भीम शिला से पांडवों का रहा है खास तालुक आज भी भीम शिला में कई सारे रेस देखने को मिले
नैनीताल। मां बाराही धाम देवीधुरा की भीम शिला का आध्यात्मिक और पौराणिक मान्यता है। प्राचीन काल से मान्यता रही है कि किसी क्षेत्र में कोई एक देवी देवता निवास स्थापित है तो वहां उसकी प्रधानता रहती है। भीम शिला एक विशालकाय शीला है। इस्लाम पर प्रमाण चिन्ह है कि अज्ञातवास के समय पांडवों ने यहां वास किया और वह शीला के ऊपर चौपड़ खेला करते थे। शीला पर चौपड़ के लिए चौकिया बनी हुई है। तब उनके साथ शक्ति स्वरूप मां बाराही एक ग्वालन के रूप में बैठी हुई थी। इसी बीच किसी बात पर भीम को क्रोध आया और ग्वालन इस शिला के भीतर समा गई।
आज भी इस शिला के एक भाग को थप थप आने पर ऐसा एहसास लगता है कि यह खोखली है। भीम ने ग्वालन की तलाश में एक हिस्से तलवार से वार कर दिया लेकिन वह भूल गए कि उनके सभी भाई शीला के ऊपर बैठे चौपड़ खेल रहे हैं। उसी समय शीला दो भागों में विभक्त होकर गिरने लगी। आज भी उस जगह पर वह सभी निशान देखने को मिलते हैं।












