नैनीताल में आज ही के दिन पहला महा विनाशकारी भूकंप हुआ था जिसमें 151 लोगों की जान गई थी
दामोदर लोहनी, नैनीताल। 18 सितंबर 1880 को नैनीताल में आज ही के दिन पहला महाविनाशकारी भूस्खलन हुआ। लगातार तीन दिन तक 50 से 60 इंच वर्षा हो चुकी थी। हल्की से भूकंप के झटके महसूस होने के बाद वर्तमान रोप-वे की आल्मा पहाड़ी आठ सेकेंड में पिघलते लावे की तरह नीचे आ गई। विशाल विक्टोरिया होटल मि. बेल की बिसातखाने की दुकान, वास्तविक नैना देवी 1 मंदिर, धर्मशाला दब गए। भूस्खलन में लगभग 151 लोगों की मौत हुई, जिनमें 108 भारतीय व 43 यूरोपियन शामिल थे। हादसे के बाद अंग्रेजों ने 1890 तक 65 नालों का निर्माण कराया, जिन्हें शहर की धमनियां कहा गया। वर्तमान में भी वैध-अवैध निर्माण व व्यवसायिक प्रतिद्वंद्विता में अधिक नालों पर अतिक्रमण कर उन्हें बंद कर दिया गया है। नालों के बंद होने से भूस्खलन होने का खतरा और अधिक बढ़ गया है l यदि इसी तरह नालों पर अतिक्रमण होते रहा तो नगर में और अधिक भूस्खलन का खतरा बढ़ जाएगा l विश्व के पर्यटन नक्शे पर अंकित नैनीताल शहर भूकंप व भूस्खलन की दृष्टि से अत्यंत संवेदनशील है। इसके बावजूद की गईं मानवीय भूलों को दंश आज भी सरोवरनगरी झेल रही है। अंग्रेज स्वच्छ झील व खूबसूरत शहर की जो विरासत छोड़ गए, वह आज गायब है। प्रतिबंध के बावजूद डेंजर जोन में निर्माण हो रहे हैं। शहर की हरियाली व जीवनदायिनी झील खतरे में है। 90 के दशक में वैध-अवैध निर्माण की बाढ़ आने पर नैनीताल बचाओ संघर्ष समिति के बैनर तले जबरदस्त आंदोलन हुआ था। तब की उत्तर प्रदेश सरकार ने राजस्व परिषद के प्रमुख सचिव विजेन्द्र सहाय की अध्यक्षता मैं एक समिति गठित की गई थी। नौ मार्च 1995 को अजय रावत बनाम यूपी सरकार मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले की तर्ज पर 31 मार्च 1995 को सहाय समिति की रिपोर्ट दी। समिति की सिफारिशों में शहर की ग्रीन बेल्ट व असुरक्षित क्षेत्रों में निर्माण पर रोक, समतल स्थानों पर ही आवासीय निर्माण, पुराने अवैध निर्माण की जांच, हरे वृक्षों व शहर के नालों की तीन मीटर परिधि में निर्माण पर रोक, झील का उचित संरक्षण, बलियानाला का ट्रीटमेंट, सांय चार से रात नौ बजे तक माल रोड पर वाहनों के आवागमन पर प्रतिबंध, शहर में प्रेशर हॉर्न पर प्रतिबंध, माल रोड पर बड़े वाहनों के आवागमन पर प्रतिबंध सहित तीन दर्जन बिंदु शामिल थे। नैनीताल में इन निर्देशों का कोई पालन नहीं हुआ। नालों पर होटल बना दिए गए। आज भी ग्रीन बेल्ट व असुरक्षित क्षेत्रों में निर्माण जारी हैं। प्रो. अजय रावत 2005 में पुनः सुप्रीम कोर्ट पहुंचे। कोर्ट ने प्रदेश सरकार को पूर्व के निर्देशों का अनुपालन करने के निर्देश दिए. लेकिन उसका कोई भी असर नहीं हुआ और आज भी धड़ल्ले से नगर में अवैध निर्माण हो रहे हैं l
झील का जलस्तर बना चिंता का कारण
नैनीताल : अतिक्रमण का ही नतीजा है कि इस वर्ष बरसात कम होने से झील का जलस्तर रिकार्ड 13 फिट नीचे तक घट गया था। झील के चारों ओर बने नालों से ही झील में पहले पानी आया करता था, लेकिन अतिक्रमण के कारण अब झील में पानी कम और शहर का कूड़ा ज्यादा आता है। इससे न केवल झील बल्कि शहर के अस्तित्व को भी खतरा है।








