मानव सौहार्द और विश्वबंधुत्व का अनूठा दृश्य, 78वां निरंकारी संत समागम, परमात्मा के अहसास से सरल होगा आत्ममंथन सतगुरु माता सुदीक्षा जी महाराज

हल्द्वानी l‘आत्ममंथन केवल साधारण सोचने की प्रक्रिया नहीं, बल्कि अपने भीतर झांकने की साधना है जो परमात्मा के अहसास से सरल हो सकती है।’’ यह उद्गार निरंकारी सतगुरु माता सुदीक्षा जी महाराज ने 78वें वार्षिक निरंकारी संत समागम के दूसरे दिन उपस्थित विशाल मानव परिवार को सम्बोधित करते हुए व्यक्त किए। इस चार दिवसीय संत समागम में देश-विदेश से लाखों की संख्या में मानव परिवार एकत्रित हुआ है और सौहार्दपूर्ण व्यवहार से मानवता एवं विश्वबंधुत्व का दृश्य साकार कर रहा है। सतगुरु माता ने आत्ममंथन के वास्तविक भाव को समझाते हुए फरमाया कि कई बार हम भावनाओं के अधीन होकर किसी आसान कार्य को भी जटिल बना देते हैं जबकि प्रभु का सिमरण रूप में अहसास आते ही मन में अकर्ता भाव प्रकट होता है जिससे मन शांत होकर हर कार्य सहजता से पूर्णता की ओर बढ़ता है। सतगुरु माता ने आगे कहा कि दिन भर में कई बातें हमारे सामने आती हैं जिन्हें हम देखते हैं, सुनते हैं, सोचते हैं और कई बार किसी के मधुर वचन हमें मोह लेते हैं, कई कटू वचन मन को ठेस पहुंचाते हैं। पर कौनसी बात ग्रहण करनी है और कौन सी बात मन से निकाल देनी है इसका चुनाव व निर्णय हमे स्वयं ही करना होता है। ब्रह्मज्ञानी महात्मा अपने विवेक से सकारात्मक चुनाव करके जीवन में शांति और सुकून प्राप्त करते हैं। सतगुरु माता ने उदाहरण द्वारा समझाया कि जिस तरह किसी हिल स्टेशन के कुछ पॉइंट्स पर हमारी आवाज़ टकराकर उन पहाड़ों पर अथवा वहां की अन्य वस्तुओं पर कोई भी प्रभाव न डालते हुए प्रतिध्वनि के रुप में लौट़कर वापस आ जाती है, उसी प्रकार हम दूसरों से जैसा व्यवहार करते हैं उसकी प्रतिक्रिया लौट़कर हमारे पास ही आ जाती है। हमारे व्यवहार से उस व्यक्ति के उपर कोई प्रभाव हुआ अथवा नहीं यह अलग बात है, पर परिणाम स्वरूप हमें उसकी प्रतिक्रिया का सामना अवश्य करना पड़ता है। इसलिए हमारा व्यवहार इस तरह का हो जिसकी प्रतिक्रिया हमारे लिए सुखदायी हो। सतगुरु माता ने अंत में कहा कि आत्ममंथन वास्तव में स्वयं के सुधार का मार्ग है। जब मन निरंकार से जुड़ता है, तो भीतर की शांति और बाहर का व्यवहार दोनों दिव्यता से भर जाते हैं। इसके पूर्व आदरणीय निरंकारी राजपिता रमित जी ने समागम में अपने भाव व्यक्त करते हुए कहा कि धार्मिक क्षेत्र में परमात्मा के बारे में अलग-अलग दृष्टिकोण देखने-सुनने को मिलते हैं। वास्तव में परमात्मा एक ऐसा सत्य है जो पहले भी सत्य था, आज भी सत्य है और आगे भी सत्य ही रहेगा। यह एक सार्वभौमिक सत्य है, इसके बारे में अलग अलग दृष्टिकोण का प्रश्न उत्पन्न नहीं हो सकता। जैसे सूरज पूर्व से उदय होता है यह एक प्राकृतिक सत्य होने पर इसमें कोई दो राय नहीं हो सकती। इसलिए पूरी मानवता के लिए यह एक आत्ममंथन की बात है कि परमात्मा के बारे में जो अलग-अलग दृष्टिकोण रखे जा रहे हैं, उन्हें परम सत्य नहीं माना जा सकता। वेद, ग्रंथ, शास्त्र इस बात का प्रमाण देते हैं। इसलिए परमात्मा की पहचान करके ही सार्वभौमिक सत्य को जाना जा सकता है और जानने के उपरान्त समझ में आता है कि यह परम सत्य प्रत्येक जीव के लिए एक ही है। इस सत्य को जानने का अधिकार हर मानव को है, इस परम सत्य का बोध कराने के लिए ही सत्गुरु धरा पर आते हैं। अतः हर मानव सत्गुरु की अनुकंपा से समय रहते इस सत्य को प्राप्त कर लें।

