निश्रे:यस दोनों को प्राप्त हों। मुख्य अतिथि आर्य नेता कृष्ण कुमार यादव ने भी जीवन निर्माण के सूत्र बताये।परिषद अध्यक्ष अनिल आर्य ने कुशल संचालन किया।प्रदेश अध्यक्ष प्रवीण आर्य ने धन्यावाद ज्ञापन किया। गायिका कौशल्या अरोड़ा, जनक अरोड़ा, संतोष धर, सुधीर बंसल, उषा सूद, शोभा बत्रा, कृष्णा पाहुजा आदि के मधुर भजन हुए।