ऑनलाइन कार्यशाला का आयोजन किया गया

नैनीताल l एआई के साथ नवाचार की राह: कुमाऊँ विश्वविद्यालय में ज्ञानवर्धक ऑनलाइन कार्यशाला का आयोजन विज़िटिंग प्रोफेसर निदेशालय एवं इनोवेशन एंड इनक्यूबेशन सेंटर, कुमाऊँ विश्वविद्यालय, नैनीताल के संयुक्त तत्वावधान में “यूज़ ऑफ़ एआई टूल्स एंड 14.0 फॉर इनोवेशन एंड इन्क्यूबेशन” विषय पर एक ऑनलाइन कार्यशाला 28 नवंबर 2025 को आयोजित की गई।
इस कार्यशाला में उत्तराखण्ड ओपन यूनिवर्सिटी के स्कूल ऑफ़ वोकेशनल एजुकेशन के निदेशक, प्रो. अशुतोष कुमार भट्ट ने मुख्य वक्ता के रूप में अपने विचार प्रस्तुत किए। प्रो. आशीष तिवारी ने सभी प्रतिभागियों और वक्ताओं का स्वागत किया तथा आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के उपयोग पर अपने संक्षिप्त विचार साझा किए। डॉ. ललित तिवारी ने आज के मुख्य वक्ता का परिचय कराया और कार्यशाला का संचालन किया।
कार्यशाला का उद्देश्य विद्यार्थियों, शोधार्थियों एवं संकाय सदस्यों को उभरती तकनीकों की समझ प्रदान करना और उन्हें नवाचार तथा स्टार्ट-अप इकोसिस्टम से जोड़ना था। प्रतिभागियों को बताया गया कि पहले व्यापक कम्प्यूटिंग युग में एक ही कंप्यूटर का उपयोग कई लोग करते थे, लेकिन अब असंख्य डिवाइस क्लाउड तकनीक द्वारा संचालित हैं। विशाल डेटा सेंटर न केवल रोजगार उत्पन्न कर रहे हैं बल्कि उपकरणों को अधिक सक्षम बना रहे हैं।
सोशल मीडिया डेटा से लेकर मौसम पूर्वानुमान तक, एआई और उन्नत कंप्यूटिंग प्रणालियों की भूमिका निर्णायक बन चुकी है। गूगल एआई का उपयोग रेटिना की छवियों के विश्लेषण में किया जा रहा है, जिससे विभिन्न स्वास्थ्य स्थितियों का पता लगाया जा सकता है। इसी प्रकार, ‘रॉस’ नामक एआई वकील को आईबीएम द्वारा कानूनी शोध और दस्तावेज़ीकरण सहायता के लिए विकसित किया गया है। यह दर्शाता है कि एआई आज स्वास्थ्य, कानून, उद्योग और अन्य क्षेत्रों में सक्रिय रूप से उपयोग की जा रही है।
कार्यशाला में कृत्रिम अधिगम, मशीन लर्निंग और डीप लर्निंग के विकास की चर्चा की गई। ड्राइवरलेस कार, एलेक्सा और सिरी जैसे डिजिटल सहायक एआई के उत्कृष्ट उदाहरण बताए गए। एआई वस्तुओं की पहचान कर सकता है, उन्हें वर्गीकृत कर सकता है और जटिल डेटा का विश्लेषण कर सकता है। इंजीनियरिंग से लेकर चिकित्सा तक, एआई अभूतपूर्व परिवर्तन ला रही है। साथ ही, चौथी औद्योगिक क्रांति ने विनिर्माण क्षेत्र को तेजी से रूपांतरित किया है और उसकी परिभाषा को नए सिरे से गढ़ा है। इंटरनेट ऑफ थिंग्स आधारित प्रणालियाँ, विभिन्न सेंसरों का क्लाउड से जुड़ना, टेलीमेडिसिन, मैन–मशीन सुप्रीमेसी और मैन–मशीन फ्यूज़न जैसी अवधारणाएँ रोबोटिक युग की दिशा में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं।
उन्होंने एआई के विविध उपयोगों जैसे गूगल कोलैब, जेनेरेटिव एआई, नोटबुक एलएलएम, चैटजीपीटी, गामा और प्रेज़ी जैसे टूल्स पर चर्चा की और बताया कि ये प्लेटफ़ॉर्म अनुसंधान, शिक्षा और व्यावसायिक क्षेत्रों में कार्य को सरल और सृजनात्मक बना रहे हैं।
डॉ. ललित तिवारी ने एआई के नकारात्मक उपयोग के बारे में अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि इसके लिए कड़े नियम होने चाहिए। इस पर मुख्य वक्ता ने उत्तर दिया कि एआई का उपयोग नियंत्रित और जिम्मेदार तरीके से किया जाना चाहिए, ताकि इसके दुरुपयोग से बचा जा सके। कार्यशाला का समापन प्रतिभागियों को उभरती कनीकों की समझ और नवाचार के प्रति उत्साह के साथ किया गया। प्रतिभागियों को यह भी बताया गया कि सीखना, भूलना और पुनः सीखना इस नए युग के आवश्यक कौशल हैं। अंत में, प्रो. ललित तिवारी ने मुख्य वक्ता और सभी प्रतिभागियों का धन्यवाद करते हुए सत्र का सफलतापूर्वक समापन किया।








