कुमाऊं विश्वविद्यालय के आर्ट्स सभागार में विजिटिंग प्रोफेसर निदेशालय द्वारा विजिटिंग प्रोफेसर कुमाऊं विश्वविधालय तथा फेलो ऑफ नेशनल एकेडमी आईआईटी कानपुर के प्रोफेसर जितेंद्र कुमार बेरा द्वारा फाइंडिंग केमिस्ट्री फ्रोम कैंडल्स तो सेल फोन विषय पर विशेष आमंत्रित व्याख्यान आयोजित किया गया ।

नैनीताल l कुमाऊं विश्वविद्यालय के आर्ट्स सभागार में विजिटिंग प्रोफेसर निदेशालय द्वारा विजिटिंग प्रोफेसर कुमाऊं विश्वविधालय तथा फेलो ऑफ नेशनल एकेडमी आईआईटी कानपुर के प्रोफेसर जितेंद्र कुमार बेरा द्वारा फाइंडिंग केमिस्ट्री फ्रोम कैंडल्स तो सेल फोन विषय पर विशेष आमंत्रित व्याख्यान आयोजित किया गया । प्रो बेरा नए कहा की रसायन जीवन के लिए बहुउपयोगी है । रसायन ही मीठा ,खट्टा ,मिर्च के साथ जीवन के हर पल हमारे साथ रहते है ।इनकी संद्राता बहुत महत्पूर्ण है इनके बॉन्ड मिलकर की इन्हे घातक तथा हानिकारक एवम लाभप्रद बनाते है । डॉक्टर बेटा ने कहा की कैंडल वैक्स एक लंबा हार्डोकार्बन बनाते है ।टूथपेस्ट तथा कॉफी जो हम प्रतिदिन प्रयोग करते है इनमें 300 से 500 रासायनिक कंपाउंड होते है । माना पहले मीठा ही खाते थे किंतु जब से प्रजर्वेशन शुरू हुआ मानव ने नमक खाना शुरू किया । प्राकृतिक शुगर बेस्ट है किंतु आर्टिफिशियल शुगर हानिकारक होती है । डॉक्टर बेरा नए कहा की मिंट में कूलिंग कंपाउंड होते है ।डॉक्टर बेरा यह भी कहा की प्लास्टिक एवम माइक्रो प्लास्टिक वर्तमान की सबसे बड़ी समस्या है । जो देश अमीर है वहा प्लास्टिक ज्यादा उपयोग में लाया जाता है पर केपिटा 20किलो तथा भारत मैक3.3 बिलियन मैट्रिक टन प्लास्टिक होता है ।सेल फोन में स्क्रीन ,इलेक्ट्रिक बैटरी ,केसिंग ,सभी रसायन है। सेल फोन में प्रयुक्त होने वाले सीसे में सोडियम की जगह पोटेशियम प्रयुक किया जाता है जो मजबूती देता है । हमारी केमिस्ट्री पर्यावरण के प्रति ,मानव प्रजाति के प्रति बेहतर होनी चाहिए । डाक्टर बेरा ने कहा की हम ऐसे रसायनों का प्रयोग करे जो सर्कुलर इकोनॉमी का भाग हो तथा ये सतत विकास में ग्लीबल समस्याएं को सुधार सके । 6 प्राकृतिक सोर्स जल , तेल ,प्राकृतिक गैस ,फास्फोरस ,कोल ,रेट अर्थ एलिमेंट का संरक्षण जरूरी है । डॉक्टर बेरा नए कहा की मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल , बैसल ,रॉटरडम , स्टॉकहोम में केमिकल का बेहतर प्रयोग का सुझाव किया गया है । डॉक्टर बेरा ने कहा की फोटोसिंथेसिस ,अमोनिया का बनना ,सल्फ्यूरिक एसिड का निर्माण तीन आधारभूत रिएक्शन है । प्रो बेरा ने कोकेन , टीएनटी,स्ट्रिकन को हानिकारक बताते हुए कहा की चिराल ड्रग भी हानिकारक रसायन है तो पैरासेटामोल,सहित दवाएं लाभकारी रसायन है । रत्नों में भी एल्यूमीनियम ऑक्साइड उसेमें जाल बनाता है तो गोंद में सायनो एसिटेट और नील भी रसायन है।
कार्य क्रम का संचालन निदेशक प्री ललित तिवारी ने तथा प्री जितेंद्र सिंह बेरा का परिचय कराया । डॉक्टर बेरा को संकायाध्यक्ष प्री चित्रा पांडे तथा निदेशक प्रो नंद गोपाल साहू ने शॉल उड़ाकर तथा श्री नंदा देवी का चित्र भेट कर सम्मानित किया । महत्पूर्ण व्याख्यान में जीवन में रसायन को जानने के लिए प्रो हरीश बिष्ट ,प्री गीता तिवारी , प्रो सुषमा टम्टा ,प्रो नीलू लोधियाल , प्री सहराज अली , डॉक्टर सोहैल जावेद ,डॉक्टर मनोज धूनी ,डॉक्टर पैनी जोशी ,डॉक्टर नवीन पांडे , डॉक्टर डॉक्टर हर्ष चौहान ,डॉक्टर हेम जोशी , डॉक्टर दीपशिखा जोशी ,डॉक्टर ललित मोहन , डॉक्टर गिरीश खरकवाल आनंद ,, दिशा उप्रेती ,वसुंधरा लोधियाल,, गौरव रावत, जूलॉजी , केमिस्ट्री , बीए ,बीएससी के विद्यार्थी बड़ी संख्या में उपस्थित रहे ।

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