श्री गुरुनानक देव जी का वैदिक चिन्तन गोष्ठी संपन्न

जाति पाती छुआछूत के विरुद्ध शंखनाद किया
-आर्य रविदेव गुप्त
नैनीताल l केन्द्रीय आर्य युवक परिषद के तत्वावधान में ” श्री गुरुनानक देव जी का वैदिक चिन्तन ” विषय पर ऑनलाइन गोष्ठी का आयोजन किया गया I य़ह करोना काल से 747 वाँ वेबीनार था I वैदिक प्रवक्ता आर्य रविदेव गुप्त ने कहा कि सिख पंथ के संस्थापक गुरु नानक देव जी ने 556 वर्ष पूर्व जन्म लेकर उस समय के समाज में व्याप्त पाखंड, छुआछूत, जातिप्रथा और नारियों की दुर्दशा को समाप्त करने के लिए एक अभूतपूर्व क्रांति की थी
उनका संपूर्ण चिंतन वेदों के मान्यताओं के अनुरूप ही दिखाई देता है। एक ओंकार सतनाम को ही उन्होंने निराकार मानकर अजन्मा, अनंत, सर्वव्यापक और सर्वशक्तिमान बताया है। समाज सेवा के लिए लंगर प्रथा और संगत-पंगत की आवश्यकता पर बल देकर सर्वे भवंतु सुखिनः सर्वे संतु निरामया को ही व्यवहार में लाने का प्रयास किया। इसी श्रृंखला में आज से 200 वर्ष पूर्व महर्षि दयानंद सरस्वती ने समाज की इन सभी कुरीतियों को दूर करने के लिए जन्म लिया और 150 वर्ष पहले आर्य समाज की स्थापना की I
यह दोनों ही संस्थाएं वेदों की मान्यता पर आधारित होने के कारण एक दूसरे के बहुत निकट प्रतीत होती हैं। वेदांत से प्रभावित गुरु नानक देव जी महाराज को गत 5 नवंबर को उनके जन्मदिवस रूपी प्रकाश पर्व पर संपूर्ण आर्य जगत भी उन्हें अपने भावभीनी श्रद्धा सुमन भेंट करता है। मुख्य अतिथि प्रो. जगबीर सिंह (चांसलर पंजाब विश्वविद्यालय) व दिल्ली विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति श्री सरदार गुरमीत सिंह ने भी अपने विचार रखे I कार्यक्रम की अध्यक्षता सरदार हरभजन सिंह
देयोल (संयोजक राष्ट्रीय सिख संगत दिल्ली)
ने की I परिषद अध्यक्ष अनिल आर्य ने
कुशल संचालन किया व प्रदेश अध्यक्ष प्रवीन आर्य ने धन्यवाद ज्ञापन किया I गायिका कौशल्या अरोड़ा जनक अरोड़ा कमला हंस शोभा बत्रा आदि ने मधुर भजन सुनाए I