यह भी पढ़ें 👉  अपर निदेशक माध्यमिक शिक्षा कुमाऊं मण्डल नैनीताल एस पी सेमवाल ने सोमवार को रूद्रपुर मुख्यालय के विद्यालयों एवं कार्यालयों का औचक निरीक्षण कर पठन पाठन का जायजा लिया

निरंकारी प्रदर्शनी

संत समागम में आधुनिक तकनीक एवं लाइट्स आदि का इस्तेमाल करते हुए अत्यंत आकर्षक बनाई गई निरंकारी प्रदर्शनी श्रद्धालुओं के आकर्षण का मुख्य केन्द्र बनीं हुई है। श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए निरंकारी प्रदर्शनी में मुख्य प्रदर्शनी, बाल प्रदर्शनी एवं संत निरंकारी चैरिटेबल फाउंडेशन की प्रदर्शनी-इस तरह तीन भाग बनाये गए हैं। मुख्य प्रदर्शनी में मिशन का इतिहास, सतगुरु माता जी एवं निरंकारी राजपिता की मानव कल्याण यात्राएं इत्यादि का ब्यौरा प्रस्तुत किया है जबकि तीन विभिन्न मॉडलों द्वारा संत समागम के मुख्य विषय ‘आत्ममंथन’ पर प्रकाश डाला गया है जिससे श्रद्धालुओं को प्रेरणादायी शिक्षा प्राप्त हो रही है। बच्चों के लिए शिक्षाप्रद बाल प्रदर्शनी वर्तमान समय में बच्चों के बारे में जिन समस्याओं का पूरे संसार को सामना कर पड़ रहा है उसका यथार्थ हल प्रस्तुत कर रही है जिसका बच्चों के कोमल मनों पर गहरा प्रभाव देखने को मिल रहा है। निरंकारी मिशन बच्चों को दुनियावी शिक्षा के साथ साथ आध्यात्मिक शिक्षा भी प्रदान कर रहा है। एसएनसीएफ (संत निरंकारी चैरिटेबल फाउंडेशन) प्रदर्शनी में मिशन की सामाजिक गतिविधियों एवं समाज सुधार के कार्यों को विभिन्न मॉडलों द्वारा दर्शाया गया है। एसएनसीएफ के स्वास्थ्य, सुरक्षा एवं सशक्तिकरण यह तीन मुख्य उद्दिष्ट हैं जिनको प्रयोग में लाने के लिए मिशन द्वारा देश-विदेश में विभिन्न सामाजिक गतिविधियों को आयोजित किया जाता है। सादा एवं सामूहिक विवाह जैसे कार्यक्रमों द्वारा समाज सुधार के कार्य भी मिशन द्वारा संचालित हो रहे हैं। समाज उत्थान के लिए मिशन द्वारा चलाये जा रहे विभिन्न उपक्रमों का ब्यौरा और स्वरूप इस प्रदर्शनी में दृष्टिगोचर होता है

यह भी पढ़ें 👉  कुमाऊं विश्वविधालय शिक्षक संघ कूटा ने भारत की महिला क्रिकेट वर्ल्ड कप में जीत पर बधाई दी है
Advertisement
Ad
Advertisement