उत्तराखंड की रजत जयंती पर विचार गोष्ठी पूर्व विधायक डॉ. जंतवाल ने संगोष्ठी में शहीदों को नमन किया
नैनीताल l उत्तराखंड की रजत जयंती पर विचार गोष्ठी में पूर्व विधायक डॉ. नारायण एस. जंतवाल ने संगोष्ठी में शहीदों को नमन किया । विज़िटिंग प्रोफेसर निदेशालय एवं निदेशक, डी.एस.बी. परिसर, कुमाऊँ विश्वविद्यालय, नैनीताल के संयुक्त तत्वावधान में उत्तराखंड स्थापना दिवस के 25 वर्ष पूर्ण होने रजत जयंती के उपलक्ष्य में सिल्वर जुबिली सेमिनार का सफल आयोजन किया गया। इस अवसर पर मुख्य वक्ता के रूप में डॉ. नारायण एस. जंतवाल, पूर्व विधायक, मुख्य रहे।
कार्यक्रम की शुरुआत प्रो. नीता बोरा शर्मा द्वारा सभी का स्वागत किया एवं मुख्य वक्ता डॉ. नारायण एस. जंतवाल के परिचय प्रस्तुत किया । उन्होंने कहा कि हम सबके मन में यह भावना होनी चाहिए कि उत्तराखंड राज्य का निर्माण किन उद्देश्यों और भावनाओं से हुआ था, और अब इसे आगे कैसे बढ़ाया जा सकता है। शिकायतें करने के बजाय उनके समाधान की दिशा में कार्य करना ही सच्ची प्रगति का मार्ग है।
मुख्य वक्ता डॉ. नारायण . एस. जंतवाल ने उत्तराखंड की रजत जयंती पर सभी को बधाई देते हुए कहा कि यह अवसर आत्ममंथन का है — यह सोचने का कि हमारे उद्देश्य क्या थे और आज हम कहाँ तक पहुँचे हैं। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड की सामाजिक और भौगोलिक इकाइयाँ सदैव मजबूत रही हैं। स्वतंत्रता संग्राम में भी यहाँ के लोग अग्रणी रहे हैं और लोकतांत्रिक परंपराओं में हमेशा सक्रिय भूमिका निभाई है।
डॉ. जंतवाल ने कहा कि राज्य गठन के बाद जल, विद्युत और संसाधनों के अधिकारों को लेकर बहस जारी रही। हालांकि, राज्य बनने के बाद शिक्षा, सड़कों और विकास के कई क्षेत्रों में उल्लेखनीय प्रगति हुई। पर्वतीय राज्य होने के कारण उत्तराखंड को विशेष राज्य का दर्जा भी प्राप्त हुआ, पर यही उसकी सबसे बड़ी चुनौती भी बनी।
उन्होंने कहा कि राज्य में हॉर्टिकल्चर, फ्लोरिकल्चर और पर्यटन के माध्यम से अर्थव्यवस्था को सशक्त किया जा सकता है, परंतु योजनाओं के क्रियान्वयन में दक्षता की कमी और भ्रष्टाचार की अधिकता प्रमुख बाधक हैं। ग्रामीण एवं शहरी क्षेत्रों में शिक्षा तथा स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि प्रशासनिक व्यवस्था को संवेदनशील और प्रभावी बनाना होगा तथा युवाओं को राज्य निर्माण में सक्रिय भूमिका निभानी चाहिए। डॉ जंतवाल ने कुमाऊँ विश्वविद्यालय को संगोष्ठी आयोजित करने के लिए धन्यवाद दिया और स्मरण किया कि लगभग 25 वर्ष पहले नैनीताल क्लब में इसी प्रकार की गोष्ठी हुई थी, जिसमें नित्यानंद स्वामी जी नेता के रूप में उभरे थे।
प्रो. अनिल जोशी ने अपने विचार रखते हुए कहा पलायन, स्वास्थ्य सेवाओं की कमी पर ध्यान देने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि सतत विकास के लिए पहाड़ी राज्यों का अलग मॉडल तैयार किया जाना चाहिए। प्रो. सवित्री कैरा ने कहा कि उत्तराखंड राज्य आंदोलन में अनेक लोगों ने अपना पसीना और बलिदान दिया, यह राज्य इतनी आसानी से नहीं मिला। उन्होंने आंदोलन से जुड़ी कई अनसुनी कहानियाँ साझा कीं और कहा कि इतिहास के इन सच्चे प्रसंगों को सामने लाना आवश्यक है। कार्यक्रम में सभी राज्य आंदोलन रत लोगों को धन्यवाद तथा शहीदों को श्रद्धांजलि दी गई तथा स्वर्गीय अटल बिहारी वाजपेय ,प्रॉफ डी डी पंत ,इंद्रमणि बडोनी ,शहीदों को श्रद्धांजलि दी गई ।
प्रो. ललित तिवारी ने भी अपने विचार प्रस्तुत किए। उन्होंने कहा कि नवीकरणीय ऊर्जा और पवन ऊर्जा हिमालयी क्षेत्र के लिए अत्यंत उपयोगी सिद्ध हो सकती हैं। इस क्षेत्र में लगभग 65% वन क्षेत्र है, जिसे सुरक्षित रखना हमारा लक्ष्य होना चाहिए। हमें पर्यावरण को नुकसान पहुँचाए बिना अपने राज्य की प्रगति के लिए कार्य करना चाहिए, ताकि पलायन जैसी समस्याओं का समाधान समय रहते किया जा सके। उन्होंने पर्वतीय कृषि के महत्व पर भी प्रकाश डाला।
कार्यक्रम का संचालन एवं धन्यवाद ज्ञापन निदेशक विजिटिंग प्रोफेसर प्रो. ललित तिवारी द्वारा किया गया। कार्यक्रम में डॉ महेंद्र राणा ,तारा बोरा ,डॉ केतकी ,ज्योति कांडपाल ,डॉ लता , दे रीमा मिश्रा,डॉ रुचि ,डॉ भूमिका , विशाल बिष्ट सहित शोधार्थी एवं शिक्षक उपस्थित रहे ।









