पारंपरिक अंदाज में इको फ्रेंडली दिवाली मनाते हुए अपनी संस्कृति के संरक्षण को बचाने में जुटी हैं पहाड़ की महिलाएं।
नैनीताल l सरोवर नगरी में जहां एक ओर पाश्चात्य संस्कृति की दस्तक दिखाई देती है, वहीं आज भी बहुत से ऐसे परिवार हैं जो अपनी संस्कृति के संरक्षण एवम संवर्धन के साथ परंपराओं को आगे बढ़ाने के अपना योगदान दे रहे हैं। दिवाली के अवसर पर एक शानदार परंपरा के रूप में घरों को ऐपण से सजाने की प्रथा चली आ रही है। पारम्परिक अन्दाज में ऐपण देते हुए संस्कृति कर्मी एवम शिक्षिका दीपा पाण्डे ने बताया कि आज तो बाजार में ऐपण पोस्टर आ गये हैं लेकिन हमारे बुजुर्ग दीवाली मनाने के लिए गेरू और बिस्वार का प्रयोग करते थे। सबसे पहले एक पट्टी के रूप में गेरू से लिपाई कर आधार बनाया जाता है, फिर उसके ऊपर चावलों को भिगाकर पीसकर बने पेस्ट से जिसे कि बिस्वार कहते हैं, उससे लक्ष्मी जी के पौ अर्थात पैर बनाये जाते हैं। रेडीमेड प्लास्टिक पोस्टर के मुकाबले में ये पारम्परिक ऐपण इको फ्रेंडली भी हैं और स्वास्थ्य की दृष्टि से भी सही हैं। उनका कहना है कि हम सभी को मिलकर अच्छी परंपराओं को बचाने के लिए संयुक्त प्रयास करने होंगे।