कुमाऊँ विश्वविद्यालय में पीएम–उच्चा (पीएम–यूएसएचए) अभियान के अंतर्गत मे़रू सॉफ़्ट कम्पोनेंट द्वारा प्रायोजित तथा आईक्यूएसी द्वारा आयोजित दो दिवसीय “अनुसंधान पद्धति प्रशिक्षण कार्यक्रम” का शुभारंभ हुआ

नैनीताल l कुमाऊँ विश्वविद्यालय में पीएम–उच्चा (पीएम–यूएसएचए) अभियान के अंतर्गत मे़रू सॉफ़्ट कम्पोनेंट द्वारा प्रायोजित तथा आईक्यूएसी द्वारा आयोजित दो दिवसीय “अनुसंधान पद्धति प्रशिक्षण कार्यक्रम” का शुभारंभ 13 नवम्बर 2025 को हरमिटेज कैंपस स्थित देवदार हॉल में हुआ। उद्घाटन सत्र में प्रो. संतोष कुमार, निदेशक आईक्यूएसी एवं डीन एकेडमिक्स, प्रो. नीता बोरा शर्मा, निदेशक डीएसबी कैंपस, समन्वयक प्रो. रीतेश साह तथा मुख्य वक्ता प्रो. अरुण एस. खरात, जेएनयू, नई दिल्ली ने दीप प्रज्वलित कर कार्यक्रम का औपचारिक उद्घाटन किया। उद्घाटन संबोधन में प्रो. संतोष कुमार ने कहा कि अनुसंधान में उत्कृष्टता तभी संभव है जब शोधार्थी पद्धति, नैतिकता और वैज्ञानिक दृष्टिकोण को समझते हुए शोध करें। उन्होंने यह भी कहा कि विश्वविद्यालय शोध की गुणवत्ता बढ़ाने के लिए ऐसे प्रशिक्षण कार्यक्रमों को निरंतर प्रोत्साहित करता रहेगा, ताकि शोधार्थी अंतरराष्ट्रीय स्तर की प्रतिस्पर्धा के लिए तैयार हो सकें। प्रो. नीता बोरा शर्मा ने अपने उद्बोधन में कहा कि उच्च शिक्षा में अनुसंधान की गुणवत्ता ही किसी संस्थान की पहचान तय करती है और इसके लिए शोधार्थियों का प्रशिक्षित होना अत्यंत आवश्यक है। उन्होंने कहा कि इस प्रकार के कार्यक्रम शोधार्थियों में शोध के प्रति गंभीरता, वैज्ञानिक सोच और उच्चस्तरीय लेखन कौशल विकसित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। पहले सत्र में प्रोफेसर अरुण खरात जेएनयू ने शोधार्थियों को लिट्रेचर रिव्यू की संपूर्ण प्रक्रिया का विस्तृत प्रशिक्षण दिया। उन्होंने बताया कि व्यवस्थित और क्रिटिकल लिट्रेचर रिव्यू तैयार करने के लिए गहन पठन, एकाग्रता तथा व्यवस्थित नोट्स बनाना आवश्यक है। उन्होंने टेबल/मैट्रिक्स , कॉन्सेप्ट मैप य, मैन्युस्क्रिप्ट लेखन, ड्राफ्टिंग, रिवीजन एवं शोध लेखों को जर्नल में सबमिट करने की प्रक्रिया पर मार्गदर्शन दिया। स्रोतों के विश्लेषण, लिट्रेचर रिव्यू मैट्रिक्स तैयार करने तथा रिसर्च गैप की पहचान सिखाई गई। प्रो. खरात ने शोध में आईसीटी और डिजिटल तकनीकों के उपयोग पर भी विशेष बल दिया। उन्होंने गूगल स्कॉलर, स्कोपस, जे-स्टोर जैसे वैश्विक डेटाबेस के माध्यम से शोध लेख ढूँढने की विधि का प्रायोगिक प्रदर्शन किया। उन्होंने सर्च स्ट्रैटेजीज़, इन्क्लूज़न–एक्सक्लूज़न क्राइटेरिया, शोध मैट्रिक्स निर्माण तथा एंडनोट सॉफ़्टवेयर के उपयोग पर भी विस्तृत प्रशिक्षण दिया। पोस्ट-लंच सत्र में आईआईटी रुड़की के प्रो. तरुण शर्मा ने शोध को ‘ज्ञान–सृजन’ की प्रक्रिया बताते हुए ऑन्टोलॉजी, एपिस्टेमोलॉजी, एक्सियोलॉजी जैसे शोध-पद्धति के दार्शनिक आयामों पर सरल और स्पष्ट व्याख्यान प्रस्तुत किया। उन्होंने शोध में उपयोग होने वाली स्टैटिस्टिकल मेथड्स तथा डेटा विश्लेषण पर आधारित एक महत्वपूर्ण सत्र भी संचालित किया। कार्यक्रम के समन्वयक प्रो. रीतेश साह ने बताया कि शोधार्थियों ने पूरे उत्साह के साथ सहभागिता की और विशेषज्ञों से शोध की जटिलताओं, पद्धतियों तथा आधुनिक शोध उपकरणों के उपयोग पर महत्वपूर्ण मार्गदर्शन प्राप्त किया। उन्होंने कहा कि यह प्रशिक्षण कार्यक्रम शोधार्थियों को उच्च गुणवत्ता वाले शोध की दिशा में प्रेरित करेगा और उन्हें अंतरराष्ट्रीय शोध मानकों तथा नवीनतम शोध तकनीकों की समझ विकसित करने में सक्षम बनाएगा। इस अवसर पर डॉ. नंदन सिंह, डॉ. हर्ष चौहान, डॉ. सरोज, डॉ अशोक उप्रेती, डॉ. ऋचा गिनवाल, डॉ. दिलीप सहित अनेक संकाय सदस्य एवं विश्वविद्यालय के शोधार्थी उपस्थित रहे।

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