कार्यशाला दूसरे दिन भी जारी

नैनीताल। कुमाऊं विश्वविद्यालय के वनस्पति विज्ञान विभाग तथा गार्गी कॉलेज, दिल्ली विश्वविद्यालय के शोध एवं विकास प्रकोष्ठ द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित “इंट्रोडक्शन टू बायो इन्फॉर्मेटिक्स बायोलॉजिकल सीक्वेंस टू स्ट्रक्चर” विषय पर दो दिवसीय अकादमिक आउटरीच वर्चुअल कार्यशाला के दूसरे दिन बायोइंफॉर्मेटिक्स के उन्नत उपकरणों और तकनीकों की गहन समझ प्रदान की गई।दिन की शुरुआत एन सी बी आई डेटाबेस के परिचय से हुई, जहाँ डॉ. प्रीतम कौर द्वारा प्रतिभागियों को न्यूक्लियोटाइड और प्रोटीन अनुक्रमों को प्राप्त करने की प्रक्रिया विस्तारपूर्वक सिखाई गई। इसके पश्चात डॉ. रीमा मिश्रा द्वारा मल्टीपल सीक्वेंस अलाइनमेंट और फाइलोजेनेटिक ट्री निर्माण पर एक व्यावहारिक सत्र आयोजित किया गया, जिसमें प्रतिभागियों ने कलस्टर ओमेगा ओर मेगा सॉफ़्टवेयर की सहायता से अनुक्रमों को संरेखित करना तथा विकासात्मक संबंधों को समझना बताया।अंतिम सत्र डॉ. एस. हम्सा द्वारा संचालित किया गया, जिसमें उन्होंने प्रतिभागियों को इंटरएक्टिव ट्री ऑफ लाइफ टूल का उपयोग करके फाइलोजेनेटिक ट्रीज़ को आकर्षक एवं सूचनात्मक रूप में विज़ुअलाइज़ करने की विधि बताई।कार्यशाला का समापन सत्र में प्रतिभागियों ने अपने अनुभव और सुझाव साझा किए। प्रो. वीना पांडेय, डॉ.. मीना पांडेय, डॉ. नगमा परवीन, डॉ. राहुल सैनी, अंशुल, हिमानी, पूजा एवं मनोज ने कार्यशाला के लिए धन्यवाद व्यक्त किया और हैंड्स-ऑन सेशन की सराहना की। प्रो. ललित टिवारी, डॉ. हर्ष चौहान और डॉ. प्रभा पंत ने भी इस अवसर पर अपने विचार प्रकट किए। उन्होंने कार्यशाला की विस्तारपूर्वक समीक्षा प्रस्तुत की, आयोजन की सराहना की, और इसे ज्ञानवर्धक एवं सफल बताया। साथ ही, उन्होंने सभी प्रतिभागियों, आयोजकों तथा सहयोगियों को उनके योगदान के लिए धन्यवाद ज्ञापित कियासमापन के अवसर पर डॉ. रीमा मिश्रा ने सभी वक्ताओं, आयोजकों, तकनीकी सहयोगियों एवं प्रतिभागियों के प्रति हार्दिक आभार व्यक्त किया, जिनके सक्रिय योगदान से यह कार्यशाला सफलतापूर्वक सम्पन्न हो सकी। ई-सर्टिफिकेट्स प्रतिभागियों को ईमेल के माध्यम से प्रेषित किए जाएंगे। प्रॉफ तिवारी विभागाध्यक्ष ने बताया कि यह कार्यशाला अत्यंत सफल एवं शिक्षाप्रद रही, जिसमें प्रतिभागियों को बायोइन्फॉर्मेटिक्स के मूलभूत सिद्धांतों से लेकर उसके व्यावहारिक अनुप्रयोगों तक का व्यापक ज्ञान प्राप्त हुआ। इस प्रकार के कार्यक्रम न केवल अकादमिक स्तर को सुदृढ़ करते हैं, एवं शोधार्थियों को अनुसंधान के क्षेत्र में सक्रिय भागीदारी हेतु प्रेरित भी करते हैं। प्रॉफ तिवारी ने गार्गी कॉलेज डी यू का आभार व्यक्त किया है।

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