कुमाऊँ विश्वविद्यालय की विद्यासेतु पहल: शैक्षणिक सहयोग और संसाधन उपलब्धता को नया आयाम

नैनीताल। कुमाऊँ विश्वविद्यालय द्वारा शुरू की गई “विद्यासेतु” पहल शैक्षणिक संस्थानों के बीच सहयोग को सशक्त बनाने और क्षेत्र में एक सुसंगत शैक्षणिक पारिस्थितिकी तंत्र तैयार करने की दिशा में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है। इस पहल का मुख्य उद्देश्य विचारों के आदान-प्रदान और संसाधनों के साझा उपयोग को बढ़ावा देना है, जिससे क्षेत्र के सभी छात्रों को विश्वविद्यालय प्रणाली के सामूहिक अनुभव और सुविधाओं का लाभ प्राप्त हो सके। कुलपति प्रो. दीवान एस. रावत के मार्गदर्शन में “विद्यासेतु” पहल के तहत विश्वविद्यालय से संबद्ध महाविद्यालयों में पढ़ने वाले छात्रों को भी विश्वविद्यालय परिसर के समान शैक्षणिक संसाधन उपलब्ध कराने की योजना बनाई गई है। इसी कड़ी में शीघ्र ही सभी शिक्षकों और छात्रों के लिए ई-बुक्स सुलभ कराई जाएंगी। यह कदम छात्रों के लिए सीखने के अवसरों को बढ़ाने और डिजिटल संसाधनों की उपलब्धता को सशक्त बनाने की दिशा में एक मील का पत्थर साबित होगा। इसके अलावा, विश्वविद्यालय प्रशासन ने छात्रों के लिए एक और अहम कदम उठाते हुए उनके शैक्षणिक और करियर विकास को प्राथमिकता देते हुए सभी छात्रावासों में प्रतियोगी परीक्षाओं से संबंधित पुस्तकें निशुल्क उपलब्ध कराने की योजना शुरू की गई है। इन पुस्तकों में सिविल सेवा, बैंकिंग, एसएससी, राज्य स्तरीय परीक्षाओं और अन्य प्रमुख प्रतियोगी परीक्षाओं से संबंधित सामग्री शामिल है। इस पहल का उद्देश्य छात्रों को प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी के लिए उच्च गुणवत्ता वाले संसाधन प्रदान करना है, जिससे वे बिना किसी वित्तीय बाधा के अपनी पढ़ाई को प्रभावी ढंग से आगे बढ़ा सकें।कुलपति प्रो. रावत ने विद्यासेतु योजना पर जानकारी देते हुए कहा कि हमारा उद्देश्य विश्वविद्यालय और संबद्ध संस्थानों के बीच सहयोगात्मक दृष्टिकोण को बढ़ावा देना है, ताकि छात्रों को उच्च गुणवत्ता वाली शिक्षा और संसाधन उपलब्ध कराए जा सकें। विद्यासेतु पहल के माध्यम से हम शिक्षण और सीखने के अवसरों का विस्तार करना चाहते हैं। इसी के साथ प्रो. रावत ने छात्रावासों में प्रतियोगी परीक्षाओं से संबंधित पुस्तकें निशुल्क उपलब्ध कराये जाने की पहल के महत्व पर जोर देते हुए कहा कि हमारा उद्देश्य न केवल छात्रों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करना है, बल्कि उन्हें उनके करियर के सपनों को साकार करने में भी हर संभव सहायता देना है। निशुल्क पुस्तकें उपलब्ध कराने की यह योजना छात्रों के आत्मविश्वास को बढ़ाने और उनकी तैयारी को सशक्त बनाने में सहायक होगी। कुलपति प्रो. रावत ने कहा कि इस पहल से न केवल आर्थिक रूप से कमजोर छात्रों को बड़ी राहत मिलेगी, बल्कि यह कदम सभी छात्रों को एक समान अवसर प्रदान करेगा। निशुल्क पुस्तकों की उपलब्धता उन्हें अपनी पढ़ाई को व्यवस्थित और केंद्रित बनाने में मदद करेगी, साथ ही छात्रावास के माहौल को एक शैक्षणिक केंद्र के रूप में विकसित करने में भी योगदान देगी। छात्र-छात्राओं ने विश्वविद्यालय के इस कदम की सराहना की है। उनका कहना है कि इससे उन्हें प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी के लिए बाहर पुस्तकों पर निर्भर नहीं रहना पड़ेगा और वे अपनी ऊर्जा और समय का बेहतर उपयोग कर सकेंगे।

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