कृषि व पशुपालन एक दूसरे के पूरक हैंः डा. संजय कुमार, पटवाडांगर में कृषक-वैज्ञानिक संगोष्ठी का आयोजन।
नैनीताल। उत्तराखण्ड जैवप्रौद्योगिकी परिषद् पटवाडांगर में कृषक-वैज्ञानिक संगोष्ठी का आयोजन किया गया। जिसमें बताया गया कि पशुपालन व कृषि एक दूजे के पूरक हैं। शासन के निर्देषानुसार उत्तराखण्ड जैवप्रौद्योगिकी परिषद् के क्षेत्रीय केन्द्र पटवाडांगर में उन्नत किसान-समृद्ध उत्तराखण्ड विषयक कृषक-वैज्ञानिक संगोष्ठी का आयोज किया गया। परिषद् के निदेषक डा. संजय कुमार ने उत्तराखण्ड व देश में पायी जाने वाली गाय व भैंस की विभिन्न प्रजातियों के दूध देने की क्षमता की जानकारी दी।
बताया कि उत्तराखण्ड की बद्री गाय में दूध देने की क्षमता और गायों के अपेक्षकृत कुछ कम हैं लेकिन दूध की गुणवत्ता उच्च स्तर की होती है। बताया कि कृषि व पशुपालन एक दूसरे के पूरक हैं। कृषि के बिना पशुपालन व पशुपालन के बिना कृषि
अधूरी है। बताया कि बीमारियों से बचाव एवं उच्च गुणवत्ता के दूध उत्पादन हेतु गाय, भैंस व पशुओं को टीकाकरण अवष्य कराना चाहिए। इसके साथ ही पशु के बैठने व आराम गृह साफ होना चाहिए। उन्होंने पानी की शुद्धता व तापमान पर भी प्रकाश डाला व गाय व पशुओं में पाये जाने वाले थनैला रोग के कारण व निवारण पर भी प्रकाष डाला। इस दौरान कृषि विज्ञान केन्द्र, ज्योलीकोट के वैज्ञानिक डा. बलवान सिंह ने गाय, भैंस के दूध की मार्केटिंग व उत्पादन बढ़ाने पर अपने विचार व्यक्त किये। उन्होंने बकरियों के मुर्गियों के पालन एवं इनके दूध व मीट के उत्पादन पर प्रकाश डाला।






